18/05/2025
Imam azam Imam abu haneefa (r.a)aur hasad karne wale.

इमाम आज़म इमाम अबू हनीफा रह० और हसद करने वाले।Imam azam Imam abu haneefa (r.a)aur hasad karne wale.

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Imam azam Imam abu haneefa (r.a)aur hasad karne wale.

इमाम आज़म रह० से हसद करने वाले दो तरह के थे। बाज़ लोग उनकी इल्मियत और क़ुबूलियत की वजह से जलते थे। ऐसे लोगों का कोई ईलाज नहीं हुआ करता। जैसे एक आदमी आया और कहने लगा, हज़रत! हमने सुना है कि आप मसाइल का जवाब देते हैं।

फ़रमाया, हाँ पूछो। कहने लगा कि आप बता सकते हैं कि पाख़ाने का ज़ाएका कैसा होता है? कोई शरीफ़ इंसान भला ऐसा सवाल कर सकता है? मगर हसद करने वाला था। इमाम साहब रह० को अल्लाह तआला ने बड़ी समझ दी थी। फ़रमाया, इसका ज़ाएका मीठा होता है। वह हैरान हुआ और दलील पूछी। फ़रमाया नमकीन चीज़ पर मक्खी नहीं बैठती।

इसी तरह एक बार हसद करने वालों ने इमाम अबू हनीफा रह० की ज़िल्लत व रुसवाई का प्रोग्राम बनाया क्योंकि आख़िरी वार यही होता है। यही काम मुनाफ़िकों ने किया था कि नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मोहतरम बीवी हज़त आएशा रज़ियल्लाहु अन्हा पर बोहतान बांधा था।Imam azam Imam abu haneefa (r.a)aur hasad karne wale.

इसी तरह कारून ने भी हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के लिए इसी किस्म का बहाना किया था कि एक औरत को तैयार किया कि जब हज़रत मूसा अलैहिस्स्लाम बयान करने के लिए खड़े हों तो मजमे में कह देना कि उन्होंने मुझसे गुनाह करने को कहा था। बेइज़्ज़ती हो जाएगी तो मुझे ज़कात नहीं देनी पड़ेगी।

तारीख़ में इस तरह के वाकिआत बहुत हैं। लिहाज़ा जलने वालों ने सोचा कि इमाम अबू हनीफा रह० के दामन पर ऐसा धब्बा लगा दिया जाए कि लोग बदज़न हो जाएं। लिहाज़ा उन्होंने जवान उम्र बेवा औरत . से राब्ता किया कि किसी बहाने से इमाम साहब को अपने घर बुला, हम तुम्हें इसके बदले में एक भारी रकम अदा करेंगे।

औरत बेचारी फिसलती भी जल्दी है और फिसलाती भी जल्दी है। वह झांसे में आ गई। इमाम साहब जब रात को घर जाते हुए उस औरत के घर के सामने से गुज़रे तो औरत पर्दे में होकर निकली और कहने लगी, अबू हनीफा रह० ! मेरा ख़ाविंद मर रहा है और वह कोई वसीयत करना चाहता है और वह वसीयत मेरी समझ में नहीं आ रही है।

ख़ुदा के लिए आप वह सुन लें। आप घर में दाखिल हुए, औरत ने दरवाज़ा बंद कर दिया। कमरे में छिपे हुए हासिदीन बाहर आ गए और कहने लगे, अब हनीफा आप रात के वक़्त एक अलैहिदा मकान में अकेली नौजवान औरत के पास बुरे इरादे से आए हो।Imam azam Imam abu haneefa (r.a)aur hasad karne wale.

लिहाजा उस औरत को और इमामे आज़म रह० को लोगों ने पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। हाकिमे वक़्त तक बात पहुँची तो तो उसने कहा उन्हें फिलहाल में बंद कर दिया जाए। मैं सुबह के वक़्त कार्यवाही पूरी करूंगा। इमाम साहब और उस औरत को एक अंधेरी कोठरी में बंद कर दिया गया।

इमाम साहब वुज़ू से थे लिहाज़ा नफ़्लें पढ़ने में मशगूल हो गए। जब काफी देर गुज़र गई तो उस औरत को अपनी गलती का एहसास हुआ कि मैंने इतने पाकदामन आदमी पर इल्ज़ाम लगाया है। जब इमाम आज़म रह० ने नमाज़ का सलाम फेरा तो वह औरत कहने लगी आप मुझे माफ़ कर दें। फिर उसने सारी कहानी सुना दी।

इमाम आज़म रह० ने फ़रमाया अच्छा जो होना था वह तो हो चुका है। अब मैं तुम्हें एक तरीका बताता हूँ ताकि हम इस मुसीबत से छुटकारा हासिल कर सकें। उसने पूछा वह कैसे? आपने फ़रमाया कि तुम इस पहरेदार की मिन्नत समाजत करो कि लोग मुझे अचानक पकड़कर ले आए हैं,

मुझे ज़रूरी काम समेटने के लिए घर जाना है तुम मेरे साथ चलो ताकि मैं वह काम कर सकूं। फिर जब पहरेदार मान जाए तो तुम मेरे घर चली जाना और मेरी बीवी को हालात बता देना ताकि वह तुम्हारे इसी बुर्के में लिपट कर यहाँ मेरे पास आ जाए। औरत ने रो-धो कर पुलिस वाले का दिल मोम कर लिया और यूँ इमाम साहब की बीवी हवालात में उनके पास पहुँच गई।

जब सुबह हुई तो वक़्त के. हाकिम ने तलब किया कि इमाम आज़म और उस औरत को मेरे सामने पेश किया जाए। हासिदों की भीड़ मौजूद थी। जब पेशी हुई तो हाकिम ने कहा कि अबू हनीफा! तुम इतने बड़े आलिम होकर भी गुनाहे कबीरा करते हो? इमाम साहब ने कहा आप क्या कहना चाहते हैं?Imam azam Imam abu haneefa (r.a)aur hasad karne wale.

हाकिम ने कहा कि आप एक गैर औरत के साथ रात के वक़्त एक मकान में अकेले देखे गए हैं। इमाम साहब ने फरमाया कि वह गैर औरत नहीं है। हाकिम ने पूछा वह कौन है? आपने अपने ससुर की तरफ इशारा करते हुए फरमाया, इनको बुलाओ ताकि पहचान लें।

वह आए तो उन्होंने देखा तो फ़रमाने लगे यह तो मेरी बेटी है। मैंने फलां मजमे में इनका निकाह अबू हनीफा से कर दिया था। इस तरह इमाम आज़म की खुदा दाद फहम की वजह से हसद करने वालों की चाल कामयाब साबित न हुई और उनकी साज़िश ख़ाक में मिल गई।

इमाम आज़म रह० के कुछ मुखालिफ ऐसे थे जो मुख़िलस थे मगर उड़ती अफवाहों और सुनी सुनाई बातों की वजह से बदज़न हो गए थे। हदीस शरीफ़ में है कि आदमी के झूठा होने के लिए यही काफी है कि वह सुनी सुनाई बातें नकल करता फिरे ।Imam azam Imam abu haneefa (r.a)aur hasad karne wale.

मशाइख़ ने यहाँ तक फ़रमाया है कि अगर तुम्हारे सामने कोई आदमी कहे कि फ्ला आदमी ने मेरी आँख फोड़ दी है और उसकी आँख वाकई फूट चुकी हो तो भी उस वक़्त फैसला न करना जब तक दूसरे को देख न लेना। हो सकता है कि उस बंदे ने उसकी दो आँखें फोड़ दी हों। आइए इमाम आज़म रह० के मुखालिफों का दूसरा रुख़ देखें।

इमाम औज़ाई रह० मुल्के शाम में रहते थे। उन्होंने इमाम आज़म रह० के बारे में ऐसी वैसी बहुत सी बातें सुन रखी थीं। एक बार इमाम अबू हनीफ़ा रह० के शार्गिद अब्दुल्लाह बिन मुबारक रह० इमाम औज़ाई रह० की ख़िदमत में हाज़िर हुए तो उन्होंने पूछा ऐ खुरासानी ! (अब्दुल्लाह बिन मुबारक रह० की निस्बत है) अबू हनीफ़ा कौन आदमी है,

मैंने सुना वह बहुत गुमराह है। अब्दुल्लाह बिन मुबारक रह० फ़रमाते हैं कि मैं ख़ामोश हो गया। घर आया और इमाम अबू हनीफ़ा रह० के बयान किए हुए मसाइल जिस किताब में थे वह उठाई और इमाम औज़ाई रह० की ख़िदमत में पेश कर दी। उन्होंने पढ़ा तो फ़रमाने लगे, ऐ खुरासानी यह नौमान कौन शख़्स है?

उसका इल्मी पाया तो बहुत बुलंद है। उससे तुम्हें फायदा उठाना चाहिए। मैंने कहा यह वही इमाम अबू हनीफ़ा है जिनके बारे में आप बातें सुनते रहते हैं। उनका चेहरा फ़क़ हो गया और कहने लगे, हमने क्या सुना था, हक़ीक़्त क्या थी। फ़रमाया ऐ खुरासानी! उसकी सोहबत इख़्तियार कर और फायदा उठा।Imam azam Imam abu haneefa (r.a)aur hasad karne wale.

इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

खुदा हाफिज…

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