मुबाशिरत के औकात। Mubashirat ke aukat.
शरीअत ने जिमाअ के लिये कोई खास वक़्त मुकर्रर नहीं किया है। हाँ, बअज़ शरई अवारिज़ की मौजूदगी में जिमाअ करना मना है। जैसेः रोज़ा, …
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शरीअत ने जिमाअ के लिये कोई खास वक़्त मुकर्रर नहीं किया है। हाँ, बअज़ शरई अवारिज़ की मौजूदगी में जिमाअ करना मना है। जैसेः रोज़ा, …
जिमाअ यानी हमबिस्तरी से फारिग होकर मर्दो औरत दोनों अलग-अलग हो जाऐं, फिर किसी साफ कपड़े से दोनों अपने-अपने मकामे मख़्सूस को साफ कर लें। …
कुरान :- अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है: “तुम्हारी औरतें तुम्हारे लिये खेतियां हैं तो आओ अपनी खेतियों में जिस तरह चाहो।” जिमाअ के तरीक़े बहुत …
जिमाअ करना इन्सान की वह तबई और अहम ज़रूरत है जिसके बगैर इन्सान का सही तौर से ज़िन्दगी गुज़ारना मुश्किल बल्कि तकरीबन ना मुम्किन सा …
जिमाअ यानी हमबिस्तरी की ख़्वाहिश एक फितरी यानी कुदरती जज़्बा है जो हर ज़ीरूह में खिलकतन पाया जाता है। इसे बताने की ज़रूरत नहीं होती। …
जिमाअ से वह रद्दी फुज़्ला जो जिस्म में बेकार जमा हो जाता है वह ख़ारिज हुआ करता है जिससे जिस्म हल्का, तबीअत चाको चोबंद, मिज़ाज …
मुसलमान औरतों के लिए पर्दा बहुत ज़रूरी है और बेपर्दगी इन्तिहा दर्जें की बेहयाई व बेग़ैरती का सबब है। कुरान :- अल्लाह तआला इरशाद फरमाता …
हदीसः- हज़रत इब्ने अब्बास रजियल्लाहु अन्हुमा से मरवी है कि उन्होंने कहा कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः “जिसने तीन बेटियों या उनकी मिस्ल …
एक हदीस पाक हाफ़िज़ शम्सुद्दीन ज़हबी रहमतुल्लाह अलैहि ने अपनी किताब ‘अल्-कबाइर’ में नक़ल फ़रमाई है। जिसमें पता चलता है कि कौन – कौन सी …
नाज़’ की वजह से ‘अज़वाज मुतहरात” भी हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से लौट-पौट कर लिया करती थीं और आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बात का …