
(1) मुहर्रम (2) सफर (3) रबीउल अव्वल
(4) रबीउल आखिर (5) जुमादल उला
(6) जुमादल उखरा (7) रजब (8) शाबान
(9) रमज़ान (10) शव्वाल (11) जीकअदह
(12) जिलहिज्जा।
मोहर्रम की दस तारीख को इमामुश शुहदा हज़रत इमामे हुसैन और दीगर शोहदाए करबला रिज़वानुल्लाहि तआला अन्हुम अजमईन के नाम से फ़ातिहा दी जाती है।
माहे सफ़र की 25 तारीख को इमामे अहले सुन्नत इमाम अहमद रज़ा खाँ फ़ाज़िले बरैलवी अलैहिर्रहमह का यौमे विसाल है आपकी बारगाह में आशिकाने रसूल हदयए ईसाले सवाब करते हैं।
रबीउल अव्वल शरीफ़ की बारह तारीख मुस्तफ़ा जाने रहमत सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम का यौमे पैदाइश और यौमे विसाल है। आपकी बारगाहे आलिया में नज़रानए अक़ीदत पेश करते हैं।
रबीउल आखिर की 11 तारीख को पीराने पीर दस्तगीर शैख अब्दुल कादिर जीलानी गौसे पाक रज़ियल्लाहो तआला अन्हो की न्याज़ दिलाई जाती है।
रजब की 6 तारीख को हज़रत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी ग़रीब नवाज़ रज़ियल्लाहु अन्हो और इसी माह की 15 या 22 तारीख को हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ रज़ियल्लाहो अन्हो के नाम से फ़ातिहा होती है।
शअबान माह की 14 तारीख को आशिक़े रसूल हजरत उवैसे क़रनी रज़ियल्लाहो तआला अन्हो की फ़ातिहा होती है।सोने से पहले का खास वजिफा। Sone Se pahle Ka khas wazifa.
अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक़ आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे ज़िन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।
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क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।
खुदा हाफिज…