हज़त जाबिर (र.अ)फ़रमाते हैं कि अल्लाह के रसूल (स.व)ने इर्शाद फ़रमाया कि जब मोमिन को कब्र में दाखिल कर दिया जाता है तो उसको ऐसा मालूम होता है,
जैसे सूरज छिप रहा हो, तो जब उसकी रूह लौटाई जाती है तो आखें मलता हुआ उठकर बैठता है और फरिश्तों से कहता है की मुझे छोड़ दो; मैं नमाज़ पढ़ता हूं।’
मुल्ला अली कारी लिखते हैं कि गोया वह उस वक़्त अपने आप को दुनिया में ही समझता है कि सवाल और जवाब को रहने दो, मुझे फर्ज़ अदा करने दो; वक़्त ख़त्म हुआ जा रहा है; मेरी नमाज़ जाती रहेगी।
फिर लिखते हैं कि यह बात वही कहेगा जो दुनिया में नमाज़ का पाबंद था और उसको हर वक़्त नमाज़ का ख़्याल लगा रहता था। इससे बे-नमाजियों को सबक हासिल करना चाहिए और अपने हाल का इससे अंदाज़ा लगायें और इस बात को खूब सोचें कि जब अचानक सवाल होगा तो कैसी परेशानी होगी।
कब्र में मोमिन का बेख़ौफ होना और उसके सामने जन्नत पेश होना। हज़रत हज़रत अबू हुरैरा (र.अ)फ़रमाते हैं कि अल्लाह के रसूल (स.व)ने इर्शाद फरमाया कि बे-शुबहः मुर्दा अपनी कब्र में पहुंचकर बेख़ौफ़ और इत्मीनान के साथ बैठता है।
फिर उससे सवाल किया जाता है कि तू दुनिया में किस दीन में था? वह जवाब देता है कि मैं इस्लाम में था। फिर उससे सवाल होता है कि तेरे अक़ीदे में यह कौन है, जो तुम्हारी तरफ भेजे गये? वह जवाब देता है कि मुहम्मद रसूलुल्लाह (स.व)हैं जो हमारे पास अल्लाह के पास से खुले-खुले मोज्ज़े लेकर आये,
तो हमने उनकी तस्दीक की। फिर उससे पूछा जाता है कि क्या तूने अल्लाह को देखा है? वह जवाब देता है कि दुनिया में कोई आदमी अल्लाह को नहीं देख सकता फिर मैं कैसे देख लेता?
फिर उसके सामने दोज़ख की तरफ का एक रौशनंदान खोला जाता है जिसके ज़रिए वह दोज़ख को देखता है कि आग के अंगारे आपस में एक दूसरे को खाये जाते हैं। जब वह दोज़ख का मंज़र देख लेता है तो उससे कहते हैं कि देख अल्लाह ने तुझे किस मुसीबत से बचाया ?
फिर उसके सामने जन्नत की तरफ़ का एक रौशनदान खोला जाता है जिसके ज़रिए वह जन्नत की रौनक और जन्नत की दूसरी चीजें देख लेता है। फिर उससे कहा जाता है कि यह जन्नत तेरा ठिकाना है। तू यकीन ही पर ज़िंदा रहा और यकीन पर ही तुझे मौत आयी और यकीन ही पर तू कियामत के दिन क़ब्र से उठेगा। इन्शाअल्लाह तआला (अगर अल्लाह ने चाहा)
फिर फ़रमाया कि नाफरमान डरा और घबराया हुआ अपनी कब्र में बैठता है। उससे सवाल होता है कि तू दुनिया में किस दीन में था? वह जवाब देता है कि मुझे पता नहीं। फिर उससे हुजूर(स.व)के बारे में सवाल होता है कि तेरे अक़ीदे में ये कौन हैं? वह कहता है कि इस बारे में मैंने वही कहा जो और लोगों ने कहा।
फिर उसके सामने जन्नत की तरफ रौशनदान खोला जाता है, जिसके ज़रिए वह उसकी रौनक और उसके अंदर की दूसरी चीजें देख लेता है। फिर उससे कहा जाता है कि देख ! तूने खुदा की नाफरमानी की खुदा ने तुझे किस नेमत से महरूम किया।
फिर उसको दोज़ख की तरफ़ एक रौशनदान खोला जाता है जिसके ज़रिए वह दोज़ख को देख लेता है कि आग के अंगारे एक दूसरे को खाये जाते हैं। फिर उससे कहा जाता है कि यह तेरा ठिकाना है। तू शक ही पर ज़िंदा रहा और शक ही पर तुझे मौत आयी। और अल्लाह ने चाहा तो क़ियामत को भी इसी शक पर उठेगा।
इस हिदायत को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।
क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…