18/05/2025
momin ka rutba maut ke waqt aur maut ke baad

मोमिन का रुत्बा मौत के वक़्त और मौत के बाद।Momin ka rutba maut ke waqt aur maut ke baad.

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momin ka rutba maut ke waqt aur maut ke baad

हजरत बरा बिन आज़िब(र.अ)फरमाते हैं कि एक दिन हम अल्लाह के रसूल (स.व)के साथ एक अंसारी के जनाज़े में कब्रिस्तान गये। जब कब्र तक पहुंचे तो देखा कि अभी क़ब्र नहीं बनायी जा सकी है,

इस वजह से नबी करीम (स.व)बैठ गये और हम भी आप (स.व)के आस-पास अदब के साथ इस तरह बैठ गये कि जैसे हमारे सरों पर परिंदे बैठें हैं।’

अल्लाह के रसूल (स.व)के मुबारक हाथ में एक लकड़ी थी जिससे ज़मीन कुरेद रहे थे जैसे कोई दुखी आदमी किया करता है आप (स.व)ने मुबारक सर उठाकर फ़रमाया कि कब्र के अज़ाब से पनाह मांगो। दो या तीन बार यही फ़रमाया।

फिर फ़रमाया कि बेशक जब मोमिन बंदा दुनिया से जाने और आखिरत का रुख करने को होता है तो उसकी तरफ आसमान से फ़रिशते आते हैं, जिनके सफेद चेहरे सूरज की तरह रौशन होते हैं। उनके साथ जन्नती कफ़न होता है और जन्नत की खुश्बू होती है।

यह फरिश्ते इतने होते हैं कि जहां तक उसकी नज़र पहुंचे, वहां तक बैठ जाते हैं। फिर हज़रत मलकुल मौत (मौत का फरिश्ता) तशरीफ लाते हैं यहां तक कि उसके पास बैठ जाते हैं और फ़रमाते हैं कि ऐ पाक रूह!

अल्लाह की मगफिरत और उसकी रजामंदी की तरफ निकल कर चल। चुनांचे उसकी रूह इस तरह आसानी से निकल आती है जैसे मशकीज़ा (छोटी मशक) में से पानी का कतरा बहता हुआ बाहर आ जाता है।

तो उसे हज़रत मलकुल मौत ले लेते हैं। उनके हाथ में लेते ही दूसरे फरिश्ते जो दूर तक बैठे होते हैं पल भर भी उनके हाथ में नहीं छोड़ते, यहां तक कि उसे लेकर उसी कफ़न और खुश्बू में रख कर आसमान की तरफ़ चल देते हैं।

उस खुश्बू के बारे में ईशाद फ़रमाया कि ज़मीन पर जो अच्छी से अच्छी खुश्बू पायी गई है, उस-जैसी वह खुश्बू होती है। फिर फ़रमाया कि उस रूह को लेकर फरिश्ते आसमान की तरफ चढ़ने लगते हैं और फरिश्ते की जिस टोली पर भा इनका गुज़र होता है,

वह कहते हैं कि यह कौन पाक रूह है। वह उसका अच्छे से अच्छा नाम लेकर जवाब देते हैं। जिससे दुनिया में बुलाया जाता था कि फ़्लां का बेटा फ़्लां है। इसी तरह पहले आसमान तक पहुंचते हैं और आसमान का दरवाज़ा खोलने के लिए कहते हैं और आसमान का दरवाज़ा खोल दिया जाता है,

और वह इस रूह को लेकर ऊपर चले जाते हैं; यहां तक कि सातवें आसमान पर पहुंच जाते हैं। हर आसमान के क़रीबी फरिश्ते दूसरे आसमान तक उसे विदा करते हैं। जव सातवें आसमान तक पहुंच जाते हैं तो अल्लाह तआला फ़रमाते हैं कि मेरे वन्दे को ‘इल्लीयीन की किताब’ यानी नेकों के दफ़्तर में लिख दो और उसे ज़मीन पर वापस ले जाओ।

क्योंकि मैंने इंसान को ज़मीन ही से पैदा किया है और उसी में लौटा दूंगा और उसी से उनको दोबारा निकाल लूंगा । चुनांचे उसकी रूह उसके जिस्म में वापस कर दी जाती है। इसके बाद दो फरिश्ते मुन्किर और नकीर उसके पास आते हैं,

जो आकर उसे बिठाते हैं और उससे सवाल करते हैं कि तेरा रब कौन है। वह जवाब देता है मेरा रब अल्लाह है। फिर उससे पूछते हैं कि तेरा दीन क्या है? वह जवाब देता है मेरा दीन इस्लाम है। फिर उससे पूछते हैं कि यह कौन साहब हैं जो तुम्हारे अंदर भेजे गये? वह कहता है कि वह अल्लाह के रसूल हैं।

फिर उससे पूछते हैं कि तेरा अमल क्या है? वह कहता है कि मैंने अल्लाह की किताब पढ़ी सो उस पर ईमान लाया और उसकी तस्दीक की। इसके बाद एक मुनादी (आवाज़ देने वाला) आसमान से आवाज़ देता है (जो अल्लाह का मुनादी है कि मेरे बन्दे ने सच कहा सो उसके लिए जन्नत के बिछौने बिछा दो और उसको जन्नत के कपड़े पहना दो और उसके लिए जन्नत की तरफ़ दरवाज़ा खोल दो ।

चुनांचे जन्नत का दरवाज़ा खोल दिया जाता है जिसके ज़रिये जन्नत का आराम और खुश्बू भीतर आती रहती है और उसकी कब्र इतनी फैला दी जाती है की जहां तक उसकी नज़र पहुंचे। इसके बाद बहुत ही खूबसूरत चेहरे वाला, बेहतरीन कपड़ों वाला, और पाक खुश्बू वाला एक आदमी उसके पास आकर कहता है कि खुशी की चीज़ों की खुशखबरी सुन ले।

यह तेरा वह दिन है जिसका तुमसे वादा किया जाता था। वह कहता है तुम कौन हो? तुम्हारा चेहरा सच में चेहरा कहने के कबिल है और इस कबिल है कि अच्छी ख़बर लाए। वह कहता है मैं तेरा अच्छा अमल हूं।

इसके बाद वह खुशी में कहता है कि ऐ रब! कियामत कायम फरमा । ऐ रब ! क़ियामत कायम फरमा ताकि मैं’ अपने बाल-बच्चों और माल में पहुंच जाऊं।

इस हिदायत को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

खुदा हाफिज…

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