19/05/2025
जिमाअ करने का तरीक़ा। 20250503 014223 0000

जिमाअ के बाद का अमल। Jima ke bad Ka Amal.

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Jima ke bad Ka Amal.
Jima ke bad Ka Amal.

जिमाअ यानी हमबिस्तरी से फारिग होकर मर्दो औरत दोनों अलग-अलग हो जाऐं, फिर किसी साफ कपड़े से दोनों अपने-अपने मकामे मख़्सूस को साफ कर लें। दोनों का कपड़ा अलाहदा-अलाहदा होना चाहिये।

एक ही कपड़े से साफ न करें कि यह नफरतो जुदाई का सबब है। फिर औरत को सीधी करवट पर लेटे रहने का हुक्म दें, ताकि अगर नुत्फा करार पा जाए तो लड़का पैदा हो, अगर उल्टी कर्वट पर लेटेगी तो लड़की पैदा हो सकती है और फराग़त के बाद दिल ही दिल में इस आयत की तिलावत करेः
“अलहम्दु लिल्लाहिल्लज़ी खलक मिनल माइ बशरन फजअलहू नसबन व सिहरन व काना रब्बुका कदीरन” (मुजर्रबाते सुयूती पेज 42)जिमाअ का बयान। Jima ka bayan.

जिमाअ के फौरन बाद पानी नहीं पीना चाहिये। ऐसा करने से दम्मा का मर्ज़ लाहिक हो सकता है। हाँ, अगर गुन्गुना दूध पी लिया जाए तो कुछ हरज नहीं।

जिमाअ के बाद फौरन ठन्डे पानी से गुस्ल करना नुक्सान दह है। इससे बुखार आने का अन्देशा होता है। अगर गुस्ल ही करना है तो इतनी देर रुका रहे कि बदन की हरारत एतिदाल पर आ जाए। हाँ फौरन उज़्व को धो लेना चाहिये कि इससे बदन तन्दरूस्तो क्वी हो जाता है। (दुस्तानुल आरिफीन पेज 138)

फरागत के बाद मर्दो औरत दोनों को पेशाब कर लेना चाहिये, नहीं तो किसी ला-इलाज मर्ज़ में मुब्तिला हो सकता है।
(बुस्तानुल आरिफीन पेज 139

अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे ज़िन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।

इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें। ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।

खुदा हाफिज…

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