बीवी से ज़िन्दगी में एक मरतबा सोहबत करना कज़ाअन वाजिब है और हुक्म येह है कि औरत से सोहबत कभी कभी करता रहे । इस के लिए कोई हद (तअदाद मुकर्रर Fix ) नहीं मगर इतना तो हो कि औरत की नजर औरों की तरफ न उठे और इतना ज़्यादा भी जाइज़ नहीं कि औरत को नुकसान पहुँचे ।
(कानूने शरीअत, जिल्द 2 सफा 63)
हद से ज़्यादा सोहबत करने से मर्द और औरत दोनों के लिए नुकसान है इससे ख़ास तौर पर मर्द की सेहत चौपट हो जाती है। सेहत की कमज़ोरी की वजह से जब मर्द औरत की पहले की तरह ख़्वाहिश पूरी करने में नाकाम होता है।
जिस की वोह पहले से आदी हो चुकी होती हैं और औरत को आदत के मुताबिक पूरी तसल्ली नहीं होती तो वोह फिर पड़ोस और बाहर वोह चीज़ तलाश करने की कोशिश करती है और फिर एक नई बुराई का जन्म होता है इस लिए ज़रूरी है कि कुदरत के इस अनमोल ख़ज़ाने का इस्तेमाल अहतियात से किया जाए ।Ziyada Sohbat(Hambistari)Nuqsandeh.
हकीमों ने लिखा हैं कि ज़्यादा से ज़्यादा हफ्ते में दो मरतबा सोहबत की जाए । हकीम बुकरात जो एक बहुत बड़ा हकीम था और हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम से 450 साल पहले गुज़रा है उससे किसी ने पूछा, “सोबहत हफ्ते में कितनी मरतबा करनी चाहिये ?
उसने जवाब दिया “हफ्ते में सिर्फ एक मरतबा ” पूछने वाले ने फिर पूछा- “एक मरतबा ही क्यों ? बुकरात ने झल्ला के जवाब दिया “तुम्हारी ज़िन्दगी है तुम जानो मुझ से क्या पूछते हो” गोया येह इशारा था कि ज्यादा सोहबत करोगे तो कमज़ोर होगे और ज़िन्दगी ख़तरे में पड़ सकती है।
फकीहे अबूललैस समरक़न्दी रजि अल्लाहो तआला अन्हो रिवायत करते हैं कि हज़रत मौला अली रजिअल्लाहो तआला अन्हों ने इरशाद फरमाया- “जो शख्स इस बात का ख़्वाहिशमन्द हो कि उसकी सेहत अच्छी हो और ज्यादा दिनों तक कायम रहे तो उसे चाहिये कि वोह कम खाया करे और औरत से कम सोहबत किया करे ।(बुस्तान शरीफ)Ziyada Sohbat(Hambistari)Nuqsandeh.
आज के इस फैशन और नंगाई के दौर में जज्बात बहुत जल्द बे काबू हो जाते है इसलिए ध्यान रखें कि बीवी की अगर ख्वाहिश हो तो इन्कार भी न करे वरना जहेन भटकने का अंदेशा है वैसे तो आम तौर पर एक सेहतमन्द औरत जिन्सी ताकत में एक सेहतमन्द मर्द का मुकाबला नहीं कर सकती है ।
कुछ लोग शादी के बाद शुरू शुरू में औरत पर अपनी कुव्वत व मर्दानगी का रोब डालने के लिए दवाओं का या किसी इस्पीरे या फिर तेल वगैरा का इस्तेमाल करते है जिस से औरत को और उन्हें खूब मज़ा आता है । लेकिन बाद में उस का उल्टा असर होता है ।
औरत उस चीज़ की आदी हो जाती है फिर बाद में अगर वोह दवा या इस्पीरे वगैरा का इस्तेमाल न किया जाए तो औरत को तसल्ली नहीं होती । और वोह अपनी तसल्ली के लिए मर्द को उस का इस्तेमाल करने पर मजबूर करती है।
दवाओं के मुसलसल इस्तमाल से मर्द की सेहत चौपट हो जाती है वोह दवाओं का आदी हो कर जल्द ही तरह तरह की बीमारियों का शिकार बन जाता है। मर्द अगर यह दवाएँ इस्तेमाल न करे तो औरत को पहले की तरह तसल्ली नहीं होती जिस की वोह आदी बन चुकी है।Ziyada Sohbat(Hambistari)Nuqsandeh.
ऐसी हालत में औरत के बदचलन होने का भी ख़तरा होता है या फिर वोह दिमागी मरीज़ बन जाती है। लिहाज़ा कुव्वते मर्दाना को बढ़ाने के लिए दवाओं, इस्पीरे व तेल वगैरा की बजाए ताकतवर गिजाओं का इस्तेमाल करे ।
गिजा के ज़रिये बढ़ाई हुई ताकत ख़त्म नहीं होती और न ही इससे किसी तरह का नुकसान होता है ।
इन हदीसो को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।
क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…