19/05/2025
Hambistari ke dauran kisi aur ka khayal

हमबिस्तरी के दौरान किसी और का ख़्याल ।Hambistari ke Dauran kisi aur ka khayal.

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Hambistari ke dauran kisi aur ka khayal

सोहबत के दौरान मर्द किसी दूसरी औरत का और औरत किसी दूसरे मर्द का ख़्याल न लाऐं। यानी ऐसा न हो कि मर्द सोहबत तो करे अपनी बीवी से और तसव्वुर (कल्पना) करे कि किसी और औरत से सोहबत कर रहा हूँ।

और इसी तरह औरत किसी और मर्द का तसव्वर करे तो येह सख्त गुनाह है । हुजूर पुरनूर सैय्यदना गौसे आज़म शेख अब्दुल कादिर जीलानी रजि अल्लाहो तआला अन्हु अपनी मशहूर किताब “गुन्यातुत्तालेबीन” में नकल फरमाते है कि- “सोहबत के दौरान मर्द अपनी बीवी के अलावा किसी दूसरी औरत का ख़्याल लाए तो येह सख्त गुनाह है और एक किस्म का (छोटा) जिना ( बलत्कार) है” ।(गुन्यातुत्तालेबीन)

सोहबत के बाद पानी न पीये:-
जैसा कि हम पहले ही बयान कर चुके है कि सोहबत करने के बाद जिस्म का दर्जा-ए-हरारत (Temperature) बढ़ जाता इस लिए उस वक्त प्यास भी महसूस होती है । लेकिन ख़बरदार ! सोहबत करने के फौरन बाद भूल कर भी पानी न पीये हकीमों ने लिखा है कि–“सोहबत करने के फौरन बाद पानी नहीं पीना चाहिये क्योंकि इससे दमा (सॉस) की बीमारी हो जाती है। (मौला महफूज रखें)Hambistari ke Dauran kisi aur ka khayal.

दोबारा सोहबत करना हो तो :-
एक रात में एक मरतबा सोहबत करने के बाद उसी रात में दूसरी मरतबा सोहबत करने का इरादा हो तो मर्द और औरत दोनों वुज़ू करलें कि येह फायदेमन्द है । और अगर सोहबत न भी करना हो तो वुज़ू कर के सो जाए ।

हदीस :- हज़रत उमर व अबू सईद खुदरी रजि अल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत है, नबी-ए-करीम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया-
“जब तुम में कोई अपनी बीवी से एक मरतबा सोहबत के बाद दोबारा सोहबत का इरादा करे तो उसे वुज़ू करना चाहिये” ।(तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द 1 सफा 139, इब्ने माजा, जिल्द 1 सफा 188)

इमाम गज़ाली रजि अल्लाहो तआला अन्हो नकल फरमाते है- “एक बार सोहबत कर चुके, और दोबारा सोहबत का इरादा हो तो चाहिये कि अपना बदन धो डाले यानी वजू कर ले और अगर ना पाक आदमी कोई चीज़ खाना चाहे तो चाहिये कि वज़ू कर ले फिर खाये और सोना चाहे तो भी वज़ू कर के सोए अगरचे वुजू करने के बाद भी ना पाक ही रहेगा ( जब तक गुस्ल न करले) लेकिन सुन्नत यही है”।Hambistari ke Dauran kisi aur ka khayal.

वज़ू करके सोए :-
सोहबत करने के बाद अगर सोने का इरादा हो तो मर्द और औरत दोनों पहले अपनी शर्मगाह को धो लें और वज़ू करलें फिर उस के बाद सो जाए ।

हदीस :- हज़रत आएशा रजि अल्लाहो तआला अन्हा फरमाती है–“रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम हालते जनाबत में (सोहबत के बाद) सोने का इरादा फ़रमाते तो अपनी शर्मगाह धो कर नमाज़ जैसावुज़ू कर लेते थे” । फिर आप(स.व)सो जाते। (बुखारी शरीफ, जिल्द 1 सफा नं. 194, तिर्मिजी शरीफ, जिल्द 1 सफा 129)

बीमार औरत से सोहबत :-
औरत अगर किसी दुख, परेशनी या बीमारी में मुबतेला हो तो उस की सेहत का ख्याल किये बगैर हरगिज़ सोहबत न करे, वैसे भी इन्सानियत का तकाजा भी येही है कि दुखी या बीमार इन्सान को और तकलीफ न दी जाए बल्कि उसे आराम और सुकून दे ।

सोहबत मज़े के लिए न हो :-
हज़रत मौला अली मुश्किलकुशा रजि अल्लाहो तआला अन्हु ने अपनी वसीयत में और हज़रत इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली रजि अल्लाहो अन्हो ने अपनी किताब “कीम्या-ए-सआदत” में नकल किया है कि- “जब कभी सोहबत करे तो नियत सिर्फ मज़ा लेने या शहवत (Sex) की आग बुझाने की न हो बल्कि नियत येह रखे कि जिना से बचूंगा और औलाद नेक होगी । अगर इस नियत से सोहबत करेगा तो सवाब मिलेगा ।”(वसाया शरीफ, कीम्या-ए-सआदत, सफा नं 255 )

इन हदीसो को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

खुदा हाफिज…

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