18/05/2025
एक ईमान अफ़रोज़ मुकालमा। 20250504 013102 0000

एक ईमान अफ़रोज़ मुकालमा। Ek Imaan Afroz Mukalma.

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Ek Imaan Afroz Mukalma.
Ek Imaan Afroz Mukalma.

अज़ाब दो क़िस्म के होते हैं ज़मीनी और आसमानी । ज़मीनी आफ़तों के लिये तो अल्लाह तआला और उसके रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने उसूल बताए हैं,

रही आसमानी आफ़तें तो उनका सिर्फ एक ही हल है तौबह। फ़र्द हो या क़ौम, कमोबेश 25 मसाइल का शिकार होते हैं उनका हल अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने कुछ यूँ तजवीज़ फ़रमाया :-

एक शख़्स नबी-ए-करीम सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम के दरबार में हाज़िर हुआ और अर्ज़ की या रसूलल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ! मैं कुछ पूछना चाहता हूँ ?

फ़रमाया: हाँ, कहो। दरबार में उस वक़्त हज़रत खालिद बिन वलीद रज़ियल्लाहो तआला अन्हो भी मौजूद थे, इन्होंने हदीसे मुबारका तहरीर करके अपने पास रख ली, इसके बाद यह फ़रमान कन्जुल उम्माल, मुस्नद अहमद में मनकूल हुआ।

अर्ज़ :- या रसूलल्लाह मैं अमीर (मालदार) बनना चाहता हूँ ?

इरशाद :- किनाअत यानी थोड़े पर सब्र इख़्तियार करो, अमीर हो जाओगे।

अर्ज़ :- मैं सबसे बड़ा आलिम बनना चाहता हूँ ?

इरशाद :- तक़वा यानी परहेज़गारी इख्तियार करो आलिम बन जाओगे।

अर्ज़ :- इज़्ज़त वाला बनना चाहता हूँ?

इरशाद :- मखलूक़ के सामने हाथ फैलाना बन्द करो, बा इज़्ज़त रहोगे।

अर्ज़ :- अच्छा आदमी बनना चाहता हूँ?

इरशाद :- लोगों को नफ़ा पहुँचाओ।

अर्ज़ :- आदिल यानी इन्साफ़ करने वाला बनना चाहता हूँ?

इरशाद :- जिसे अपने लिये अच्छा समझते हो, वही दूसरों के लिये पसन्द करो।

अर्ज़ :- ताक़तवर बनना चाहता हूँ?

इरशाद :- अल्लाह पर तवक्कुल यानी मुकम्मल भरोसा करो।

अर्ज़ :- अल्लाह के दरबार में ख़ास दर्जा चाहता हूँ?

इरशाद :- कसरत से ज़िक्र करो।

जिमाअ के आदाब। Jima ke Aadab.

अर्ज़ :- रिज़्क़ में कुशादगी यानी तरक़्क़ी चाहता हूँ ?

इरशाद :- हमेशा बा वुज़ू रहो।

अर्ज़ :-दुआओं की मक़बूलियत चाहता हूँ ?

इरशाद :- हराम न खाओ।

अर्ज़ :- ईमान की तकमील चाहता हूँ?

इरशाद :- अख्लाक़ अच्छा कर लो।

अर्ज़:- क़ियामत के रोज़ अल्लाह से पाक होकर मिलना चाहता हूँ?

इरशाद :- जनाबत (गुस्ल फ़र्ज़ होने) के बाद गुस्ल कर लिया करो।

अर्ज़ :- गुनाहों की कमी चाहता हूँ?

इरशाद :- कसरत से इस्तिग़फ़ार किया करो।

अर्ज़ :- क़ियामत के रोज़ नूर (रोशनी) में उठना चाहता हूँ?

इरशाद :- जुल्म करना छोड़ दो।

अर्ज़ :- चाहता हूँ अल्लाह मुझ पर रहम करे ?

इरशाद :- अल्लाह के बन्दों पर रहंम करो।

अर्ज़ :- चाहता हूँ अल्लाह मेरी परदापोशी फ़रमाए ?

इरशाद :- लोगों की परदापोशी करो।

अर्ज़ :- रुसवाई से बचना चाहता हूँ?

इरशाद :- ज़िना से बचो।

अर्ज़ :- चाहता हूँ अल्लाह और उसके रसूल का महबूब बन जाऊँ ?

इरशाद :- जो अल्लाह व उसके रसूल सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम का महबूब हो उसको अपना महबूब बना लो।

अर्ज़ :- अल्लाह का फ़रमाबरदार बनना चाहता हूँ ?

इरशाद :- फ़राइज़ का एहतिमाम करो।

अर्ज़ :- एहसान करने वाला बनना चाहता हूँ ?

इरशाद :- अल्लाह की यूँ बन्दगी करो जैसे तुम उसे देख रहे हो या जैसे वह तुम्हें देख रहा है।

अर्ज़ :- या रसूलल्लाह ! क्या चीज़ गुनाहों से मुआफ़ी दिलाती है ?

इरशाद :- आंसू, आजिज़ी और बीमारी।

अर्ज़ :- क्या चीज़ दोज़ख की आग को ठन्डा करती है ?

इरशाद :- दुनिया की मुसीबतों पर सब्र ।

अर्ज़ :- अल्लाह के ग़ज़ब को क्या चीज़ सर्द करती है?

इरशाद :- चुपके चुपके सदक़ा और सिला रहमी

अर्ज़ :- सबसे बड़ी बुराई क्या है ?

इरशाद :- बद अखलाक़ी और बुख्ल (कन्जूसी)

अर्ज़ :- सबसे बड़ो अच्छाई किया है ?

इरशाद :- अच्छा अखलाक़ तवाज़ो और सब्र।

अर्ज़ :- अल्लाह के ग़ज़ब से बचना चाहता हूँ ?

इरशाद :- लोगों पर गुस्सा करना छोड़ दो।

अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक़ आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे ज़िन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।

इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें। ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।

खुदा हाफिज…

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