18/05/2025
Aulad hone ke liye behtareen aml

औलाद होने के लिए बेहतरीन अमल।Aulad hone ke liye Behtareen Amal.

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Aulad hone ke liye behtareen aml

नबी-ए-करीम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम को बच्चों से बहुत मुहब्बत थी और आप(स.व)ने बच्चे पैदा करने को पसंद फ़रमाया।

लेकिन अफसोस आज कल ज़्यादा तर औरतें बच्चे पैदा करने से कतराती हैं कुछ बेवकूफ औरतों का ख्याल है कि बच्चा पैदा करने से औरत की खूबसूरती ख़त्म हो जाती है और वोह मोटी भद्दी और बद सूरत हो जाती है ! येह सब जहालत की बातें, और शैतानी वसवसे हैं ।

हदीस :- उम्मुल मोमिनीन हज़रत आएशा सिद्दीका रजिअल्लाहो तआला अन्हा से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने इरशाद फरमाया- “जो हामला (पेट वाली) औरत हमल की तकलीफ को बरदाश्त करती है उसे अल्लाह की राह में जिहाद करने वाला सवाब मिलता है और जब उसे बच्चा पैदा होने का दर्द होता है तो हर दर्द के बदले उसको एक गुलाम आज़ाद करने का सवाब दिया जाता है”। (गुन्यतुत्तालेबीन, बाब नं. 5. सफा नं. 113)Aulad hone ke liye Behtareen Amal.

हदीस :- रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया-“काली बच्चे देने वाली मुझ को ज्यादा पसंद है खूबसूरत बांझ से”। (मुस्नदे इमामे आज़म, बाब नं. 120, सफा नै 271, कीम्या-ए-सआदत) औलाद की तरबियत कैसे करें?

इमाम गज़ाली रजिअल्लाहो तआला अन्हो फरमाते हैं हुज़ूरे अकदस सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया- ” औलाद की खुशबू जन्नत की खुशबू है” ।(मुकाशेफतुल कुलूब, सफा नं. 515)

इस हदीस से यह साबित होता है कि जो बच्चे पैदा करने को अयेब समझते है वोह जन्नत की खुशबू से महरूम हैं ।

औलाद न होने की वजाहत :-

कुछ लोगों को औलाद नहीं होती इस की बहुत सी वजूहात हो सकती हैं मसलन- अल्लाह तआला की मर्ज़ी येही है कि औलाद न हो । चुनानचे इस बात के सुबूत में येह दलील सब से ज्यादा अहेम होंगी के हुजूरे अकरम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम की कुल ग्याहरा ( 11 )बीवीयों थीं।

लेकिन आप (स.व)को औलाद सिर्फ दो बीवीयों से ही हुई बाकी बीवीयों से आप को कोई औलाद न हो सकी, अल्लाह तआला की मर्ज़ी यही थी। येह नहीं कि मआजल्लाह हुज़ूर की दूसरी बीबीयों में कोई नुक्स था और न ही मआजल्लाह सरकार में, ।Aulad hone ke liye Behtareen Amal.

हदीस :- हज़रत इमाम अबूल फजल काज़ी अय्याज रजि अल्लाहो तआला अन्हो अपनी सनद के साथ हज़रत अनस रजि अल्लाहो तआला अन्हो से रिवायत करते है- “हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम को कुव्वते मर्दाना तीस मर्दों के बराबर अता की गई थी। और हज़रत इमाम ताऊस रजिअल्लाह तआला अन्हो से मरवी है कि हुजूर को चालीस मर्दों की ताकत अता फरमाई गई थी” ।(शिफा शरीफ, जिल्द 1 बाब नं. 2, फसल नं. 8, सफा नं. 155 ) हमबिस्तरी का तरीका।

लिहाज़ा इन तमाम बातों से यह साबित होता है कि औलाद से नवाजने वाला हकीकत में अल्लाह रब्बुल ईज्ज़त ही है वोह जिसे चाहे अता करता है और जिसे न चाहे अता नहीं करता । उसके अता करने में और महरूम रखने में भी हज़ारों हिकमतें है जिसे वही सब से बेहतर जानता है । Aulad hone ke liye Behtareen Amal.

अगर वोह देना चाहे तो कोई उसे रोक नहीं सकता- चुनानचे हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम व हज़रत सारा रजि अल्लाहो अन्हा को जब अल्लाह ने बेटे (हज़रत इसहाक अलैहिस्सलाम) से नवाज़ा तो उस वक़्त हज़रत इब्राहीम (अ.स)की उमर 120 साल और हज़रत सारा की उमर 99 साल थी ।

बच्चे न होने की वजह यह भी हो सकती है कि मर्द की मनी में बच्चा पैदा करने वाले कीड़े ही न हो या फिर कमज़ोर हो । बचपन या जवानी की गलतीयों की वजह से ना मर्द हो चुका हो । औरत बान्झ हो, यानी उसकी बच्चादानी में औलाद पैदा करने वाले अन्डे न हो ।

औरत की बच्चा दानी का मुँह बन्द हो । इस तरह की कई वजूहात हो सकती है जिस की वजह से औलाद की पैदाईश में रूकावट हो सकती है । अगर मियाँ, बीवी दोनों ही सेहतमन्द हो तो दो (2) साल के अन्दर पहला हमल करार पा जाता है।

अक्सर घरों में जब 4 या 5 साल गुज़र जाने पर भी औरत को हमल नहीं ठहरता तो घर की बूढ़ी औरतें औरत को बान्झ समझने लगती है कोई भी औरत हो अगर उसे शुरू ही से हैज़ (माहवारी) का खून हर महीने मुकर्ररा तारीख ( Fix Period) पर बगैर किसी तकलीफ के आता है और कम से कम तीन दिन और ज़्यादा से ज्यादा दस दिन तक जारी रहता है तो ऐसी औरत को बान्झ नहीं कहा जा सकता ।औरतों की बीमारियाँ नुस्खे और रुहनी इलाज।

बच्चा न होने की वजह और कोई दूसरी हो सकती है इस लिए अल्लाह से औलाद के लिए दुआ करे और मर्द व औरत दोनों अपना चेकअप (मुआइना) कराए और इलाज की तरफ रूख़ करें। हम यहाँ चन्द वज़ीफे नकल कर रहे है जो आसान भी है और इन्शाअल्लाह इस की बरकत से घर में खुशीयाँ भी आएगी ।

हदीस :- हज़रत मौला अली रजिअल्लाहो तआला अन्हो रिवायत करते हैं कि-“एक शख्स रसूले खुदा सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम की ख़िदमत में आया और अर्ज़ किया “या रसूलुल्लाह ! मेरे घर औलाद नहीं होती” । हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया “तो अंडे खाया कर” ।

औलाद होंगी या नहीं !

अक्सर बे औलाद, औलाद की ख़्वाहिश में बड़ी बड़ी रकमे बरबाद कर देते हैं इस लिए दवाओं पर रूपये लगाने से पहले इम्तिहान ज़रूरी है । इसके लिए हम यहाँ एक अमल लिख रहे हैं जिस से इन्शाअल्लाह पता चल जाएगा कि औलाद किस्मत में है या नहीं ।

अमल :- औरत को चाहिये कि जुमेरात को रोज़ा रखें, इफ्तार के वक्त इतना दूध ले जो पेट भर कर पी सके, फिर सात (7) बार सूरए “मुजम्मिल” पढ़े । बेहतर येह हैं कि औरत खुद पढ़े अगर सही न पढ़ संके तो किसी आलिम या हाफ़िज़ से पढ़वा कर दूध पर दम करवाए फिर इसी दूध से रोजा इफ्तार करे ।इस्तेहाजा और उस का हुक्म।

अगर दूध हज़म हो जाए तो इन्शाअल्लाह औलाद होगी । और अगर दूध हज़म न हुआ तो (अल्लाह न करे) फिर सब्र करे। यानी औलाद न होगी । लेकिन फिर भी अल्लाह चाहे तो अता फरमा सकता है, अल्लाह की कुदरत से मायूस न हो क्योंकि मायूसी मुसलमान का काम नहीं । (शम् शबिस्ताने रजा, जिल्द 1, सफा नं. 37 )Aulad hone ke liye Behtareen Amal.

इन हदीसो को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

खुदा हाफिज…

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