हदीस शरीफ में आया है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया “अल्लाह पाक के अस्माए-हुस्ना जिन के साथ दुआ माँगने का हमें हुक्म दिया गया है 99 हैं जो शख़्स उन का अहतियात कर लेगा यानी उन में दाखिल होगा। उनको याद कर के पढ़ता रहेगा वह जन्नत मे दाखिल होगा।
(1) अल्लाहु :- अल्लाह का नाम जो रोज़ाना एक हज़ार मर्तबा “या अल्लाहु पढ़ेगा, अल्लाह ने चाहा तो उस के दिल से शक व शुब्हा दूर हो जायेंगे विश्वास और हौसला की शक्ति पैदा होगी। ऐसा बीमार जिसका ” इलाज संभव नहीं ज़्यादा से ज्यादा बार “या अल्लाहु का बिर्द करे और इस के बाद सेहत की दुआ माँगे तो उसे पूरी तरह सेहत नसीब होगा।
(2) अर्रहमान :- बहुत अधिक रहम करने वाला जो शख़्स रोज़ाना हर नमाज के बाद 100 मर्तबा “या रहमानु” पढ़ेगा, तो उस के दिल से अल्लाह ने चाहा तो हर तर की सख्ती और सुस्ती दूर हो जयेगी ।
(3) अर्रहीम :- बड़ा मेहरबान = जो शख्स रोजाना हर नमाज के बाद 100 मर्तबा “या रहीमु” पढ़ेगा दुनिया की तमाम आफ़तों और विवादों से अल्लाह ने चाहा तो महफूज रहेगा और तमाम मख्लूक उस पर मेहरबान हो जाएगी।
(4 ) अल्मलिकु :- या हकीकी बादशाह = जो शख्स रोजाना सुबह की नमाज के बाद “या मलिकु” को अधिक से अधिक पढ़ेगा अल्लाह उसे ग़नी फ़रमा देंगे।
(5) अल कुद्दूसु :- बुराइयों से पाक-साफ = जो शख्स रोजाना जवाल ( सूरज ढलने के बाद इस नाम को ज्यादा से ज़्यादा पढ़ेगा, अल्लाह ने चाहा तो उस का दिल रूहानी बीमारियों से पाक हो जायेगा।
(6) अस्सलामु :- बे ऐब जात ,जो शख़्स ज़्यादा से ज्यादा इस नाम को पढ़ा करेगा, अल्लाह ने चाहा तो तमाम आफतों से सुरिक्षत रहेगा। जो शख्स 115 मर्तबा इस नाम को पड़ कर बीमार आदमी पर दम करेगा, अल्लाह तआला उस को सेहत अता करेंगे।Allah ke naamo ki fazilat ki fazilat aur wazife.
(7) अल् मोमिनु :- अम्न और ईमान देने – वाला जो शख्स किसी डर के समय 360 मर्तबा इस नाम को पढ़ेगा, अल्लाह ने चाहा तो हर तरह के डर और नुक्सान से महफूज़ रहेगा। जो शख्स इस नाम को पढ़े या लिख कर अपने पास रखे, उसका जाहिर और बातिन अल्लाह पाक की हिफाजत में रहेगा।
(8) अल मुहैमिनु :- देख-रेख करने वाला -जो शख़्स नहाने के बाद दो रक्अत नमाज़ पढ़े और सच्चे दिल से 100 मर्तबा यह नाम पढ़े, अल्लाह तआला उसके जाहिर और बातिन को पाक कर देंगे। और जो आदमी 115 मर्तबा पढे तो अल्लाह ने चाहा तो पोशीदा चीज़ों की जानकारी हो जायेगी।
(9) अल अज़ीज़ु :- जो शख्स 40 दिन तक 40 मर्तबा इस नाम को पढ़ेगा, अल्लाह तआला उस को इज्ज़त वाला बना देंगे और हर तरह से बे नियाज़ बना देंगे। और जो शख्स फज्र की नमाज के बाद 41 मर्तबा पढ़ता रहे वह अल्लाह ने चाहा तो किसी का मोहताज न होगा और बदनामी के बाद नेकनामी पायेगा।
(10) अल् जब्बारू :- सब से ज़र्बदस्त -जो शख्स रोज़ाना सुबह- शाम 236 मर्तबा इस नाम को पढ़ेगा, अल्लाह ने चाहा तो जालिमों के अत्याचार और ज्यादती से महफूज़ रहेगा । और जो शख़्स चाँदी की अंगूठी पर यह नाम खुदाई कर के पहनेगा उसका रोब और दबदबा लोगों के दिलों में पैदा होगा। दुआ माँगने की फ़ज़ीलत ।
(11) अल् मु-त-कब्बिरू :- बड़ाई और बुर्जुगी वाला- जो शख्स ज्यादा- ज्यादा इस नाम को पढ़ेगा अल्लाह तआला उस शख्स को बडाई अता फरमायेंगे। और अगर काम शुरु करने से पहले इस नाम को ज्यादा से ज़्याद पढ़ेगा तो अल्लाह तआला उसे इज्जत और काम में कामियाबी होगी।
(12) अल खालिकु :- पैदा करने वाला जो शख़्स सात दिन तक लगातार 100 मर्तबा इस नाम को पढ़ेगा तो अल्लाह ने चाहा तो तमाम आफतों से सुरक्षित रहेगा। जो शख़्स हमेशा इस नाम को पढ़ता रहे तो अल्लाह पाक एक फरिश्ता मुकर्रर कर देते हैं जो उसकी तरफ से इबादत करता है और उस का चेहरा चमकता रहता है।Allah ke naamo ki fazilat ki fazilat aur wazife.
(13) अल बारिउ :- जान डालने वाला = अगर बाँझ औरत सात रोज़े रखे और पानी से रोज़ा खोलने के बाद 21 मर्तबा “अल् बारिउल मुसव्विरूं पढ़े, अल्लाह ने चाहा तो उसे औलाद हासिल होगी ।
(14) अल् मुसव्विरु :- की भी खासियत 13 जैसी ही है।
(15) अल गफ्फारु :- माफ करने और पर्दा डालने वाला जो शख्स जुम्आ की नमाज़ के बाद 100 मर्तबा इस नाम को पढ़ेगा, अल्लाह ने चाहा तो उस पर माफी के असर जाहिर होने लगेंगे। और जो शख़्स अस्र की नमाज़ के बाद रोज़ाना “था गफ्फारू इगफिरली” पढ़ेगा, अल्लाह तआला उसको बख्शे हुये लोगों में दाखिल करेंगे।
(16) अल कहहारु :- सब को अपने काबू में रखने वाला जो शख्स दुनिया की मुहब्बत में गिरफ्तार हो अधिक से अधिक बार इस नाम को पढ़े तो इन शाअल्लाह दुनिया की मुहब्बत उसकी जाती रहेगी और अल्लाह से मुहब्बत पैदा हो जायेगी।
(17) अल वहहाबु :- सब कुछ देने वाला = जो शख़्स खान-पान की तन्गी में गिरफ्तार हो वह ज़्यादा ज़्यादा इस नाम को पढ़ा करे, या लिख कर अपने पास रखे, या दिन चढ़े ( चाश्त) की नमाज़ के अन्तिम सज्दा में 40 मर्तबा यह नाम पढ़ा करे तो अल्लाह तआला फकीरी से उस को आश्चर्य जनक रूप से नजात देदेंगे। और अगर कोई ख़ास ज़रूरत पेश आ जाये तो घर या मस्जिद के आँगन में तीन मर्तबा सज्दा करके हाथ उठाये और 100 मर्तबा इस नाम को पढ़े, अल्लाह ने चाहा तो ज़रूरत पूरी हो जायेगी ।
(18) अर्रज़्ज़ाक :- बहुत बड़ा रोज़ी देने वाला = जो शख्स सुबह की नमाज़ से पहले अपने घर के चारों कोनों में 10 – 10 मर्तबा इस नाम को पढ़ कर दम करेगा, अल्लाह तआला उस पर रोज़ी के दर्वाज़े खोल देंगे और बीमारी और गरीबी उस के घर में कदापि न आयेगी, दाहिने कोने से शुरू करें और मुँह किबला की ओर रखें।
(19)अल फत्ताहु :- कंठिनाइयों को दूर करने वाला = जो शख़्स फ़ज्र की नमाज़ के बाद दोनों हाथों को सीने पर बाँध कर 70 मर्तबा इस नाम को पढ़ेगा, अल्लाह ने चाहा तो उस का दिल ईमान के नूर से रोशन हो जायेगा ।Allah ke naamo ki fazilat ki fazilat aur wazife.
(20) अल् अलीमु :- बहुत इल्म वाला = जो शख्स ज़्यादा से ज़्यादा इस नाम को पढ़ेगा तो अल्लाह तआला उस पर इल्म के दर्वाज़े खोल देंगे।
(21) अल काबिजु :- रोज़ी तंग वाला = जो शख़्स रोटी के चार टुकड़ों पर इस नाम को लिखकर 40 दिन तक खायेगा, वह भूख-प्यास, घाव और हर प्रकार के दर्द आदि की तकलीफ से सुरक्षित रहेगा।
(22) अल् बासितु :- रोज़ी कुशादा करने वाला जो शख्स चाश्त की नमाज के बाद आकाश की ओर हाथ उठा कर रोजाना दस मर्तबा इस नाम को पढ़ेगा और मुँह पर फरेगा, अल्लाह तआला उसे मालदार कर देगा और कभी किसी का मुहताज न होगा।
(23) अल खाफिजु :- नीचा करने वाला जो शख़्स रोजाना 500 मर्तबा “या खाफिजु” पढ़ा करे अल्लाह तआला उस की जरूरते पूरी करेगा और उस की कठिनाइयों को दूर फरमा देगा। जो शख़्स तीन रोजे रखे औ चौथे रोज़ एक स्थान पर बैठ कर 70 मर्तबा इस को पढ़ेग अल्लाह ने चाहा तो दुश्मन पर फतह हासिल करेगा।
(24) अर्राफिउ :- ऊँचा करने वाला -जो शख्स हर महीने की चौदहवीं रात को आधी रात में 100 मर्तब इसे पढ़े तो अल्लाह तआला लोगों से बे पर्वाह कर देंगे और उसे माल दार बना देंगे।
(25) अल मुइज्जु :- इज्ज़त देने वाला = जो शख्स पीर या जुमे के दिन मगरिब की नमाज के बाद 40 मर्तबा इसे पढ़ा करेगा, अल्लाह तआला उस को लोगों में इज्जत वाला ( इज़्ज़तदार) बना देगा।
(26) अल् मुज़िल्लु :- जिल्लत देने वाला = जो शख़्स 75 मर्तबा इस को पढ़ कर सज्दे में जा कर दुआ करेगा, अल्लाह तआला उस को हसद करने वालों, जुल्म ढाने वालों और दुश्मनों की बुराइयों से महफूज रखेंगे। अगर कोई खास दुश्मन हो तो सज्दे में उस का नाम ले कर कहे “ऐ अल्लाह ! फलाँ जालिम या दुश्मन की बुराई से महफूज रख” कह कर दुआ करें, अल्लाह ने चाहा तो कबूल होगी।
(27) अस्समीऊ :- सब कुछ सुनने वाला – जो शख्स जुमेरात के दिन चाश्त की नमाज के बाद 500 या 100, या 50 मर्तबा इसे पढ़ेगा, अल्लाह तआला ने चाहा तो उस की दुआये कबूल होंगी। दर्मियान में किसी से बातचीत बिल्कुल न करे। और जो शख्स जुमेरात के दिन फ़ज्र की सुन्नतों और फर्ज नमाजों के दर्मियान 100 मर्तबा पड़ेगा, अल्लाह तआला उस पर रहमत की नज़र फरमायेंगे।
(28) अल् बसीरू:- सब कुछ देखने वाला= जो शख्स जुमा की नमाज के बाद 100 मर्तबा “या बसीरू” पढ़ा करेगा, अल्लाह तआला उस की नज़र में रोशनी और दिल में नूर पैदा फरमा देंगे।Allah ke naamo ki fazilat ki fazilat aur wazife.
(29) अल हकमु :- हाकिम = जो शख़्स रात के अन्तिम पहर में वुजू के साथ 99 मर्तबा यह नाम पढ़ेगा अल्लाह तआला उस के दिल को अपने राज़ और नूर का जगह बना देंगे। और जो जुमेरात की रात में यह नाम इतना ज्यादा पढ़े कि बेहाल और बेकाबू हो जाये तो अल्लाह पाक उस के दिल को खोल देंगे और पोशीदा बातों को उस के दिल में डाल देंगे।
(30) अल् अद्लु :- सरापा इन्साफ = जो शख्स जुमे के दिन, या जुमेरात की रात में रोटी के 20 टुकड़ों पर इस नाम को लिख कर रखेगा, अल्लाह तआला मखलूक को उस के और मातहत फरमा देंगे इनशाअल्लाह !
(31) अल्लतीफु :- बड़ा मेहरबानी करने वाला – जो शख्स 133 मर्तबा “या लतीफु” पढ़ा करेगा, इन्शा अल्लाह उसकी रोजी में बर्कत होगी और उसके सब काम अच्छे ढंग से पूरे होंगे। जो शख्स फाका, दु:ख, बीमारी या किसी और मुसीबत में हो वह अच्छी तरह वजू कर के दो रक्अत नमाज पढ़े और अपने इरादे और चाहत को दिल में रख कर 100 मर्तबा यह नाम पढ़े अल्लाह ने चाहा तो उस का मकसद पूरा होगा।
(32) अल खबीरू :- जानने वाला,आगाह -जो शख्स 7 दिन तक यह नाम ज्यादा से ज्यादा पढ़ेगा, अल्लाह ने चाहा तो उस पर पोशीदा राज जाहिर होने लगेंगे। जो शख्स अपने नफ्स की ख्वाहिश में गिरफ्तार हो वह इस नाम को पढ़ा करे तो अल्लाह ने चाहा तो उनसे नजात पायेगा।
(33)अल हलीमु :- बड़ा बुर्दबार -जो शख्स इस नाम को कागज़ पर लिख कर पानी से धो कर जिस वस्तु पर उस पानी को छिड़के या मले, अल्लाह ने चाहा तो उस में खैर और बर्कत होगी और समस्त आफतों से वह महफूज रहेगा।
(34) अल अजीमु :- बुजुर्ग- जो शख्स इस नाम को ज्यादा से ज्यादा पड़ेगा अल्लाह ने चाहा तो उसे इज्जत और बढ़ाई हासिल होगी।
(35) अल् गफूरू :- नीचा करने वाला- जो शख्स इस नाम को ज्यादा से ज्यादा पड़ेगा अल्लाह तआला ने चाहा तो उस की तमाम तकलीफें, रन्ज और परेशानियाँ दूर हो जायेंगी माल और औलाद में बर्कत होगी। हदीस शरीफ में आया है कि जो शख्स सज्दे में “रब्बिगफिरली” (ऐ मेरे मौला मुझे माफ़ कर दे) तीन मर्तबा कहेगा, अल्लाह तआला उस के अगले पिछले गुनाह माफ फ़रमायेंगे।
(36) अश्शकूरू :- कद्र करने वाला – रोज़ी-रोटी की तन्गी, या किसी और दुःख दर्द, रन्ज गम और परेशानी में गिरफ्तार हो, वह इस नाम को 41 मर्तबा रोजाना पढ़े, अल्लाह तआला ने चाहा तो उसे आज़ादी नसीब होगी ।Allah ke naamo ki fazilat ki fazilat aur wazife.
(37) अल अलिय्यु :- बहुत बुलन्द और ऊँचा = जो शख्स इस नाम को हमेशा पढ़ता रहे और लिख कर अपने पास रखे, अल्लाह ने चाहा तो उस का मर्तबा बुलन्द होगा और उसे मक्सद में कामयाबी और खुशहाली नसीब होगी ।
(38) अल् कबीरू :- बहुत बड़ा = जो शख्स अपने पद से हटा दिया गया हो वह 7 रोज़े रखे और रोज़ाना एक हज़ार मर्तबा इस नाम को पढ़े वह इन्शा अल्लाह अपने पद पर बहाल हो जायेगा और बजुर्गी और बढ़ाई नसीब होगी।
(39) अल हफीजु :- सब की मदद करने वाला = जो शख्स ज्यादा से ज़्यादा “या हफीजु” को पढ़ेगा और लिख कर अपने पास रखेगा अल्लाह ने चाहा तो हर तरह के खौफ डर व नुकसान से महफूज़ रहेगा।
(40) अल मुकीतु :- सब को रोज़ी और कुव्वत देने वाला= जो शख्स किसी खाली प्याले में 7 मर्तबा इस नाम को पढ़ कर दम करेगा और उस में से खुद पानी पिये, या किसी दूसरे को पिलायेगा, या सूंघेगा तो अल्लाह ने चाहा तो वह अपने कामयाब होगा।
(41)अल हसीबु:- सब के लिये किफायत करने वाला – जिस शख्स को किसी भी चीज या शख़्स को डर हो वह जुमेरात से शुरू कर के आठ रोज़ तक सुबह-शाम 70 मर्तबा “हस्बि-यल्लाहुल् हसीबु” पढ़े वह इन्शा अल्लाह हर चीज की बुराई से महफूज रहेगा। आयतुल कुर्सी की फ़ज़ीलत।
(42) अल् जलीलु :- बड़े और बुलन्द मर्तबा वाला- जो शख्स मुश्क और केसर से इस नाम को लिख कर अपने पास रखेगा और ज़्यादा से ज़्यादा “या जलीलु” को पढ़ेगा, अल्लाह तआला उस को इज्जत, बड़ाई और मर्तबा अता फरमायेंगे।
(43) अल करीमु :- बहुत मेहरबानी करने वाला = जो शख्स रोजाना सोते समय “या करीमु” पढ़ते-पढ़ते सो जाया करे, अल्लाह तआला उस को उलमा और नेक लोगों में इज्जत नसीब फरमायेंगे।
(44) अर्रकीबु :- बड़ा निगहबान-जो शख़्स अपने बाल-बच्चों और धन-माल के ऊपर 7 मर्तबा इस नाम को पढ़ कर दम किया करे और इस नाम को पढ़ा करे, अल्लाह तआला ने चाहा तो सब आफ्तों से महफूज रहेगा।
(45) अल मुजीबु :- दुआयें सुनने और कबूल करने वाला- जो शख्स ज्यादा से ज़्यादा “या मुजीबु” पढ़ा करे, अल्लाह ने चाहा तो उस की दुआयें अल्लाह के दर्बार में कबूल होने लगेंगी।
(46) अल्वासीऊ :- कुशादगी वाला- जो शख्स ज़्यादा से ज्यादा “या वासिऊ” को पढ़ेगा, अल्लाह ने चाहा तो उस को ज़ाहिरी और बातिनी गिजा (खुराक) होगी।
(47) अल हकीमु :- बड़ी हिक्मतों वाला = जो शख्स ज्यादा से ज्यादा “या हकीमु” पढ़ा करे अल्लाह तआला उस पर इल्म और हिक्मत के दर्वाजे खोल देंगे। जिस का कोई काम पूरा न होता हो वह पाबन्दी से इस नाम को पढ़ा करे तो अल्लाह ने चाहा तो उस का काम पूरा हो जायेगा।Allah ke naamo ki fazilat ki fazilat aur wazife.
(48) अल् वदूदु :- बड़ा मुहब्बत करने वाला = जो शख् 1000 मर्तबा “या वदूदु” पढ़ कर खाने पर दम कर के औरत के साथ बैठ कर वह खाना खायेगा तो इन्शा अल्लाह शौहर और बीबी के दर्मियान टन्टा और झगड़ा समाप्त हो जाएगा और परस्पर मुहब्बत पैदा हो जायेगी।
(49) अल मजीदु :- बडा बजुर्ग – जो शख्स किसी खतरनाक बीमारी जैसे कोढ़ और आतशक (गुप्त अंग की बीमारी में गिरिफ्तार हो वह 13, 14 और 15 तारीख़ों के रोज़े रखे और इफतार के बाद ज़्यादा से ज्यादा इस नाम को पढ़ा करे और पानी पर दम कर के पिये, अल्साह ने चाहा तो वह बीमारी खत्म हो जायेगी।
(50) अल् बाइसु :- मुर्दों को जिन्दा करने वाला- जो शख्स रोजाना सोते समय सीने पर हाथ रख कर 101 मर्तबा “या बाइसु” पढ़ा करे, अल्लाह ने चाहा तो उस का दिल इल्म और हिक्मत से ज़िन्दा हो जायेगा।
(51) अश्शहीदु :- हाजिर नाज़िर = जिस शख्स की औरत या औलाद ना फ़रमानी करती हो, वह सुबह के समय उस के माथे पर हाथ रख कर 21 “या शहीदु” पढ़ कर दम कारे अल्लाह ने चाहा तो फर्माबदार हो जायेगा।
(52) अल् हक्कु :- बरहक बरकरार-जो शख़्स चौकोर काग़ज़ के चारों कोनों पर “अलहककु” लिखकर सेहरी के समय कागज़ को हथेली पर रख कर आसमान की ओर बुलन्द कर के दुआ करें, अल्लाह ने चाहा तो गुमशुदा सामान मिल जायेगा और नुक्सान से महफूज रहेगा।
(53) अल वकीलु :- बिगड़ी बनाने वाला जो = जो शख्स किसी भी आसमानी खौफ के समय ज़्यादा से ज़्यादा “या वकीलु” को पढ़ा करे और इस नाम को अपना वकील बना ले, वह इन्शा अल्लाह तआला हर आफत और परेशानी से महफूज रहेगा।
(54) अल् कविय्यु :- बड़ी ताकत और कुव्वत वाला = जो शख़्स वास्तव में मजलूम और कमज़ोर हो, वह उस ज़ालिम और ताकत वर दुश्मन से बचाव की निय्यत से ज़्यादा से ज़्यादा इस नाम को पढ़ा करे तो इन्शाअल्लाह उस से महफूज रहेगा। बे वजह और नाहक यह अमल हर्गिज़ न करे
(55) अल् मतीनु :- ज़र्बदस्त ताकतवर = जिस महिला के दूध न हो उस को “अल् मतीनु” कागज़ पर लिख कर धोकर पिलायें, अल्लाह ने चाहा तो खूब दूध होगा।
(56) अल्-वलिय्यु :- सहायक सहयोगी = जो शख़्स अपनी पत्नी की आदतों और हर्कतों से खुश न हो वह जब उस के सामने जाये तो इस नाम को पढ़ा करे, अल्लाह ने चाहा तो वह नेक आदतों वाली बन जायेगी।Allah ke naamo ki fazilat ki fazilat aur wazife.
(57) अल हमीदु :- तारीफ के लायक = जो शख़्स 45 दिन तक लगातार 93 मर्तबा एकान्त में “या हमीदु” पढ़ा करेगा,तो अल्लाह ने चाहा तो उसकी तमाम बुरी आदतें और हरकतें दूर हो जाएंगी।
(58)अल मुहसीऊ :- अपने इल्म और गिन्ती में रखने वाला – जो शख्स रोटी के 20 टुकड़ों पर रोजाना 20 मर्तबा यह नाम पढ़ कर दम करे और खाये, अल्लाह ने चाहा तो मखलूक उस के अधीन और मातहत हो जाएगी।
(59 ) अल मुबद्दिउ :- पहली बार पैदा करने वाला- जो शख्स सेहरी के समय गर्भवती महिला के पेट पर हाथ रख कर 99 मर्तबा या मुबदिउ” पढ़ेगा, इन्शाअल्लाह न उस का गर्भपात होगा, न समय से पहले बच्चा पैदा होगा।
(60) अल मुईदु :- दोबारा पैदा करने वाला -गुम हुये शख्स को वापस बुलाने के लिये जब घर के सब आदमी सो जायें तो घर के चारों कोनों में 70-70 मर्तबा इस नाम को पढ़े, अल्लाह ने चाहा तो सात दिन के भीतर वापस आ जायेगा, या पता चल जायेगा।
(61) अल मुहयी :- जीवन देने वाला -जो शख्स बीमार हो वह कसरत से इस को पढ़ता रहे या अगर किसी और बीमार पर भी दम करे, अल्लाह ने चाहा तो वह तन्दुरुस्त हो जायेगा और जो शख्स 89 मर्तबा इस को पढ़ कर अपने ऊपर दम करे वह हर तरह की बन्दिश से महफूज रहेगा।
(62) अल् मुमीतु :- मौत देने वाला – जिस का नफ्स उस के बस और काबू में न हो वह सोते समय सीने पर हाथ रख कर 80 मर्तबा इस नाम को पढ़ते हुये सो जाये तो इन्शाअल्लाह उसका नफ्स उस के काबू में हो जायेगा।
(63) अल हय्यु :- हमेशा-हमेशा जीवित रहने वाला – जो शख्स रोजाना 3000 मर्तबा इस नाम को पढ़ता रहेगा अल्लाह ने चाहा तो वह कभी बीमार न होगा। और जो शख्स इस नाम को चीनी के बर्तन पर मुश्क और गुलाब से लिख कर मीठे पानी से धो कर पिये, या किसी बीमार को पिलाये, इन्शाअल्ला तन्दुरुस्त हासिल होगा
(64) अल कय्युमु :- सब को कायम रखने और संभालने वाला -जो शख्श ज्यादा से ज़्यादा इस नाम को पढ़ेगा, अल्लाह ने चाहा तो लोगों में उस की इज़्ज़त और सारव ज़्यादा होगी और एकान्त में बैठ कर अगर पढ़ेगा तो अल्लाह ने चाहा वह खुशहाल हो जायेगा । और जो सुबह की नमाज़ के बाद से सूरज के निकलने तक “या हय्यु या कय्यूमु” को पढ़ेगा, अल्लाह ने चाहा तो उस की सुस्ती और काहिली दुर हो जायेगी ।
(65) अल वाजिदु :- हर वस्तु को पाने देवाला -जो शख्स खाना खाते समय इस नाम को पढ़े, तो वह खाना उस के दिल के लिये कुव्वत और ताकत और नूरानियत का सबब होगा इन्शाअल्लाह तआला ।
(66) अल माजिदु :- बजुर्गी और बड़ाई वाला जो शख्स एकान्त में यह नाम इतना ज़्यादा पढ़े कि बेकाबू हो जाये तो इन्शाअल्लाह उस के दिल पर अल्लाह पाक का नूर ज़ाहिर – होगा।
(67) अल् वाहिदु + अल् अहदु :- एक अकेला -जो शख्स रोजाना 1000 मर्तबा इस नाम को पढ़ा करे, उस के दिल से अल्लाह ने चाहा तो मख़्लूक का डर और उस से मुहब्बत जाती रहेगी। जिस के औलाद न होती हो वह इस नाम को लिख कर अपने पास रखे, अल्लाह ने चाहा तो उस को नेक औलाद नसीब होगी ।
(68) अस्स मदु :- बेनियाज़ -जो शख्स सहर के समय ( पिछले पहर ) सज्दा में सर रख कर 115 या 125 मर्तबा इस नाम को पढ़ेगा, इन्शाअल्लाह उसे जाहिरी और बातिनी सच्चाई नसीब होगी और जो वुजू कर के इस नाम को पढ़ेगा वह इन्शाअल्लाह मख्लूक से बेनियाज़ हो जायेगा।
(69) अल कादिरू :- कुदरत वाला= जो शख्स दो रक्अत नमाज़ पढ़ कर 100 मर्तबा इस नाम को पढ़ेगा, अल्लाह पाक उस के दुश्मनों को ज़लील कर देंगे (अगर वह हक पर होगा तो ) और अगर किसी का कोई मुश्किल काम हो, या किसी काम में कठिनाई आ जाये तो 41 बार “या कादिरु” पढे। अल्लाह ने चाहा तो वह कठिनाई दूर हो जायेगी।Allah ke naamo ki fazilat ki fazilat aur wazife.
(70) अल मुक तदिरू:- पूरी कुदरत रखने वाला- जो शख्स सोकर उठने के बाद ज़्यादा से ज़्यादा इस नाम को पढ़े, या कम से कम 20 मर्तबा पढ़ा करे, अल्लाह ने चाहा तो उस के सब काम सही और दुरुस्त हो जायेंगे।
(71) अल मुकद्दिमु :- पहले और आगे करने वाला- जो शख्स लड़ाई के समय इस नाम को पढ़ता रहेगा अल्लाह पाक उसे ( आगे बढ़ने की ) कुव्वत और साहस अता फरमायेंगे और दुश्मनों से सुरक्षित रखेंगे और जो शख्स हर समय इस नाम को पढ़ेगा अल्लाह ने चाहा तो वह शख्स अल्लाह का हुक्म मानने वाला बन्दा बन जायेगा।
(72) अल् मु अख्खिरू :- पीछे और बाद में रखने वाला- जो शख्स ज्यादा से ज्यादा इस नाम को पढ़ेगा उसे इन्शाअल्लाह सच्ची तोबह नसीब होगी और जो शख्स रोजाना 100 मर्तबा इस नाम को पाबन्दी के साथ पढ़ा करे उस को अल्लाह ने चाहा तो ऐसी नजदीकी नसीब होगी कि उस के बिना चैन ही न आयेगा।
(73) अल अव्वलु :- सब से पहले -जिस के लड़का न होता हो वह 40 दिन तक 40 मर्तबा रोजाना “अल अव्वलु” पढ़ा करे, अल्लाह ने चाहा तो उस की इच्छा (मुराद ) पूरी होगी। जो शख़्स मुसाफिर हो वह जुमा के दिन एक हज़ार मर्तबा इस नाम को पढ़ा करे, अल्लाह ने चाहा तो बहुत जल्द खैरियत से घर पहुँच जायेगा ।
(74) अल् आखिरू :- सब के बाद-जो शख्स रोजाना इस नाम को पढ़ा करे उस के दिल से अल्लाह के अलावा मुहब्बत दूर हो जायेगी और अल्लाह ने चाहा तो सारी उम्र की कोताहियों का कफ्फारा हो जायेगा और आख़िरत बेहतर होगा।
(75) अज़्ज़ाहिरू :- जाहिर और खुला हुआ- जो शख्स इशा की नमाज के बाद 500 मर्तबा इस नाम को पढ़ेगा, अल्लाह तआला उसकी आँखों में रोशनी और दिल में नूर अता फरमायेंगे इन्शाअल्लाह।
(76) अल्बातिनु :- पोशीदा छुपा हुआ =जो शख्स रोजाना 33 बार इस नाम को पढ़ा करे, अल्लाह ने चाहा तो उस पर पोशीदा राज़ ज़ाहिर होने लगेंगे और उस के दिल में नमाज़ अदा करने ने चाहत अल्लाह से मुहब्बत का लगाव पैदा होगा। और जो दो रक्अत बाद “हु- वल अव्वलु वल आखिरू वज्जाहिरू वल बातिनु बहु-व अला कुल्लि शैइन क़दीरून ” पढ़ा करे, अल्लाह उस की सब जरूरतें पूरी करेगा।
(77) अल वालियु :- देख-रेख और निग्रानी करने वाला = जो शख्स ज्यादा से ज्यादा इस नाम को पढ़ेगा, वह अचानक पेश आने वाली आफतों से महफूज रहेगा। ऐसे प्याले में जो इस्तेमाल में न लाया गया हो यह नाम लिख कर उस में पानी भर कर मकान में छिड़केगा तो वह मकान भी अल्लाह ने चाहा तो तमाम आफतों से महफूज रहेगा। अगर किसी को अपने मातहत करना चाहे तो 11 मर्तबा इस नाम को पढ़े, अल्लाह ने चाहा तो वह शख्स फ़रमाबरदार हो जायेगा।
(78) अल मुतआलीयु :- सब से बुलन्द और ऊँचा = जो शख्स ज़्यादा से ज्यादा इस नाम को पढ़ेगा, अल्लाह ने चाहा तो उस की तमाम कठिनाइयाँ दूर हो जायेंगी। जो महिला माहवारी की हालत में ज़्यादा से ज़्यादा इस नाम को पढ़ेगी अल्लाह ने चाहा तो उस की तकलीफ दूर हो जाएगी।
(79) अल बर्रू :- बड़ा अच्छा व्यवहार करने वाला- जो शख़्स शराब, जिना और दूसरी बुराइयों में गिरफ्तार हो रोज़ाना 7 मर्तबा इस नाम को पढ़े तो उन गुनाहों की ओर झुकाव खत्म हो जायेगा। जो शख्स दुनिया के मुहब्बत में गिरफ्तार हो इस नाम को ज़्यादा से ज़्यादा पढ़े तो दुनिया की मुहब्बत उस के दिल से जाती रहे और जो शख्स अपने बच्चे पर पैदा होने के बाद ही सात मर्तबा इस नाम को पढ़कर दम कर दे और अल्लाह पाक के हवाले कर दे तो वह बालिग होने तक हर आफतों से महफूज रहेगा इन्शाअल्लाह तआला । मस्जिदे अक्सा के बारे कुछ खास बातें।
(80) अत्तव्वाबु :- बहुत ज़्यादा तौबा कबूल करने वाला- जो शख़्स चाश्त की नमाज के बाद 360 मर्तबा इस नाम को पढ़ा करेगा, इन्शाअल्लाह उसे सच्ची तोबा नसीब होगी। और ज्यादा से ज्यादा इस नाम को पढ़ा करेगा, तो अल्लाह उस के तमाम काम सरल करदेगें। अगर किसी जालिम पर 10 मर्तबा पढ़ कर दम कर दे तो अल्लाह ने चाहा तो उस से छुटकारा मिल जायेगा।
(81) अल् मुन तकिमु :- बदला लेने वाला- जो शख्स हक पर हो और दुश्मन से बदला लेने की उस में हिम्मत न हो वह तीन जुमा तक ज्यादा से ज्यादा इस नाम को पढ़े, अल्लाह तआला उससे खुद ही बदला ले लेगें।Allah ke naamo ki fazilat ki fazilat aur wazife.
(82) अल अफुव्वु :- बहुत अधिक माफ करने वाला -जो शख्स ज़्यादा से ज़्यादा इस नाम को पढ़ा करे, अल्लाह तआला उस के गुनाहों को माफ फरमा देंगे, इन्शाअल्लाह
(83) अर्रऊफु :- बहुत मेहरबान =जो शख़्स ज्यादा से ज्यादा इस नाम को पढ़ेगा, अल्लाह ने चाहा तो मखलूक उस पर मेहरबान हो जायगी और वह मख्लूक पर और जो शख़्स 10 मर्तबा दुरूद शरीफ और 10 मर्तबा इस नाम को पढ़े तो अल्लाह ने चाहा तो उस का गुस्सा खत्म हो जायेगा। अगर किसी दूसरे नाराज़ शख्स पर दम करे तो उस का भी गुस्सा खत्म हो जायेगा।
(84) मालिकुल मुलकि :- मुल्कों का मालिक जो शख्स इस नाम को पढ़ता रहेगा अल्लाह तआला उसको गनी और लोगों से बेनियाज कर देंगे और यह किसी का मुहताज न रहेगा।
(85) जुल जलालि वल इकराम :- जलाल और इनाम व इकराम करने वाला- जो शख्स इस नाम को ज्यादा से ज्यादा पढ़ा करेगा तो अल्लाह तआला उस को इज्जत और बढ़ाई अता करेंगे और मख्लूक से उसे बेनियाज कर देगें।
(86) अल मुकसितु :- न्याय और इन्साफ कायम करने वाला- जो शख्स रोजाना इस नाम को पढ़ा करे तो अल्लाह ने चाहा तो वह शैतान के वसवसों से महफूज रहेगा और अगर किसी खास मक्सद के लिये 700 मर्तबा इस नाम को पढ़ेगा तो अल्लाह ने चाहा तो वह मक्सद हासिल होगा।
(87) अल् जामिउ :- सब को जमा करने वाला – जिस शख्स के रिश्तेदार बिखर गये हों वह चाश्त के समय आसमान की ओर मुँह कर के दस मर्तबा इस नाम को पढ़े और एक उँगली बन्द कर ले। इसी तरह हर दस मर्तबा पर उँगली बन्द करता जाये। अन्त में दोनों हाथों को मुँह पर फेर ले, अल्लाह ने चाहा तो उस के संबन्धी और रिश्तेदार बहुत जल्द इक्ट्ठा हो जायेंगे। अगर कोई सामान गुम हो जाये तो “अल्लाहुम्म या जामिउन्नासि लियौमिल्लारे व फीहि इज्मा जाल्लती” पढ़ा करे तो वह सामान अल्लाह ने चाहा तो मिल जायेगी। जाइज़ मुहब्बत के लिये भी यह दुआ बेहतरीन है।
(88) अल गुनिय्यु :- बड़ा बेनियाज़ और बेपर्वाह = जो शख्स रोज़ाना 70 मर्तबा ” या गुनिय्यु” पढ़ा करे, अल्लाह तआला उस के माल में बर्कत देंगे और वह किसी का मुहताज नहीं रहेगा। और जो शख़्स किसी जाहिरी या पोशीदा बीमारी में गिरफ्तार हो वह अपने तमाम बदन के हिस्सों पर “या गनिय्यु” पढ़ दम किया करे, अल्लाह ने चाहा तो नजात पायेगा।
(89) अल मुगनी :- बेनियाज़ और गनी बना देने वाला जो शख़्स शुरू और आखिर में 11-11 मर्तबा दुरूद शरीफ पढ़ कर 11-11 सौ मर्तबा वज़ीफा की तरह यह नाम पढ़े तो अल्लाह पाक उस को जाहिरी और बातिनी बेनियाज़ी अता फ़रमायेंगे। सुबह की नमाज के बाद पढ़ें या इशा की नमाज के बाद इस के साथ सूरः मुज्जम्मिल भी तिलावत करे।
(90) अल् मानिउ :- रोक देने वाला अगर पत्नी से झगड़ा लड़ाई हो जाती हो तो बिस्तर पर लेटते समय 20 मर्तबा यह नाम पढ़ा करे, अल्लाह ने चाहा तो झगड़ा लड़ाई और इख्तिलाफ दूर हो जायेगा और परस्पर गुहब्बत पैदा हो जाएगी। जो शख्स ज़्यादा से ज्यादा इस नाम को पढ़ेगा, अल्लाह ने चाहा तो हर बुराई से महफूज रहेगा। अगर किसी खास और जाइज़ मक्सद के लिये पढ़े तो इन्शाअल्लाह वह हासिल हो – जायेगा ।
(91) अज़्ज़ार्रू :- नुक्सान पहुँचाने वाला- जो शख्स जुमा की रात में 100 मर्तबा इस नाम को पढ़े तो इन्शाअल्लाह वह तमाम ज़ाहिरी और पोशीदा आफतों से महफूज रहेगा और अल्लाह की नज़दीकी उसे हासिल होगी।
(92) अन्नाफिऊ :- लाभ पहुँचाने वाला -जो शख़्स नाव या किसी भी सवारी पर सवार होने के बाद “या नफिउ” पढ़ेगा तो इन्शाअल्लाह हर आफत से महफूज रहेगा। जो शख़्स किसी भी काम के शुरू करते समय 41 मर्तबा इस नाम को पढ़ ले, इन्शाअल्लाह उस का काम उस की इच्छानुसार होगा। जो शख्स पत्नी से संभोग के समय यह नाम पढ़ लिया करे उसे अल्लाह ने चाहा तो नेक औलाद नसीब होगी।Allah ke naamo ki fazilat ki fazilat aur wazife.
(93) अन्नूरु :- सरापा नूर और नूर बख्शने वाला- जो शख्स जुमा की रात में 7 गर्तबा सूरः नूर और एक हज़ार एक मर्तबा इस नाम को पढ़ा करे तो इन्शाअल्लाह उस का दिल नूर से रोशन हो जायेगा।
(94) अल् हादियु :- सीधा रास्ता दिखाने वाला और उस पर चलाने वाला -जो शख्स हाथ उठा कर आसमान की तरफ मुँह कर के ज़्यादा से ज़्यादा “या हादियु” को पढ़ा करे और अन्त में मुँह पर हाथ फेर ले, उस को अल्लाह ने चाहा तो मुकम्मल हिदायत नसीब होगी और वह दीनदारों में शामिल हो जायेगा।
(95) अल् बदीउ :- अद्भुत वस्तुओं का अविष्कार करने वाला -जिस शख्स को कोई गम या मुसीबत, या कोई कठिनाई पेश आये वह 1000 मर्तबा “या बदीउस्समावाति वल अरज़ि” पढ़े तो इन्शाअल्लाह कुशादगी नसीब होगी जो शख्स इस नाम को वुजू कर के पढ़ते हुये सो जाये तो जिस काम का इरादा हो वह इन्शाअल्लाह सपने में नज़र आयेगा जो शख़्स इशा की नमाज के बाद “या बदी अल् अजाइबि बिल खैरि या बदीउ” 1200 मर्तबा 21 दिन तक पढ़ेगा तो जिस काम के मकसद के लिये पढ़ेगा, इन्शाअल्लाह वह अमल पूरा होने से पहले ही हासिल हो जाएगा। यह आज़माया हुआ है।
(96) अल बाकियु :- हमेशा-हमेशा बाकी रहने वाला = जो शख़्स इस नाम को 1000 मर्तबा जुमा की रात में पढ़े, अल्लाह तआला उस को हर तरह के नुक्सान से महफूज रखेंगे और अल्लाह ने चाहा तो उस के तमाम नेक काम कबूल होंगे।
(97)अल् वारिसु :- सब के बाद मौजूद रहने वाला- जो शख्स सूरज के निकलते समय 100 मर्तबा “या वारिसु पढ़ेगा इन्शाअल्लाह वो हर रन्ज गम, सख्ती मुसीबत से महफूज रहेगा और आख़िरत अच्छा होगा । और जो शख़्स मग़रिब और इशा के दर्मियान 1000 मर्तबा पढ़े हर प्रकार की हैरानी और परेशानी से इन्शाअल्लाह सु रहेगा। सदक़ा करने की फज़ीलत।
(98) अर्रशीदु :- सच्चाई और नेकी को पसन्द करने वाला = जिस शख्स को अपने किसी काम या मक्सद को हल करने का तरीका समझ में न आता हो वह मग्रिब और इशा के दर्मियान एक हज़ार मर्तबा इस दुआ को पढ़े तो इन्शाअल्लाह तआला सपने में उस का हल निकल आयेगा, या दिल में उस का हल डाल दिया जायगा । और रोजाना इस नाम को पढ़ता रहे तो तमाम कठिनाइयाँ इन्शाअल्लाह दूर हो जायेंगी और कारोबार में खूब तरक्की होगी।
(99) अस्सबूक :- बड़े सब्र और बर्दाश्त वाला = जो शख्स सूरज निकलने से पहले 100 मर्तबा इस नाम को पढ़े वह इन्शाअल्लाह उस दिन हर मुसीबत से सुरक्षित रहेगा और दुश्मनों, हसद करने वालों की ज़बानें बन्द रहेंगी। जो शख्स किसी भी तरह की मुसीबत में गिरफ्तार हो वह एक हज़ार बीस (1020) मर्तबा इस नाम को पढ़े, इन्शाअल्लाह उस से नजात पायेगा और दिल को इतमिनान नसीब होगा।
इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये। क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…