एक शख्स ने अर्ज किया कि या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम मुझे ऐसी चीज बताएं कि मुझे उससे फायदा हो आप रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने फरमाया आयतुल कुर्सी पढ़ा करो,
अल्लाह तेरी और तेरी औलाद की निगरानी करेगा और निगाह रखेगा तेरे घर पर यहां तक के तेरे पड़ोसी और उनके घर भी अल्लाह की हिफाजत में होंगे।
हुजूर नबी सल्लल्लाहो वाले वसल्लम फरमाया है कि जो शख्स हर फर्ज नमाज के बाद एक बार आयतुल कुर्सी हमेशा पढ़ता रहा तो जन्नत उस पर वाजिब कर की गई जन्नत और उसके दरमियान सिवाए मौत के कोई चीज ना हाेगी।
एक शख्स ने नबी करीम सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम से अर्ज किया कि या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मेरे घर में खैरो बरकत नहीं आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि तुम आयतुल कुर्सी क्यों नहीं पढ़ते।
आयतुल कुर्सी के बारे में और भी कई हादीशे मुबारक है जिन से जाहिर होता है कि इसमें बहुत सी करामात और बरकत हैं।
एक बार हजरत अबू हुरैरा अल्लाह ताला अन्हु फरमाते हैं की हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने सदका फितर की हिफाजत का काम मेरे सुपूर्द फरमाया एक रात एक आने वाला आया और गला भरने लगा मैंने उसको पकड़ लिया।
और उससे कहा कि मैं तुझे हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम की खिदमत में पेश करूंगा तो वह कहने लगा कि मैं मोहताज और अयालदार हूं सख़्त ज़रूरत मंद हूं इसलिए मैंने उसे छोड़ दिया जब सुबह हुई तो हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि अबु हुरेरा तुम्हारे रात के कैदी का क्या हुआ मैंने अर्ज किया कि या हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम उसने मूझे सख्त जरुरत और अयालदारी का वास्ता दिया था इसलिए मुझे उस पर रहम आ गया और मैंने उसे छोड़ दिया हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि उसने झूठ बोला वह फिर आएगा! इस पर मुझे यकीन हो गया कि वह जरूर आएगा इसलिए कि यह बात हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने इर्शाद फरमाई है
मैं रात के वक्त उस का इंतजार करने लगा कि उसी वक्त वह आ गया जिस वक्त वह कल आया था और गला भरने लगा मैंने उसको पकड़ लिया और कहा कि तुझे हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम की खिदमत में पेश करूंगा वह कहने लगा कि मुझे छोड़ दो मैं मोहताज और अयालदार हू अब नहीं आऊंगा मुझे फिर उस पर रहम आ गया और मैंने उसे छोड़ दिया जब सुबह हुई तो हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया अबू हुरैरा तुम्हारा कैदी का क्या हुआ मैंने अर्ज किया कि या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम उस पर आज फिर मुझे रहम आ गया और मैंने उसको छोड़ दिया। निकाह ,मुबाशरत ,हमल, वलीमा के आदाब ।
हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने फरमाया कि उसने तुमसे झूठ बोला है वह फिर आएगा! मैं उसके इंतजार में था और वह फिर आ गया और गलला भरना शुरू कर दिया बस मैंने उसे पकड़ लिया और कहा कि आज तो मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा और हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के पास तुम्हें जरूरी लेकर जाऊंगा वह बोला तुम मुझे छोड़ दो मैं तुम्हें ऐसे चंद कलमात सिखाता हूं जिनके पढ़ने से अल्लाह ताला तुम्हें नफा देगा
वह यह है कि जब तुम सोने लगो तो आयतुल कुर्सी पढ़कर सोया करो उससे अल्लाह ताला तुम्हारी हिफाजत फरमाएगा सुबह तक यह आयत तुम्हारी अल्लाह ताला की तरफ से निगहबान होगी और शैतान तुम्हारे नजदीक नहीं आ सकेगा चुनांचे मैंने उसे छोड़ दिया जब सुबह हुजूर नबी सल्ला वाले वसल्लम की खिदमत में हाजिर हुआ तो हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि अबू हुरैरा तुम्हारे कैदी का क्या हुआ मैंने अर्ज किया किया रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम उसने मुझे चंद कलमात सिखाएं जिनसे अल्लाह ताला नफा देगा।
हुजूर सरवरे कायनात रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने फरमाया कि अबू हुरैरा उसने आयतुल कुर्सी पढ़कर सोने वाली बात सच कहीं हालांकि वह खुद बड़ा झूठा है क्या तुम जानते हो कि वह 3 रात तक रोजाना आने वाला चोर कौन है मैंने अर्ज किया हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम मैं नहीं चाहता हूं रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने फरमाया कि वह शैतान था ।
हजरत अली का इर्शाद है कि हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि जिस घर में अतुल कुर्सी पढ़ी जाती है शैतान भाग जाता है और 3 दिन तक उस घर में दाखिल नहीं होता और 40 दिन तक उस मकान पर सेहेर का असर नहीं हो सकता हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने फरमाया कि जो कोई रात को सोते वक्त आयतुल कुर्सी पड़ता है अल्लाह तआला उसकी हिफाजत के लिए दो फरिश्ते मुकर्रर फरमा देता है जो सुबह तक उसकी हिफाजत करते हैं,
बुजुरगाने दिन ने भी आयतुल कुर्सी को अपने खवास बरकात और असरात के एतबार से निहायत अफजलो अशरफ करार दिया है
हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलेह फरमाते हैं कि फतावा जहरीया में तहरीर है कि हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया है कि जो शक्स आयतुल कुर्सी पढ़कर घर से निकले तो अल्लाह ताला 70000 मलाइका को हुक्म देता है कि उसके वापस आने तक उसके लिए मगफिरत की दुआ करते रहो और जो शख्स आयतुल कुर्सी पढ़कर घर में दाखिल होगा उसके घर से अल्लाह ताला उसके घर से मुफलिशी को दूर कर फरमा देंगे आप रहमतुल्लाह अलेह ने मजिद फरमाया कि मैने जामयुल ईकायात में लिखा हुआ देखा है कि बगदाद में एक दरवेश का एक रात का जिक्र है कि 10 चोर उसके घर में दाखिल हुए वह दरवेश आयतुल कुर्सी पढ़कर कहीं गया हुआ था वह चोर सब के सब अंधे हो गए जब दरवेश घर आया तो उन लोगों को देखकर पूछा कि तुम लोग कौन हो और क्यों आए हो उन्होंने कहा कि हम चोर हैं चोरी करने आए थे आप हमारे लिए दुआ फरमाइए की हमारी बिनाई वापस आ जाए हम इस काम से तोबा करते हैं और आपके सामने इस्लाम कुबूल करते हैं वह दरवेश मुस्कुराए और कहा के अल्लाह ताला की हुकुम से आंखें खोलो सबकी आंखें खुल गई और वह बीना हो गए सबने उसी वक्त तोबा की और मुसलमान हो गए ।
हजरत बाबा फरीद गंज शकर रहमतुल्लाह अलेह आयतल कुर्सी की फजीलत बयान करते हुए ऐसा फरमाया है कि जिस दिन आए तल कुर्सी नाजिल हुई तो 70000 फरिश्ते उसके इर्द-गिर्द थे,
हजरत जिब्राइल अलैहिस्सलाम हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाजिर हुए और कहा लीजिए हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने बड़े एजाजो इकराम से उसे ले लिया हजरत जिब्राइल अलैहिस्सलाम ने कहा के या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम अल्लाह ताला इरशाद फरमाते हैं कि जो बंदा आयतुल कुर्सी पड़ेगा ,
हर हर्फ के बदले हजार हजार बरस का सवाब उसके नामा ए आमाल में लिखा जाएगा 70000 फरिश्ते जो कुर्सी के इर्द गिर्द हैं आयतुल कुर्सी का सवाब उसके नाम लिखते हैं और वह शख्स अल्लाह ताला के मुकरबीन में शामिल किया जाता है
हजरत शेख अब्दुल वहाब सदरानी रहमतुल्लाह अलेह फरमाते हैं कि जो शख्स दिन-रात 1000 मर्तबा आयतुल कुर्सी 40 दिनों तक पड़ेगा परवरदिगार की कसम इस आयत का रूहानी असर उसको दिखाई देगा मलाइका उसकी जियारत को आएंगे और उसके तमाम मकासिद और दिलि मुरादें पूरी होगी।
दोस्तों जिंदगी का तजुर्बा ये बताता है कि अल्लाह ताला की मदद जैसी कोई मदद नहीं मुश्किल से मुश्किल सूरते हाल अचानक अपना रुख बदलने लगती है गेब से असबाब पैदा हो जाते हैं कभी कभी दिमाग में कोई ऐसी बात आ जाती है कि आदमी महसूस करता है कि ये इसके लिए आलम ए गेब से रहनुमाई हुई है।
बाजवकात ऐसी जगह से मदद पहुंचती है जो आदमी के तस्वुर में भी नहीं होता लेकिन यह सब उसी वक्त मुमकिन है कि जब आपको अल्लाह तबारक व तआला पर कामिल भरोसा दुनियावी कामों के लिए दुनियावि अस्बाब इख्तियार करना और जायज तरीकों से हर मुमकिन कोशिश करना जरूरी है बल्कि ऐसा करना इस्लामी नुक्ता ए नजर से फर्ज है लेकिन कोशिश का अंजाम अल्लाह तआला के हाथ में है वह चाहे तो बजवाकत मामूली कोशिश भी फायदेमंद साबित होती है और अगर वो ना चाहे तो इंतहाई जद्दोजहद भी बेकार जाती है इसलिए हर हाल में अल्लाह तबारक व तआला से मदद का तलबगार रहना चाहिए क्योंकि अल्लाह तआला हकीकी कार साज है।
मेरे प्यारे दोस्तों खुद सोचें कि यह तो एक आयत है जिसके पढ़ने का इतना अजम है तो सोचे कि पूरा कुरान पढ़ने की कितनी फजीलत होगी तो दोस्तों कुरआन को पढ़िए समझीए है उस पर अमल कीजिए यही कामयाबी है
आपको पढ़ने समझने में दिक्कत हो तो उलमा ए किराम से राब्ता कीजिए और उससे दिल लगाकर सीखिए क्योंकि कब्र की उन शक्तियों और आखिरात के उन माराहिल में कोई दुनियावी में डिग्रियां काम नहीं आएगी अगर कोई चीज काम आएगी तो वह कुरान का सीखना सिखाना और उस पर अमल पैरा होना है।
आयतुल कुर्सी की फ़ज़ीलत को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।
क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…