
नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की पहली शादी हज़रत ख़दीजा रज़ियल्लाहु अन्हा से के साथ हुई। यह वो औरत थीं जिनको अल्लाह तआला ने बड़ा शर्फ अता फरमाया था।
जब निकाह होना था तो उन्होंने तिजारत के लिए नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को भेजा। नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम तिजारत पर गए। उन्होंने अपने गुलाम मैसरा को आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के साथ भेजा कि पता करो कि सफ़र के हालात कैसे हैं? अल्लाह तआला ने आपको दो गुना फायदा अता फ़रमाया। मैसरा ने आकर बड़ी अच्छी अच्छी बातें सुनायीं।
उम्मुल मोमिनिन हज़रत खादीजा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा का दिल बहुत खुश हुआ कि जिस इंसान की अमानत और सदाकत इतनी अच्छी है, वही जिंदगी का अच्छा साथी बन सकता है। लिहाजा आपने नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को बहुत से तोहफे वगैरह दिए और आख़िर आपके चचा की तरफ पैग़ाम भेजा कि अगर आप मेरे रिश्ते के लिए आना चाहते हैं तो मेरे भाई उमर से या मेरे वालिद से बात कीजिए।
लिहाज़ा आपके चचा ने उनकी बात कही और आखिर निकाह हुआ। निकाह में बीस ऊँट महर रखे गए और दो ऊँटों को जिब्ह किया गया था।
यह वह औरत थीं जिनको अल्लाह तआला ने बड़ा ऐज़ाज़ बख्शा कि जब अल्लाह तआला का कुरआन नाज़िल हुआ, नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने जिब्राईल अलैहिस्सलाम से सुना तो उसके बाद आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने सब से पहले अपनी मोहतरम बीवी को यह बात सुनाई।
इसलिए नबुवत की जबान से सबसे पहले कुरआन सुनने का शर्फ एक हज़रत खदीजा रजियल्लाहु तआला अन्हा को हासिल हुआ। इस उम्मत के मर्दों पर औरतों में से हज़रत खदीजा रजियल्लाहु तआला अन्हा को यह फजीलत हासिल है जिसको अल्लाह के महबूब की मुबारक जबान से सबसे पहले कुरआन सुनने का शर्फ हासिल हुआ और इस उम्मत में से इस औरत को ऐज़ाज़ हासिल हुआ कि उसने अपनी आँखों से मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह को मुहम्मदुर्रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम बनते सबसे पहले देखा।
जब आप किसी वजह से गमज़दा होते और फरमाते कि जब वह फरिश्ता आता है तो मुझे अपनी जान का ख़ौफ होता है। आप फ़रमातीं थी हर्गिज़ नहीं, अल्लाह तआला आपको जाए नहीं फरमाएगा। अल्लाह तआला आपकी मदद करेगें। लिहाज़ा वह नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को तसल्ली देती थीं। हिजरत से तीन साल पहले 65 की उम्र में आपकी वफात हुई।
अल्लाह से एक दिली दुआ…
ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।
प्यारे भाइयों और बहनों :-
अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।
क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….