इरशाद फ़रमाया अल्लाहतआला ने कि— ऐ मुसलमानो ! तुम लोगो की तरफ से बहुत शक न किया करो, क्योंकि बाज शक गुनाह होते हैं, और एक-दूसरे का ऐब तलाश न किया करो और न तुम में से कोई किसी के पीछे किसी की ग़ीबत किया करे।
भला तुम में से कोई यह बात पसन्द करेगा कि अपने मरे हुए भाई का गोश्त खाये । हरगिज़ पसन्द न करेगा। तो फिर गीबत क्यों करते हो कि यह भी एक क़िस्म का मुरदार खाना है (सूरतउलहिजरात)
और हज़रत मौहम्मद मुस्तफ़ा (स० ) फ़रमाते हैं कि- तुम जानते हो ग़ीबत क्या चीज़ है? आपके सहाबा ने अर्ज की कि अल्लाह और उसका रसूल खूब जानते हैं आप (स० ) ने फ़रमाया ग़ीबत यह है कि अपने भाई मुसलमान की कोई बात इस तरह बयान करे कि अगर उसको ख़बर हो जाये तो उसको बुरा लगे। इस्लाम में बीवी के हुकूक।
असहाबों ने अर्ज की या रसूल अल्लाह ! अगर हमारे उस मुसलमान भाई में वह बात हो जो हम कहते हैं। आप (स० )ने फ़रमाया, अगर उसमें वह बात है जो तुम कहते हो तो तुमने उसकी ग़ीबत की और अगर उसमें वह बात न हो जो तुम कहते हो तो तुमने उस पर बोहतान लगाया।Geebat aur ghamand karne ki saza
खूब समझ लो जो शख्स मर्द हो या औरत, ग़ीबत करेगा तो वह मेरी शिफाअत से महरूम रहेगा या अल्लाह तेरी पनाह !
गीबत ऐसी बुरी चीज़ है कि अल्लाह व रसूल की नाराज़गी किस क़दर ज़ाहिर होती है। यह तो आखिरत का नुक़सान हुआ और दुनिया का नुकसान सब जानते हैं कि गीबत लड़ाई फ़साद की जड़ है।
हुजूर अकरम(स०) फ़रमाते हैं कि जब अल्लाह तआला ने मुझे मेराज नसीब फ़रमायी तो मेरा गुज़र ऐसे लोगों पर हुआ जिनके नाखून तांबे के थे और वह उनसे अपना मुँह खुरचते थे मैंने पूछा- ऐ जिबराईल ! यह कौन लोग है? कहा यह वह लोग जो ग़ीबतें करके लोगों के गोश्त खाते थे और उनकी इज्जत बरबाद करने के पीछे पड़े रहते थे।
ऐसा कौन आदमी है जो जाहिरी और बातिनी ऐबों से खाली हो यह तो अल्लाह तआला का फज्लो करम है कि एक के दिल में दूसरे की इज़्ज़त डाल दी और इज़्ज़त को ऐबों का पर्दापोश बना दिया कि आपस में नफरत न हो जैसे हर पेट में पाख़ाने पेशाब की अला-बला भरी पड़ी है, हज़रत आइशा रजि० पर तोहमत।
मगर गोश्त ने पर्दा बना कर उनको छुपा दिया है, वर्ना हर शख्स दूसरे के पास नही बैठ सकता था। बस जो शख्स पीठ पीछे किसी की ग़ीबत करता है और अपनी इज्जत बढ़ाने के लिए उसके ऐब खोलता है वह गोया मुर्दे का गोश्त खाता है और उस भाई मुसलमान को ख़बर भी नहीं कि उसका भाई उसके साथ क्या सलूक कर रहा है।Geebat aur ghamand karne ki saza
देखो! शेर एक हैवान और फाड़ खाने वाला जानवर है, मगर मुरदार गोश्त के खाने से नफरत करता है। फिर मुसलमान जो कि इन्सान है, अल्लाह व रसूल के हुक्मों को मानता है तो बहुत ज्यादा उस का हक़दार है कि नफरत करे। क्योंकि ग़ीबत करना जिना वग़ैरा से भी ज्यादा और गन्दा गुनाह है।
तकब्बुर(घमंड)करने की सज़ा:-
इल्मी लियाक़त या इबादत या दयानतदारी में या दौलत व इज्ज़त में या कुव्वत व कौमियत या हकूमत वग़ैरा में अकड़ना और इतराना और अपने आप को बड़ा समझना यह तकब्बुर है।
इसी तकब्बुर की वजह से बहुत से लोग गुमराह हो गये है। सब से बड़ा गुमराह शैतान भी इस वजह से काफ़िर और दोजखी हुआ। सुल्ताने दो जहाँ हज़रत मौहम्मद मुस्तफ़ा (स० ) फ़रमाते हैं कि जिसके दिल में राई के दाने के बराबर भी तकब्बुर होगा वह जन्नत में नहीं जायेगा । दुआ माँगने की फ़ज़ीलत ।
और जो शख्स तकब्बुर करता है अल्लाह तआला उस की गर्दन तोड़ देता है यानी उसको जलील और बेइज्जत कर देता है। ऐसे लोगों को यह सोचना चाहिए कि यह जितनी खूबियाँ हमारे अन्दर है अल्लाह तआला की दी हुई है।Geebat aur ghamand karne ki saza
अगर वह चाहे तो जरा-सी देर में सब छीन ले फिर अपने आप को औरों से बड़ा समझना फजूल और फिरऔनियत और शैतानी काम है, जिसका नतीजा जिल्लत और बेइज्जत होना है और दोजख में जाना है।
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क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…