मगरिब की नमाज़ पढ़ने का तरीका।Magrib ki Namaz padhne ka Tariqa.

magrib ki namaz padhne ka tarika

आज हम आपको मगरिब की नमाज़ का वक़्त और इस नमाज़ को पढ़ने का तरीका बताएँगे ताकि आप को मगरिब की नमाज़ से जुड़ी सारी जानकारी एक ही जगह पर मिल जाये।

इस्लाम में जो 5 नमाज़े पढ़ने का हुक्म हैं उन सभी को पाबंदियों से पढ़ना ज़रूरी हैं। ऐसा नहीं की आप पांचों में से कोई एक नमाज़ को पढ़ ले और बाकि को छोड़ दे। सारी नमाज़े वक़्त पर पढ़ना ज़रूरी हैं ताकि हम गुनाहों से बच सके और अपनी आख़िरत को सुधार सके।

मगरिब की नमाज़ का वक़्त
वैसे तो आजकल हमारे इलाको में मजीद से अज़ान की आवाज़ आ जाती हैं जिससे हमें मालूम चल जाता है की मगरिब की नमाज़ का वक़्त हो गया हैं लेकिन जब हम कहीं ऐसी जगह होते हैं जहाँ दूर दूर तक कोई मस्जिद नहीं हैं

न ही अज़ान की आवाज़ की गुंजाईश रहती हैं उस दौरन हमें मगरिब की नमाज़ का वक़्त मालूम नहीं चल पाता। तब हम परेशान हो जाते है की आखिर मगरिब का सही वक़्त कब से कब तक रहता है?Magrib ki Namaz padhne ka Tariqa.

मगरिब की नमाज़ का वक़्त सूरज डूबते वक़्त जब आसमान में सफ़ेद रौशनी दिखाई देती हैं तब तक रहता हैं। जब यह सफ़ेद रौशनी दिखना बंद हो जाती हैं तब मगरिब की नमाज़ का वक़्त ख़त्म हो जाता हैं। मतलब सूरज डूबने का वक़्त जो हल्का अँधेरा रहता हैं तब आप मगरिब की नमाज़ पढ़ सकते हैं।

पूरा अँधेरा होने पर इस नमाज़ का वक़्त ख़त्म हो जाता हैं। मगरिब की नमाज़ का वक़्त एक घंटे तक रहता हैं। लिहाज़ा आप कोशिश करिये की इस एक घंटे में आप मगरिब की नमाज़ अदा कर लें। कुछ लोग ये भी कहते है की जब ईशा की अज़ान होती हैं। उससे पहले तक मगरिब की नमाज़ का वक़्त रहता है लेकिन ये सही नहीं।

आप कोशिश करिये की पूरा अँधेरा होने से पहले मगरिब की नमाज़ अदा कर लें। अँधेरा होने के बाद फिर आपको इसकी कज़ा नमाज़ पढ़ने पड़ेगी।

मगरिब की नमाज़ में कितनी रकातें होती हैं?
मगरिब की नमाज़ में कुल 7 रकातें होती हैं ,जो इस तरह हैं,
3 फ़र्ज़, 2 सुन्नत और 2 नफ़िल ,अगर आप यह नमाज़ पढ़ने मस्जिद जा रहे हैं तो अज़ान होते ही जल्दी से मस्जिद पहुँच जाये क्यूंकि इस नमाज़ में अज़ान के बाद वक़्त बहुत कम मिलता हैं।

अगर मस्जिद आपके घर से थोड़ा दूर है तो हो सकता हैं जब आप जब मस्जिद पहुंचे उस वक़्त नमाज़ शुरू हो जाये और आप जमात के साथ नमाज़ न पढ़ सके। इसलिए बेहतर है अगर मस्जिद घर से दूर है तो घर पर ही नमाज़ अदा कर ले।
अगर घर पर ही पढ़ रहे है तो कोई मसला नहीं।Magrib ki Namaz padhne ka Tariqa.

मगरिब की 3 रकात फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ने का तरीका
सबसे पहले नियत करें, नियत की मैंने 3 रकात नमाज़ फ़र्ज़, वास्ते अल्लाह तआला के अगर आप मस्जिद में नमाज़ पढ़ रहे हैं तो पीछे इस इमाम के बोल सकते है घर पर पढ़ रहे हैं तो ये लाइन बोलने की ज़रूरत नहीं वक़्त मगरिब का,

मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ और फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने दोनों हाथ उठा कर अपने कानों तक ले जाये फिर दोनों हाथों को नाफ़ के नीचे बांध ले और सूरह सना पढ़े जो इस तरह हैं “सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबा रकस्मुका व तआला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका”

इसके बाद आप अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम बिस्मिल्लाहीर्रहमानिररहीम पढ़े। उसके बाद सूरह फातेहा पढ़े। सूरह फातेहा पढ़ने के बाद कोई एक सूरह पढ़े जैसे कुल्हुवल्लाह, या कुल अऊजु बिरब्बिल फलक या कोई और सूरह जो आपको याद हो।

सूरह पढ़ने के बाद आप अल्लाहो अकबर कहते हुए रुकू में जाये रुकू में जाने के बाद 3 मर्तबा “सुबहान रब्बी अल अज़ीम” पढ़े। इस वक़्त आपको अपनी नज़र अपने पैर के अंगूठे पर रखनी हैं।

इसके बाद आप “समीअल्लाहु लिमन हमीदह” कहते हुए रुकू से खड़े हो जाये और रब्बना व लकल हम्द कहते हुए उसके बाद अल्लाहो अकबर बोलते हुए सजदे में जाये। सजदे में इस तरह जाये की आपका सीधा घुटना पहले ज़मीन पर लगे।Magrib ki Namaz padhne ka Tariqa.

फिर सजदे में 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। 3 बार सुबहाना रब्बी अल आला पढ़ने के बाद फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए उठे और वापिस सजदे में जाये। वापिस 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े।

आप फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े हो जाये और हाथ बांध ले और फिर से सूरह फातेहा (अल्हम्दु शरीफ) पढ़े और उसके बाद कोई दूसरी सूरह जो आपको याद हो वो पढ़े। उसके बाद फिर से अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाये।

रुकू में जाने के बाद वापिस 3 मर्तबा “सुबहाना रब्बी अल अज़ीम” पढ़े। इसके बाद वापिस आप “समीअल्लाहु लिमन हमीदह” कहते हुए रुकू से खड़े हो जाये और दोबारा रब्बना व लकल हम्द कहते हुए उसके बाद अल्लाहो अकबर कहते हुए सजदे में जाये।

सजदे में वापिस 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े फिर वापिस अल्लाहु अकबर कहते हुए दोबारा सजदे में सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे पैर के पंजो के बल पर बैठ जाये।

ध्यान रहे आप जब बैठे तो सीधे पैर के अंघूठे के बल पर पांचो अँगुलियों समेत बैठे। उल्टा पैर आप ज़मीन पर टिका सकते हैं। अगर कोई परेशानी आ रही हैं इस तरह बैठने में या अंगूठा हिल जाता है तो कोई मसला नहीं लेकिन जानबूझकर अंगूठा हिलाना या दोनों पैर ज़मीन पर टिका कर बैठना गलत हैं।

फिर आप अत्तहिय्यात पढ़े अत्तहिय्यात पढ़ने के दौरान आपको अशहदु अल्लाह अल्फ़ाज़ आते ही शहादत की ऊँगली को उठाना हैं। फिर आप अल्लाहो अकबर बोलते हुए तीसरी रकात के लिए फिर से खड़े हो जाये।

फिर बिस्मिल्लाहीर्रहमानिररहीम पढ़कर सूरह फातेहा पढ़े। उसके बाद कोई सूरत आपको नहीं पढ़ना हैं, सिर्फ सूरह फातेहा पढ़ना हैं। सूरह फातेहा पढ़ने के बाद आप अल्लाहो अकबर कहते हुए रुकू में जाये। रुकू में जाने के बाद 3 मर्तबा “सुबहान रब्बी अल अज़ीम” पढ़े।

इसके बाद आप “समीअल्लाहु लिमन हमीदह” कहते हुए रुकू से खड़े हो जाये और रब्बना व लकल हम्द कहते हुए उसके बाद अल्लाहो अकबर बोलते हुए सजदे में जाये। फिर सजदे में 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े।

3 बार सुबहाना रब्बी अल आला पढ़ने के बाद फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए उठे और वापिस सजदे में जाये। वापिस 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े।Magrib ki Namaz padhne ka Tariqa.

फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाये। फिर वापिस अत्तहिय्यात पढ़े अत्तहिय्यात पढ़ने के बाद आप दरूदे इब्राहिम एक मर्तबा पढ़े। इसके बाद आप दुआ ए मसुरा पढ़े। ये दुआ पढ़ने के बाद सलाम फेर ले जैसे अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह पहले सीधे हाथ की तरफ फिर उलटे हाथ की तरफ सलाम फेर कर नमाज़ को पूरी करे। इस तरह आपकी 3 रकात नमाज़ फ़र्ज़ हो गयी

2 रकात सुन्नत पढ़ने का तरीका
नियत की मैंने 2 रकात नमाज़ सुन्नत, वास्ते अल्लाह तआला के वक़्त मगरिब का, मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ और फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने दोनों हाथ उठा कर अपने कानों तक ले जाये फिर दोनों हाथों को नाफ़ के नीचे बांध ले

और सूरह सना पढ़े जो इस तरह हैं “सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबा रकस्मुका व तआला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका” इसके बाद आप अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम बिस्मिल्लाहीर्रहमानिररहीम पढ़े।

उसके बाद सूरह फातेहा पढ़े। सूरह फातेहा पढ़ने के बाद कोई एक सूरह पढ़े जैसे कुल्हुवल्लाह, या कुल अऊजु बिरब्बिल फलक या कोई और जो आपको याद हो। सूरह पढ़ने के बाद आप अल्लाहो अकबर कहते हुए रुकू में जाये रुकू में जाने के बाद 3 मर्तबा “सुबहान रब्बी अल अज़ीम” पढ़े।

इस वक़्त आपको अपनी नज़र अपने पैर के अंगूठे पर रखनी हैं। इसके बाद आप “समीअल्लाहु लिमन हमीदह” कहते हुए रुकू से खड़े हो जाये और रब्बना व लकल हम्द कहते हुए उसके बाद अल्लाहो अकबर बोलते हुए सजदे में जाये। सजदे में इस तरह जाये की आपका सीधा घुटना पहले ज़मीन पर लगे।

फिर सजदे में 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। 3 बार सुबहाना रब्बी अल आला पढ़ने के बाद फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए उठे और वापिस सजदे में जाये। वापिस 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े।

आप फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े हो जाये और हाथ बांध ले और फिर से अल्हम्दु शरीफ पढ़े और उसके बाद कोई दूसरी सूरह जो आपको याद हो वो पढ़े। उसके बाद फिर से अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाये।

रुकू में जाने के बाद वापिस 3 मर्तबा “सुबहाना रब्बी अल अज़ीम” पढ़े। इसके बाद वापिस आप “समीअल्लाहु लिमन हमीदह” कहते हुए रुकू से खड़े हो जाये और दोबारा रब्बना व लकल हम्द कहते हुए उसके बाद अल्लाहो अकबर कहते हुए सजदे में जाये।

सजदे में वापिस 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े फिर वापिस अल्लाहु अकबर कहते हुए दोबारा सजदे में सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाये।

ध्यान रहे आप जब बैठे तो सीधे पैर के अंघूठे के बल पर पांचो अँगुलियों समेत बैठे। उल्टा पैर आप ज़मीन पर टिका सकते हैं। अगर कोई परेशानी आ रही हैं इस तरह बैठने में या अंगूठा हिल जाता है तो कोई मसला नहीं। लेकिन जानबूझकर अंगूठा हिलाना या दोनों पैर ज़मीन पर टिका कर बैठना गलत हैं।Magrib ki Namaz padhne ka Tariqa.

फिर आप अत्तहिय्यात पढ़े। अत्तहिय्यात पढ़ने के दौरान आपको अशहदु अल्लाह अल्फ़ाज़ आते ही शहादत की ऊँगली को उठाना हैं। अत्तहिय्यात पढ़ने के बाद आप दरूदे इब्राहिम एक मर्तबा पढ़े। इसके बाद आप दुआ ए मसुरा पढ़े।

ये दुआ पढ़ने के बाद सलाम फेर ले जैसे अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह पहले सीधे हाथ की तरफ फिर उलटे हाथ की तरफ सलाम फेर कर नमाज़ को पूरी करे। इस तरह आपकी 2 रकत नमाज़ सुन्नत हो गयी।

2 रकात नमाज़ नफ़िल पढ़ने का तरीका
इस नमाज़ में सिर्फ आपको नियत में कुछ बदलाव करना हैं बाकि जैसे आपने 2 रकात सुन्नत पढ़ी वैसे ही 2 रकात नफ़िल पढ़नी है।

2 रकात नफ़िल नमाज़ की नियत
नियत की मैंने 2 रकात नमाज़ नफ़्ल, वास्ते अल्लाह तआला के वक़्त मगरिब का, मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ और फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने दोनों हाथ उठा कर अपने कानों तक ले जाये फिर दोनों हाथों को नाफ़ के नीचे बांध ले और सूरह सना पढ़े। बाकि जो तरीका ऊपर बताया हैं वही तरीका इस नमाज़ का ही हैं।

अल्लाह हम सबको पंजवक्ता नमाज़ पढ़ने की तौफीक अता फरमाए आमीन।

मगरिब की नमाज़ को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

खुदा हाफिज…

Sharing Is Caring:

Leave a Comment