21/08/2025
माँ की ममता 20250630 145126 0000

माँ की ममता।Maa ki Mamta.

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Maa ki Mamta.
Maa ki Mamta.

जब बच्चे की पैदाईश होती है तो माँ की ज़िन्दगी में तब्दीली आ जाती है। यह बेचारी अपने आपको भूल जाती है। हर वक़्त बच्चे की फिक्र लगी है। कभी उसे दूध पिला रही है, कभी सुला रही है, कभी पहना रही है, कभी बहला रही है।

हर वक़्त उसकी सोचें बच्चे के बारे में, हर वक्त उसकी फिक्र बच्चे के बारे में, ये बच्चे को खुश देखकर खुश हो जाती है और बच्चे को दुखी देखकर ग़मगीन हो जाती है ।बच्चे की पैदाईश के बाद मुहब्बतों के पैमाने बदल गये । उसका कोई क़रीबी रिश्तेदार बच्चे को प्यार न करे तो यह उसे अपना नहीं गैर समझेगी।

और अगर कोई ग़ैर औरत उस बच्चे से मुहब्बत का इज़हार करेगी तो यह उसे अपना समझेगी। बच्चे की जुदाई इससे बरदाश्त हो नहीं सकती। कभी अपनी बहन के घर अपने बच्चे को भेज दिया तो थोड़ी देर के बाद फोन करती है कि जल्दी पहुँचा दें।और जब बच्चा इसकी गोद में आता है तो यह समझती है कि सारी दुनिया की खुशियाँ मेरी गोद में आ गईं।

यह क्या चीज़ है? यह बच्चे की मुहब्बत है । जो अल्लाह रब्बुल् – इज़्ज़त ने माँ के दिल में डाल दी है। यह पहले बच्चे को खिलाती है फिर खुद खाती है। पहले बच्चे को पिलाती है फिर खुद पीती है। पहले बच्चे को सुलाती है बाद में खुद सोती है।

सारा दिन इसने काम किया, थकी हुई थी आँखें नींद से भरी हुई थीं, जैसे ही लेटी बच्चे ने रोना शुरू कर दिया। यह बच्चे को उठाकर बैठ जायेगी। अपने आराम को कुरबान कर देगी। अगर बच्चे को उसकी गोद में नींद आ गयी तो वहीं बैठी रहेगी। हरकत भी नहीं करेगी। दिल में यह आयेगा कि मेरी हरकत से बच्चा जाग न जाये।

यह खुद भी थकी हुई थी, जाग रही है, लेकिन बच्चे का जागना इसको गवारा नहीं। यह अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने औलाद की मुहब्बत माँ के दिल में डाल दी है। चुनाँचा हमने देखा कि बच्चा जवान हो गया। काम करने बाहर निकला, रात को आने में देर हो गयी। घर के सब लोग अपने वक्त पर खाना खा लेंगे।एक माँ ही होगी जो इन्तिज़ार में रहेगी।

बेटी भी कहती है अम्मी खाना खा लो, मियाँ भी कहता है कि खाना खा लो। यह कहेगी नहीं! मैं बाद में खाऊँगी। उसके दिल में यह होता है मालूम नहीं मेरे बेटे को खाना मिला होगा या नहीं। जब मैं उसे देखूँगी फिर वह भी खायेगा मैं भी खाऊँगी।सारे घर के लोग सो जाते हैं। यह माँ बिस्तर पर करवटें बदल रही होती है। कभी दरवाज़े को देखती है कभी फोन की घन्टी सुनने लगती है।

मेरे बच्चे का कहीं से पैगाम आये। दिल घबराता है उठकर मुसल्ले पर बैठ जाती है। दुपट्टा आसुँओं से तर कर लेती है। अल्लाह मेरे बेटे की हिफाज़त करना, ख़ैरियत से वापस आ जाये।आख़िर यह क्या है? यह माँ के दिल में औलाद की मुहब्बत है । बल्कि सच्ची बात तो यह है कि दुनिया के सब लोग नेकों से मुहब्बत करते हैं लेकिन माँ एक ऐसी हस्ती है जो बुरी औलाद से भी मुहब्बत करती है। शौहर नाराज़ हो रहा है, तुम्हारे प्यार ने बच्चों को बिगाड़ा दिया यह कहेगी यह तो मुक़द्दर था उनका, मैं क्या करूँ । आखिर मेरा तो बच्चा है।

खूबसूरत वाक़िया:- दूसरों को जलाने की बात नहीं।

बाप गुस्से में कह जायेगा बच्चे को कि घर से चले जाओ। माँ कभी अपनी ज़वान से कह नहीं सकती। यह नेक औलाद से भी मुहब्बत करती है और बुरी औलाद से भी मुहब्बत करती है। अल्लाह रब्बुल्-इज़्ज़त ने इसके दिल को ममता से भर दिया। यह वह नेमत है। जो बाज़ार से नहीं मिल सकती।

मां की ममता वह नेमत है जिसकी कीमत कोई अदा नहीं कर सकता और उसको माँ के सिवा कोई दूसरा समझ भी नहीं सकता। सुबहान अल्लाह,

अल्लाह से एक दिली दुआ…

ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।

प्यारे भाइयों और बहनों :-

अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।

क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….

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