19/05/2025
मुसलमान से अल्लाह के लिए मुहब्बत करना। 20250207 164002 0000

मुसलमान से अल्लाह के लिए मुहब्बत करना। To love a Muslim for the sake of Allah.

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To love a Muslim for the sake of Allah.
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हज़रत बरा बिन आज़िब रज़ियल्लाहु अन्हुमा फ़रमाते हैं कि हम लोग नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास बैठे हुए थे कि इतने में हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने पूछा कि इस्लाम का कौन-सा हिस्सा सबसे ज्यादा मज़बूत है ?

सहाबा रज़ियल्लाहो अन्हो ने कहा, नमाज़ ।

हुजूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, नमाज़ बहुत अच्छी चीज़ है, लेकिन जो मैं पूछ रहा हूं, वह यह नहीं है।

सहाबा रज़ियल्लाहो अन्हो ने कहा, रमज़ान के रोजे ।

हुजूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, रोज़ा भी अच्छी चीज़ है, लेकिन यह वह नहीं है।

सहाबा रज़ि० ने कहा, जिहाद ।

हुजूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, जिहाद भी अच्छी चीज़ है, लेकिन यह वह चीज़ नहीं है। फिर फ़रमाया, ईमान का सबसे मज़बूत हिस्सा यह है कि तुम अल्लाह के लिए मुहब्बत करो और अल्लाह के लिए बुग्ज़ रखो।

हज़रत अबूज़र रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि एक बार हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हमारे पास तशरीफ़ लाए और फ़रमाया, क्या तुम जानते हो, कौन-सा अमल अल्लाह को सबसे ज़्यादा महबूब है?

किसी ने कहा, नमाज़ और ज़कात, किसी ने कहा, जिहाद ।

हुजूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, अल्लाह को सबसे ज़्यादा महबूब अमल अल्लाह के लिए मुहब्बत करना और अल्लाह के लिए बुग्ज़ रखना है।

हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा फ़रमाती है, हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सिर्फ मुत्तक़ी आदमी से मुहब्बत किया करते थे।’

हज़रत उस्मान बिन अबिल आस रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं, दो आदमी ऐसे हैं कि जब हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इंतिक़ाल हुआ तो हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को इन दोनों से मुहब्बत थी एक हज़रत अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद रज़ियल्लाहु अन्हु, दूसरे हज़रत अम्मार बिन यासिर रज़ियल्लाहु अन्हुमा।

हज़रत हसन रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं, हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हज़रत अम्र बिन आस रज़ियल्लाहु अन्हु को फ़ौज का अमीर बनाकर भेजते थे और इस फ़ौज में हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम के आम सहाबा रज़ियल्लाहो अन्हो होते थे, तो किसी ने हज़रत अम्र रज़ियल्लाहो अन्हो से कहा, हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम आपको अमीर बनाते थे और अपने क़रीब करते थे और आपसे मुहब्बत करते थे।

हज़रत अम्र रज़ियल्लाहो अन्हो ने कहा, हुजूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम वाक़ई मुझे अमीर बनाया करते थे, लेकिन मुझे यह मालूम नहीं कि हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम इस तरह मेरा दिल लगाने के लिए फ़रमाते थे या वाक़ई हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को मुझसे मुहब्बत थी, लेकिन मैं तुम्हें ऐसे दो आदमी बताता हूं कि जब हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम का इंतिक़ाल हुआ, उस वक़्त हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को उनसे मुहब्बत थी, एक हज़रत अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद और दूसरे हज़रत अम्मार बिन यासिर रज़ियल्लाहु अन्हुमा ।’

इब्ने साद की रिवायत में इसके बाद यह मन्सून है कि लोगों ने कहा, अल्लाह की क़सम ! यह (अम्मार बिन यासिर) सिफ़्फ़ीन की लड़ाई के दिन आप लोगों के हाथों क़त्ल हुए थे। हज़रत अम्र रज़ियल्लाहो अन्हो ने कहा, आप लोग ठीक कह रहे हैं, वाक़ई वे हमारे हाथों क़त्ल हुए थे।

हज़रत उमामा बिन ज़ैद रज़ियल्लाहु अन्हुमा फ़रमाते हैं, मैं हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के दरवाज़े पर बैठा हुआ था कि इतने में हज़रत अली और हज़रत अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा अन्दर जाने की इजाज़त लेने आए और यों कहा, ऐ. उसामा ! अन्दर जाकर हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से हमारे लिए इजाज़त ले आओ ।

मैंने अन्दर जाकर कहा, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम! हज़रत अली रज़ियल्लाहो अन्हो और हज़रत अब्बास रजिअल्लाहो तआला अन्हो अन्दर आने की इजाज़त चाह रहे हैं। हुजूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, तुम्हें मालूम है, वे दोनों क्यों आए हैं? मैंने कहा, नहीं। हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, मुझे मालूम है, उन्हें अन्दर भेज दो।

उन दोनों ने अन्दर आकर अर्ज़ किया, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम! हम आपसे यह पूछने आए हैं, आपको अपने रिश्तेदारों में से सबसे ज्यादा महबूब कौन है ?

आप सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, फ़ातिमा बिन्त मुहम्मद रज़ियल्लाहु अन्हा । उन्होंने कहा, हम आपके घरवालों के बारे में नहीं पूछ रहे हैं।
हुजूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, मुझे लोगों में सबसे ज्यादा महबूब वह आदमी है जिस पर अल्लाह ने इनाम फ़रमाया है और मैंने भी उस पर इनाम किया है और वह है उसामा बिन जैद रज़ियल्लाहो अन्हु।

इन दोनों ने कहा, उनके बाद कौन ?

आप सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, फिर अली बिन अबी तालिब ।

इस पर हज़रत अब्बास रज़ियल्लाहो अन्हो ने कहा, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम! आपने तो अपने चचा को सबसे आख़िर में कर दिया।

हुजूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, अली रजिअल्लाहो तआला अन्हो ने आपसे पहले हिजरत की है और हमारे यहां दर्जा दीन की मेहनत के मुताबिक़ बनता है।’

हज़रत अम्र बिन आस रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं, मैंने पूछा, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम! आपको लोगों में सबसे ज़्यादा महबूब कौन है? हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा।

उस आदमी ने पूछा और मर्दों में से कौन ?

हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, अबूबक्र रज़ियल्लाहु अन्हु ।

उस आदमी ने पूछा, फिर कौन? आपने फ़रमाया, अबू उबैदा रज़ियल्लाहु अन्हु ।

हज़रत अम्र रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं, मैंने पूछा, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम! आपको लोगों में सबसे ज्यादा महबूब कौन है?

हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा ।

मैंने कहा, मैं मर्दों में से पूछ रहा हूं। हुजूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, उनके वालिद ।’

हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि एक आदमी हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास बैठा हुआ था कि इतने में एक आदमी गुजरा। पास बैठे हुए उस आदमी ने कहा, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम! मुझे इस आदमी से मुहब्बत है।

हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, क्या तुमने इसे बताया है?

उसने कहा, नहीं। हुजूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, उसे बता दो । चुनांचे वह साहब उसके पीछे गए और उसे कहा, मैं आपसे अल्लाह के लिए मुहब्बत करता हूं। उस आदमी ने जवाब में दुआ दी –

अह्ब्बकल्लज़ी अह-बब-तनी लहू

‘जिस ज़ात की वजह से तुमने मुझसे मुहब्बत की, वह तुमसे मुहब्बत करे।’

हज़रत इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा फ़रमाते हैं कि एक बार मैं नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास बैठा हुआ था कि इतने में एक आदमी ने हुजूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम के पास आकर सलाम किया और फिर वापस चला गया। मैंने कहा, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम! मुझे उस आदमी से मुहब्बत है।

हुजूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, क्या तुमने उसे यह बात बता दी है ?

मैंने कहा, नहीं। हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, यह बात अपने भाई को बता दो ।

चुनांचे मैं उसी वक़्त वहां से चल पड़ा और जाकर उसे सलाम किया, फिर मैंने उसका कंधा पकड़कर कहा, अल्लाह की क़सम ! मैं आपसे अल्लाह के लिए मुहब्बत करता हूं। उसने कहा, मैं भी आपसे अल्लाह के लिए मुहब्बत करता हूं और मैंने कहा, अगर हुजूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम मुझे इसका हुक्म न देते, तो मैं यह बताने का काम न करता।

हज़रत अब्दुल्लाह बिन सर्जिस रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं, मैंने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की खिदमत में अर्ज़ किया कि मैं हज़रत अबूज़र रज़ियल्लाहु अन्हु से मुहब्बत करता हूं।

हुजूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, क्या तुमने उनको यह बात बता दी है?

मैंने कहा, नहीं। हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, उन्हें बता दो।

फिर जब मेरी हज़रत अबूज़र रज़ियल्लाहो अन्हो से मुलाक़त हुई, तो मैंने कहा, मुझे आपसे अल्लाह के लिए मुहब्बत है।

उन्होंने जवाब में मुझे यह दुआ दी (यह ऊपर वाली दुआ है)

फिर मैंने वापस आकर हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम को बताया। हुजूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, अपनी मुहब्बत के बताने में भी अज्र व सवाब मिलता है।’

हज़रत मुजाहिद रहमतुल्लाहि अलैहि कहते हैं कि एक आदमी हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा के पास से गुज़रा, तो हज़रत इब्ने अब्बास रज़ि० ने फ़रमाया, यह आदमी मुझसे मुहब्बत करता है।

लोगों ने पूछा, ऐ इब्ने अब्बास रजि० ! आपको कैसे पता चला ?

उन्होंने कहा, इसलिए कि मैं उससे मुहब्बत करता हूं, क्योंकि दिल को दिल से राह होती है। अगर तुम्हें किसी से मुहब्बत है, तो समझ लो कि उसे भी तुमसे मुहब्बत है।

हज़रत मुजाहिद रहमतुल्लाहि अलैहि कहते हैं कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के एक सहाबी मुझसे मिले और पीछे से मेरा कंधा पकड़कर उन्होंने कहा, ग़ौर से सुनो, मैं तुमसे मुहब्बत करता हूं। मैंने जवाब में यह दुआ दी-
अह्ब्बकल्लज़ी अह-बब-तनी लहू

फिर उन्होंने कहा, हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है कि जब किसी आदमी को किसी से मुहब्बत हो तो उसे चाहिए कि वह उसे बता दे। अगर हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने यह न फ़रमाया होता, तो मैं तुम्हें न बताता । फिर मुझे वह शादी का पयाम देने लगे और यों कहा, देखो, हमारे यहां एक लड़की है और तो उसमें बहुत खूबियां हैं, बस एक खराबी है कि वह कानी है यानी उसका ऐब भी बता दिया, ताकि मामला साफ रहे ।’

हज़रत मुजाहिद रहमतुल्लाहि अलैहि कहते हैं कि हज़रत इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा ने मुझसे फ़रमाया कि अल्लाह के लिए मुहब्बत करो और अल्लाह के लिए बुग्ज़ रखो और अल्लाह के लिए दोस्ती करो और अल्लाह के लिए दुश्मनी करो, क्योंकि अल्लाह की दोस्ती और कुर्ब सिर्फ़ उन्हीं खूबियों से हासिल हो सकता है,

जब तक आदमी ऐसा नहीं बन जाएगा वह चाहे कितनी नमाज़ें पढ़ ले और चाहे कितने रोज़े रख ले, ईमान का मज़ा नहीं चख सकता, अब तो लोगों का भाईचारा सिर्फ़ दुनिया के मामलों की वजह से रह गया है।

अल्लाह रबबुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को रसूल-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे जिन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।

इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें। ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।

खुदा हाफिज…

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