27/04/2025
Suhagrat ke chand adaab ek bahot badi Galatfahmi

सुहागरात के चन्द आदाब ,एक बहोत बड़ी गलत फहमी।Suhaagrat ke chand Aadab ek bahot badi galat fahmi.

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Suhagrat ke chand adaab ek bahot badi Galatfahmi

जब दूल्हा, दुल्हन कमरे में जाए और तन्हाई हो तो बेहतर येह हैं कि, सब से पहले दुल्हन, दूल्हा दोनों वुजू कर ले और फिर जानमाज़ या कोई पाक कपड़ा बिछा कर दो (2) रक्अत नमाज़ नफिल, शुक्राना पढ़े। अगर दुल्हन हैज़ (माहवारी) की हालत में हो तो नमाज़ न पढ़े लेकिन दूल्हा जरूर पढ़े ।

हदीस :- हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मस्ऊद रजि अल्लाह तआला अन्हु फ़रमाते है की- “एक शख्स ने उनसे बयान किया कि मैं ने एक जवान लड़की से निकाह कर लिया है और मुझे डर है की वोह मुझे पसंद नहीं करेगी, हज़रत अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद(र.अ)ने फ़रमाया- “मुहब्बत अल्लाह की तरफ से होती है और नफ़रत शैतान की तरफ से, जब तुम बीबी के पास जाओ तो सब से पहले उस को कहो कि वोह तुम्हारे पीछे दो (2) रक्अत नमाज पढ़े । (गुन्यतुत्तालेबीन बाब नं. 5, सफा 115 )Suhaagrat ke chand Aadab ek bahot badi galat fahmi.

नमाज़ की नियत :- नियत की मैं ने दो रक्अत नमाज़ नफिल शुक्राने की वासते अल्लाह तआला के मुँह मेरा काबा शरीफ के तरफ अल्लाहो अकबर । फिर जिस तरह दूसरी नमाज़े पढ़ी जाती है उसी तरह येह नमाज़ भी पढ़े। यानी अलहम्द शरीफ़ फिर उसके बाद कोई एक सूरा मिलाए

नमाज़ के बाद इस तरह से दुआ करें- “या अल्लाह तेरा शुक्र और एहसान हैं कि तू ने हमें यह दिन दिखाया और हमें इस खुशी व नेमत से नवाजा और हमे अपने हबीब सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम की इस सुन्नत पर अमल करने की तौफीक अता फरमा अए अल्लाह हमारी इस खुशी को हमेशा इसी तरह कायम रख, हमें मेल मिलाप प्यार मुहब्बत के साथ इत्तेफाक व इत्तेहाद के साथ जिन्दगी गुज़ारने की तौफीक अता फरमा, अए रब्बे क़दीर हमें नेक फ़रमाबरदार औलाद अता फरमा, अए अल्लाह मुझे इस से और इस को मुझ से रोज़ी अता फरमा । आमीन । (गुन्यतुत्तालेबीन बाब नं. 5, सफा 115 )Suhaagrat ke chand Aadab ek bahot badi galat fahmi.

सुहाग रात की ख़ास दुआ :-नमाज़ और फिर उस के बाद दुआ पढ़ लेने के बाद दुल्हन दूल्हा, पलंग पर सुकून से बैठ जाए फिर उसके बाद दूल्हा अपनी दुल्हन की पेशानी के थोड़े से बाल अपने सीधे हाथ में नर्मी के साथ मुहब्बत भरे अन्दाज़ में पकड़े और येह दुआ पढ़े,

दुआ :- अल्लाहुम्मा इन्नी अस अलुका मिन खैरिहा-व-खैरिमा- जबल तहा-अलैहि व अउज़ू बिका-मिन शर्रीहा व शर्रिमा-जबलतहा अलैह । :-अए अल्लाह मैं तुझ से इस की यानी बीवी की भलाई और खैरो बरकत मांगता हूँ और उस की फ़ितरी आदतों की भलाई, और तेरी पनाह चाहता हूँ इस की बुराई और फितरी आदतों की बुराई से।

हदीस :- हज़रत अम्र बिन आस रजि अल्लाहा अन्हो से रिवायत है के सरकारे मदीना सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया- “जब कोई शख्स निकाह करे और पहली रात (सुहाग रात ) को अपनी दुल्हन के पास जाऐ तो नर्मी के साथ उस की पेशनी के थोड़े से बाल अपने सीधे हाथ में ले कर येह दुआ पढ़े । वही दुआ जो हम उपर नकल कर चुके हैं(अबूदाऊद शरीफ, जिल्द 2 सफा 150, व हिस्ने हसीन, सफा नं. 164)Suhaagrat ke chand Aadab ek bahot badi galat fahmi.

फजीलत :- सुहाग रात के रोज़ इस दुआ को पढ़ने की फजीलत में ओलमा-ए-दीन इरशाद फ़रमाते हैं कि अल्लाह रब्बुल ईज्ज़त इस के – पढ़ने की बरकत से मियाँ, बीवी के दरमियान इत्तेहाद व इत्तेफाक और मुहब्बत कायम रखेगा, और औरत में अगर बुराई हो तो उसे दूर फरमा कर उस के ज़रिये नेकी फैलाएगा और औरत हमेशा मर्द की ख़िदमत गुज़ार वफादार और फरमाबरदार रहेगी । (इन्शा अल्लाह)

अगर हम इस दुआ के मनों (अर्थ) पर गौर करे तो इस में हमारे लिए कितना अम्न व सुकून का पैगाम है । लिहाज़ा इस दुआ को सुहाग रात की रात जरूर पढ़ लें, येह दुआ हमें दर्स देती है के किसी भी वक्त यादे इलाही से गाफिल नही होना चाहिये बल्कि हर वक्त हर मामले में अल्लाह की रहमत के तलबगार रहें ।

एक बड़ी गलत फहमी :- कुछ लोगों का ख़्याल है कि जब औरत से पहली बार सोहबत की जाए तो उसकी शर्मगाह से खून का ख़ारिज होना जरूरी है ।

चुनाँचे येह खून का आना उस के बा अज़मत, पाक दामन, (पवित्र) होने का सुबूत समझा जाता है। अगर खून नहीं आया तो औरत बदचलन, आवारा समझी जाती है और औरत की शराफत और वा अजमत होने में शक किया जाता है।

कभी कभी यह शक ज़िन्दगी को कड़वा और बद मज़ा कर देता हैं और कई बार नौबत तलाक तक आ पहुँचती है। लिहाजा इस मस्अले पर रौशनी डालना और इस गलत फहमी को दूर करना ज़रूरी है।Suhaagrat ke chand Aadab ek bahot badi galat fahmi.

कुँवारी लड़कियों की शर्मगाह में थोड़ा अन्दर एक पतली झिल्ली होती है जिसे पर्दा-ए-अज़मत या पर्दा-ए-बकारत कहते हैं । इस झिल्ली में एक छोटा सा सूराख़ होता है जिस के ज़रिये लड़की के बालिग होने पर हैज़ (माहवारी) का खून अपने वक़्त पर खारिज होता रहता है ।

शादी के बाद जब मर्द पहली बार सोहबत करता है तो मर्द के ऊज़ू-ए-तनासुल के उस से टकराने की वजह से वोह झिल्ली फट जाती है इस मौके पर औरत को थोड़ी तकलीफ होती है और थोड़ा सा खून भी खारिज होता है। फिर येह झिल्ली (पर्दा) हमेशा के लिए ख़त्म हो जाता है ।

लेकिन चूँकि येह झिल्ली पतली और नाज़ुक होती हैं तो कई मरतबा किसी किसी लड़की की येह किसी मामूली चोट या किसी हादसे की वजह से या कभी कभी खुद ब खुद भी फट जाती है ।

आज कल बहुत सी लड़कियाँ सायकल वगैरा चलाती है, कुछ खेल कूद और कसरत वग़ैरा भी करती है जिस की वजह से भी येह झिल्ली कई मरतबा फट जाती है। ऐसी लड़कियों की जब शादी होती है और पहेली रात सोहबत् के वक्त जब मर्द खून नहीं देखता तो वोह शक करने लगता है ।

किसी किसी औरत की येह झिल्ली ऐसी लचकदार होती है कि सोहबत के बाद भी नहीं फटती और सोहबत करने में रूकावट भी पैदा नहीं करती । और न ही खून ख़ारिज होता है ।

लाखों में से किसी एक औरत की येह झिल्ली इतनी मोटी और सख्त होती है कि फटती नहीं जिसके लिए नशतर की ज़रूरत पड़ती है । लिहाजा अगर किसी लड़की से सोहबत के वक्त खून न आए तो ज़रूरी नहीं के वोह आवारा और अय्याश व बदचलन हो इस लिए उस की अज़मत और पाक दामनी पर शक करना किसी भी सूरत में मुनासिब न होंगा, जब तक की मुकम्मल शरई सुबूत न हो । फिकह की मशहूर किताब “तन्वीरूल अबसार” में है-

“जिस का पर्दा-ए-अज़मत कूदने, हैज़ आने या जख़्म या उमर ज्यादा होने की वजह से फट जाए वोह औरत हकीकत में बकिरह (कुंवारी, पाक दामन) है” । (तन्वीरूल अवसार, बहवाला फतावा-ए-रज़वीया, जिल्द 12 सफा 36 )

सुहागरात की बातें दोस्तों से कहना :- कुछ लोग अपने दोस्तों को पहली रात (सुहाग रात) में बीवी के साथ की हुई बातें और हरकतें मज़े ले कर सुनाते हैं, दूल्हा अपने दोस्तों को बताता है और दुल्हन अपनी सहलियों को बताती है और सुनाने वाला और सुन्ने वाले इसे बड़े ख़ुशी के साथ मज़े ले ले कर सुनते है ।Suhaagrat ke chand Aadab ek bahot badi galat fahmi.

येह बहुत ही जहीलाना तरीका है भला इस से ज़्यादा बेशर्मी की बात और क्या हो सकती है ।

हदीस :- ज़माने जहालियत में लोग अपने दोस्तों को और औरतें अपनी सहलियों को रात में की हुई बातें और हरकतें बताया करते थे चुनानचे जब सराकरे मदीना सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम को इस बात की ख़बर हुई तो आप ने इसे सख्त न पसंद फरमाया और इरशाद फरमाया- “जिस किसी ने सोहबत की बातें लोगों में बयान की उस की मिसाल ऐसी है जैसे शैतान औरत शैतान मर्द से मिले और लोगों के सामने ही खुले आम सोहबत करने लगे” ।(अबू दाऊद शरीफ, जिल्द 2 बाब नं. 127, हदीस नं. 407, सफा 155 )

इन हदीसो को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

खुदा हाफिज…

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