19/05/2025
कुर्बानी का सुन्नत तरीका 20250518 171109 0000

कुर्बानी का सुन्नत तरीका: Qurbani ka sunnat tariqa.

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Qurbani ka sunnat tariqa.
Qurbani ka sunnat tariqa.

नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: ईदुल अज़्हा के दिन कोई नेक अमल अल्लाह पाक के नज़दीक कुर्बानी का खून बहाने से ज़्यादा महबूब नहीं और क़ियामत के दिन कुर्बानी का जानवर अपने बालों, सींगों और ख़ूरों के साथ आयेगा ओर कुर्बानी का खून ज़मीन पर गिरने से पहले अल्लाह पाक के नज़दीक क़बूलियत हासिल कर लेता है, इस लिये तुम खुशदिली के साथ कुर्बानी किया करो।(तिर्मीज़ी शरीफ)

कुर्बानी का वुजूब :- निसाब के मालिक हर शख़्स पर कुर्बानी वाजिब है।

कुर्बानी किस पर वाजिब है?

जिस मर्द और औरत में कुर्बानी के दिनों में ये चार बातें पाई जाती हो उस पर कुर्बानी वाजिब है।

(1) मुसल्मान हो।

(2) निसाब का मालिक हो।

(3) मुक़ीम हो, शरई मुसाफिर न हो।

(4) आज़ाद हो, गुलाम न हो

कुर्बानी का निसाब :-

कुर्बानी वाजिब होने का निसाब वही हे जो सदक़ऐ फित्र के वाजिब होने का निसाब है। इस लिये जिस मर्द या औरत की मिल्कियत में (1) साढ़े सात तोला सोना (2) या साढ़े बावन तोला चांदी हो, (3) या नक़द माल (4) या तिजारत के माल (5) या ज़रूरत से जाइद सामान में से कोई एक चीज़ या बाअज़ चीजें या पांचों चीजों का मजमूआ साढ़े बावन तोला चांदी की क़ीमत के बराबर हो तो ऐसे मर्द ओर औरत पर कुर्बानी करना वाजिब है।

तंबीह:- वो चीजें जो ज़रुरत की न हो बल्की सिर्फ नुमाइश की हों, या घरों में रख्खी हुई हों और पूरे साल इस्तेमाल में न आती हो तो वो भी निसाब में शामिल होंगी।

कुर्बानी के जानवर :-

जिन जानवरों की कुर्बानी की जा सकती हे वो भेड़, बकरी, गाए, भैंस, ऊंट (नर-मादह) हैं।

कुर्बानी के जानवर की उमर :-

कुर्बानी के जानवरों में से भेड़, बकरी 1 साल || गाऐ, भैंस 2 साल || और ऊंट 5 साल का होना ज़रूरी हे। अल्बत्ता वो भेण और दुम्बा जो दिखने में ऐक साल का लगता हो उस की कुर्बानी भी जाइज़ है।

कुर्बानी के जानवर में हिस्सेदार और उन की तादाद :-

कुर्बानी का जानवर अगर गाऐ, भैंस या ऊंट (नर-मादा) हो तो उस में सात आदमी शरीक हो सकते हैं; और अगर भेंड़, बकरी (नर-मादा) 1) हो तो तो वो सिर्फ ऐक आदमी की तरफ से किफायत करती है।

कुर्बानी के दिन:-

कुर्बानी के तीन दिन हैं। 10/11/12 ज़िल्हिज्जह।

कुर्बानी का वक़्त :-

कुर्बानी का वक़्त शहर वालों के लिये ईद की नमाज़ अदा करने के बाद ओर देहात वालों के लिये जिन पर जुम्आ की नमाज़ फर्ज़ नहीं सुब्हे सादिक़ से शुरू हो जाता है। लेकिन देहात वालों के लिये सूरज तुलूअ होने के बाद ज़बह करना बेहतर है।

कुर्बानी करने का तरीक़ा।

जानवर को बाएं पहलू पर इस तरह लिटाएं कि क़िब्ले को उस का मुंह हो और दाहिना पांव उसके पहलू पर रख कर यह दुआ पढ़े –

इन्नी वज्जहतु वजिहया लिल्लज़ी फ़तरस्समावाति वलअरज़ हनींफंव वमा अना मिनल मुशरिकीन ० इन्ना सलाती व नुसुकी व महयाया व ममाती ल्लिाहि रब्बिल आलमीन ० ला शरीका लहू व बिजालिका उमिरतु व अना मिनल मुस्लिमीन ० अल्लाहुम्मा लका व मिन्का बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अकबर कह कर जिबह करें।

फिर यह दुआ पढ़ें : अल्लाहुम्मा तक़ब्बल मिन्नी कमा तक़ब्बलता मिन खलीलिका इबराहीमा अलैहिस्सलाम व हबीबिका मुहम्मदिन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ०

नोट : अगर कुरबानी अपनी तरफ़ से हो तो मिन्नी और अगर दूसरे की तरफ से हो तो मिन्नी के बजाए मिन कहकर उसका नाम ले।

अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक़ आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे ज़िन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।

इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें। ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।

खुदा हाफिज…

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