
हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं, हज़रत (माइज़ बिन मालिक) अस्लमी रज़ियल्लाहु अन्हु हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की खिदमत में हाज़िर हुए और उन्होंने चार बार अपने बारे में इस बात का इक़रार किया कि उन्होंने एक औरत से हरामकारी की है। हर बार हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम दूसरी ओर मुंह फेर लेते थे।
फिर आगे हदीस का मज्मून और भी है, जिसमें यह भी है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के फ़रमान पर उनको रजम किया गया। फिर हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने । अपने दो सहाबा रजि० को सुना कि उनमें से एक दूसरे को कह रहा था, । इस आदमी को देखो, अल्लाह ने तो इसके जुर्म पर परदा डाला था, लेकिन यह खुद अपने पीछे पड़ गया, जिसकी वजह से इसे कुत्ते की तरह पत्थर मारे गए।
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम यह सुनकर खामोश हो गए, फिर थोड़ी देर चलने के बाद आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का गुज़र एक मुरदार गधे के पास से हुआ जिसका पांव फूलने की वजह से ऊपर उठा हुआ था। हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, फ़्लां और फ़्लां दोनों कहां हैं?
उन दोनों ने अर्ज़ किया, ऐ अल्लह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! हम दोनों यह है।
आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, तुम दोनों नीचे उतरो और इस मुरदार गधे का गोश्त खाओ ।
उन दोनों ने कहा, ऐ अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! अल्लाह आपकी मगफिरत फ़रमाए, इसको कौन खा सकता है?
आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, अभी तुम दोनों ने अपने भाई की (पीठ पीछे) बेइज़्ज़ती की है, वह मुरदार खाने से ज़्यादा सख्त है। उस ज़ात की क़सम, जिसके क़ब्ज़े में मेरी जान है, वह इस वक़्त जन्नत की नहरों में ग़ोते लगा रहा है।’
हज़रत इब्ने मुन्कदिर रहमतुल्लाहि अलैहि फ़रमाते हैं कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने एक औरत को रजम किया जिसके बारे में एक मुसलमान ने कहा, उस औरत के तमाम नेक अमल बर्बाद हो गए।
हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, नहीं, बल्कि इस रजम ने तो इसके बुरे अमल को मिटा दिया और तुमने जो (उसकी ग़ीबत का बुरा) अमल किया है, उसका तुझसे हिसाब लिया जाएगा।
हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा फ़रमाती हैं, मैंने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को कहा, हज़रत सफ़िया रजि० की तरफ़ से आपके लिए इतनी बात काफ़ी है कि वह ऐसी है और ऐसी है यानी छोटे क़द वाली है।
हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, तुमने ऐसी बात कही है कि अगर उसे समुद्र के पानी में मिलाया जाए, तो यह बात उसके पानी का मज़ा खराब कर दे।
हज़रत आइशा रज़ियल्लाहो अन्हा फ़रमाती हैं, मैंने एक बार हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सामने किसी आदमी की नक़ल उतार दी। हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, मुझे यह बात बिल्कुल पसन्द नहीं है कि मुझे इतना और इतना माल मिल जाए और तुम मेरे सामने किसी इंसान की नक़ल उतारो ।’
हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा फ़रमाती हैं, हज़रत सफ़िया बिन्त हुई रज़ियल्लाहु अन्हा का ऊंट बीमार हो गया। हज़रत जैनब रज़ियल्लाहु अन्हा के पास ज्यादा ऊंट था। हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत जैनब से कहा, तुम सफ़िया को एक ऊंट दे दो।
हज़रत जैनब रज़ियल्लाहु अन्हा ने कहा, मैं और इस यहूदिन औरत को ऊंट दूं?
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम यह सुनकर नाराज हो गए और जिलहिज्जा, मुहर्रम और सफ़र के कुछ दिनों तक हज़रत जैनब रजि० को हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने छोड़े रखा। उनके यहां न जाते थे यहां तक कि वह हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मायूस हो गई थीं।
हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा फ़रमाती है, मैं एक बार नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल के पास बैठी हुई थी। मैंने एक औरत के बारे में कहा कि यह तो लम्बे दामन वाली हैं। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, थूको-थूको, जो कुछ मुंह में है, उसे बाहर थूक दो चुनांचे मैंने थूका तो गोश्त का एक टुकड़ा निकला।’
हज़रत जैद बिन अस्लम रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं, मरज्जुल वफ़ात (वह मरज़ जिसमें मौत हुई) में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पाक बीवियां हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास जमा हुई। हज़रत सफ़िया बिन्त हुई रज़ियल्लाहु अन्हा ने कहा, अल्लाह की क़सम, मेरी दिली तमन्ना है कि आपको जो बीमारी है, वह मुझे होती ।
इस पर दूसरी पाक बीवियों ने (उनकी इस बात को सच्चा न समझा और इस वजह से उन्होंने) आंखों से इशारा किया जिसे हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने देख लिया तो हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, तुम सब कुल्ली करो।
उन्होंने कहा, ऐ अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! किस चीज़ से कुल्ली करें ?
आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, तुमने अभी जो अपनी सौत (हज़रत सफ़िया रजि०). के बारे में एक दूसरे को आंख से इशारा किया है, उसकी वजह से तुमने मुरदार गोश्त खा लिया है, इसलिए कुल्ली करो। अल्लाह की क़सम ! यह अपनी बात में बिल्कुल सच्ची है।’
हज़रत अबू हुरैरह रजियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं, हम लोग हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास बैठे हुए थे कि इतने में एक आदमी खड़ा हुआ और चला गया।
सहाबा रजि० ने कहा, यह आदमी किस क़दर आजिज है? किस क़दर कमज़ोर है?
हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, तुमने अपने साथी की ग़ीबत की और उसका गोश्त खाया है।
तबरानी की रिवायत में यह है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास से एक आदमी खड़ा हुआ। लोगों को उसके खड़े होने में कमज़ोरी नज़र आई, तो उन्होंने कहा, फ़्लां आदमी किस क़दर कमज़ोर है।
हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, तुमने अपने भाई की ग़ीबत करके उसका गोश्त खा लिया है।
हज़रत मुआज बिन जबल रज़ियल्लाहु अन्हु ने पिछली हदीस जैसी हदीस रिवायत की है और उसमें आगे मज़्मून भी है। लोगों ने अर्ज़ किया, हमने वही बात कही है, जो इसमें मौजूद है।
हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, तभी तो यह ग़ीबत है। अगर तुम यह बात कहो जो इसमें न हो, फिर तो तुम उस पर बोहतान लगाने वाले बन जाओगे।
हजरत अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस रज़ियल्लाहु अन्हुमा फ़रमाते हैं हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास लोगों ने एक आदमी का ज़िक्र किया और कहा, कोई दूसरा उसके खाने का इन्तिज़ाम करे तो यह खाता है और कोई दूसरा इसको सवारी पर कजावा कस कर दे, तो फिर यह उस पर सवार होता है। यह बहुत सुस्त है, अपने काम खुद नहीं कर सकता ।
हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, तुम उसकी ग़ीबत कर रहे हो।
उन लोगों ने कहा, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! हमने वही बात कही है, जो उसमें मौजूद है।
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, ग़ीबत होने के लिए यही काफ़ी है कि तुम अपने भाई का वह ऐब बयान करो जो उसमें मौजूद है।’
हज़रत इब्ने मस्उद रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं, हम लोग हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास बैठे हुए थे। एक आदमी उठकर चला गया। उसके जाने के बाद एक आदमी उसके ऐब बयान करने लग गया।
हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, तौबा करो। उस आदमी ने कहा, किस चीज़ से तौबा करूं? हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, ग़ीब्बत करके तुमने अपने भाई का गोश्त खाया है।
हैसमी की रिवायत में यह है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उस आदमी से कहा, तुम खलाल (दांत खोद कर फंसी हुई चीज़ निकालना) करो। उस आदमी ने कहा, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! मैं किस वजह से खलाल करूं? मैंने गोश्त तो खाया नहीं।
हज़रत अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं, हुज़ूर सल्ललाहु अलैहि व सल्लम ने लोगों को रोज़ा रखने का हुक्म दिया और फ़रमाया, मुझसे इजाज़त लिए बगैर कोई भी रोज़ा न खोले ।
चुनांचे तमाम लोगों ने रोज़ा रख लिया। शाम को लोग आकर रोजा खोलने की इजाज़त मांगने लगे। आदमी आकर इजाज़त मांगता और कहता, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! मैंने आज सारा दिन रोजा रखा। आप अब मुझे इजाज़त दे दें, ताकि में रोज़ा खोल दूं।
इतने में एक आदमी ने आकर कहा, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! आपके घर की दो नवजवान औरतों ने आज सारा दिन रोजा रखा और उन दोनों को खुद आकर आपसे इजाज़त लेने में शर्म आ रही है। आप उन्हें भी इजाज़त दे दें ताकि वे भी रोज़ा खोल लें।
आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उस आदमी से मुंह फेर लिया। उसने सामने आकर फिर अपनी बात पेश की, हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फिर मुंह फेर लिया। उसने तीसरी बार अपनी बात पेश की। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फिर मुंह फेर लिया। उसने चौथी बार बात पेश की, तो उससे मुंह फेरकर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, इन दोनों ने रोज़ा नहीं रखा और इस आदमी का रोज़ा कैसे हो सकता है जो सारा दिन लोगों का गोश्त खाता रहा हो ? जाओ और दोनों से कहो कि अगर इन दोनों का रोज़ा है, तो वे क़ै करें। ईदुल फित्र का बयान।
उस आदमी ने जाकर उन दोनों औरतों को हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बात बताई, तो इन दोनों ने क़ै की। तो वाक़ई हर एक की कै में खून का जम हुआ टुकड़ा निकला। उस आदमी ने आकर हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को बताया। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, उस जात की क़सम, जिसके क़ब्ज़े में मेरी जान है, अगर खून के ये टुकड़े उनके पेट में रह जाते, तो दोनों को आग खाती ।’
इमाम अहमद रहमतुल्लाहि ताअला अलैहि की रिवायत में इस तरह है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उन दोनों औरतों में से एक से फ़रमाया, क़ै करो। उसने क़ै की तो पीप, खून, खून मिली पीप और गोश्त निकला, जिससे आधा प्याला भर गया। फिर आपने दूसरी से फ़रमाया, तुम क़ै करो, उसने क़ै की तो पीप, खून,खून मिली पीप और ताज़ा गोश्त निकला, जिससे पूरा प्याला भर गया। फिर आपने दूसरी से फ़रमाया, इन दोनों ने रोजा तो उन चीज़ों से रखा था जो अल्लाह ने उनके लिए हलाल की थीं, लेकिन उस चीज से खोल लिया जो अल्लाह ने उन पर हराम की थी। दोनों एक दूसरे के पास बैठकर लोगों के गोश्त खाने लग गई थीं।’
हज़रत अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं, अरब के लोग सफ़रों में एक दूसरे की खिदमत किया करते थे। हजरत अबूबक्र रज़ियल्लाहु अन्हु और हज़रत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु के साथ एक आदमी हुआ करता था, जो इन दोनों की खिदमत किया करता था। एक बार ये दोनों सो गए और उसके ज़िम्मे खाना पकाना था, वह भी सो गया था ।
जब ये दोनों उठे तो देखा कि वह खाना तैयार नहीं कर सका, बल्कि सो रहा है तो इन दोनों लोगों ने कहा कि यह तो सोऊ है। इन i लोगों ने उसे जगा कर कहा, हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की खिदमत में जाकर अर्ज़ करो कि अबूबक्र व उमर रजियल्लाहु अन्हु आपकी खिदमत में सलाम अर्ज़ कर रहे हैं और आपसे सालन मांग रहे हैं। उसने जाकर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में अर्ज़ किया ।
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, वे दोनों तो सालन से रोटी खा चुके हैं। उसने जाकर इन दोनों को हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जवाब बताया, इस पर इन दोनों लोगों ने आकर अर्ज़ किया, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! हमने कौन-से सालन से रोटी खाई है?
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, अपने भाई के गोश्त से। उस ज़ात की क़सम, जिसके क़ब्ज़े में मेरी जान है! मैं उसका गोश्त तुम दोनों के सामने वाले दांतों में देख रहा हूं।
उन दोनों ने अर्ज़ किया, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! हमारे लिए इस्तगफ़ार फ़रमा दीजिए।
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, उससे कहो, वह तुम दोनों के लिए इस्तागफ़ार करे।
अल्लाह रबबुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को रसूल-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे जिन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।
इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें। ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।
क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।
खुदा हाफिज…