27/04/2025
Musalman bhaiyon ke huqok.

मुसलमान भाइयों के हुक़ूक़।Musalman bhaiyon ke huqok.

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अल्लाह के रसूल (स० ) फ़रमाते हैं कि- एक मुसलमान दूसरे मुसलमान का भाई है। न उस भाई पर ज़ुल्म करे और न किसी मुसीबत में उस का साथ छोड़े।

जो शख्स अपने मुसलमान भाई की हाजत पूरी करता है अल्लाह तआला उसकी हाजत पूरी करता है। और जो शख्स अपने मुसलमान भाई की मुसीबत दूर करेगा, अल्लाह तआला उसको क़यामत की मुसीबतों से बचायेगा। और जो मुसलमान अपने मुसलमान भाई का ऐब छुपायेगा अल्लाह तआला दुनिया और आख़िरत में उसका ऐब छुपायेगा। ( बुख़ारी शरीफ़)

Musalman bhaiyon ke huqok.

और तुम में पूरा मुसलमान वह है कि जिसकी ज़बान और हाथ से किसी मुसलमान को तकलीफ न पहुँचे।
कुरूआन व हदीस से मुसलमान भाई के यह हुक़ूक़ साबित होते हैं-

जो बात अपने लिए पसन्द न हो वह किसी मुसलमान के लिए पसन्द न करे। किसी मुसलमान को हक़ीर न जाने। उसकी चुग़ली न खाये। उस की ग़ीबत न करे। उस पर बोहतान न लगाये। उस का ऐब तलाश न करे। हाकिम को तलाश करना जायज़ है।

उस के ऐब को छुपाये , तीन रोज़ से ज़्यादा उससे बोलना न छोड़े, अगर किसी शरह की बात पर नाराज़गी हो तो जब वह तौबा कर ले फिर बोलने लगे। उसको नफा पहुँचाये नुक़सान न पहुँचाये। बूढ़े मुसलमान को ताज़ीम करे और छोटे के साथ प्यार से पेश आये।

Musalman bhaiyon ke huqok.

मुसलमान से खुश होकर मिले। बिला सख्त उज्र उससे वादा खिलाफी न करे। उसके रुतबे के मुताबिक़ उससे बर्ताव करे। अगर दो मुसलमान भाइयों में रंजिश हो जाये तो उनमें सुलह करा दे। सुलह करा देने वाले को दस हजार नफ़िल नमाज़ों का सवाब मिलता है।

अगर खुदा ने दुनिया की कोई इज़्ज़त दी है तो अपने मुसलमान भाई मज़लूम ग़रीब की हाकिमों से सिफारिश कर दे और उसको नाहक़ की तकलीफ से बचाने पर सत्तर हज नफली का सवाब मिलेगा।

अगर किसी मुसलमान को कोई उसके आगे या पीछे तकलीफ़ पहुँचाना चाहे तो उस तकलीफ़ से उसको बचाये और तकलीफ़ देने वाले को रोक दे। अगर कोई मुसलमान बुरी सोहबत में फँस जाये तो प्यार व मुहब्बत से या जिस तरह की कुदरत हो उसको बुरी सोहबत से बचाये।

Musalman bhaiyon ke huqok.

ग़रीब मुसलमान से मिलने जुलने में ज़िल्लत न समझे। मुसलमान भाई जब मिले तो उसको इस तरह सलाम करे “अस्सलामु अलैकुम” वह जवाब दे “वाअलैकुम अस्सलाम।” जब मुसलमान आपस में सलाम करते हैं तो अल्लाह तआला सौ रहमतें नाज़िल करता है।

सलाम करने वाले पर नब्बे और जवाब देने वाले पर दस और मुसाफ़ा करने पर सत्तर रहमतें ज्यादा नाजिल होती हैं और दोनों के सग़ीरा गुनाह माफ़ होते हैं। जब मुसलमान छींक कर अलहम्दो लिल्लाह कहे तो सुनने वाला या रहमकुल्ला कहे। जब मुसलमान बीमार हो या किसी और बला में मुबतला हो, उसकी मदद करें।

अगर वह तंगदस्त हो या क़र्ज़दार हो अपने अन्दर कुदरत हो तो माल से उसकी मदद करे। रहमते आलम हुजूर (स०) फ़रमाते हैं कि जब मुसलमान बीमार होता है तो उसके गुनाह दरख्तों के पत्तों की तरह झड़ कर उससे दूर हो जाते हैं।

और जब कोई मुसलमान अपने मुसलमान भाई की बीमारी या किसी और तकलीफ़ में उसकी ख़बर लेने जाता है तो वह जन्नत ख़रीद लेता है और जब ख़बर लेकर लौटता है तो सत्तर हजार फ़रिश्ते उसकी मग़फिरत की दुआ करते हैं।

Musalman bhaiyon ke huqok.

जब किसी मुसलमान भाई का इन्तिकाल हो जाये तो उसके जनाज़े पर नमाज़ पढ़े और उसको क़ब्रिस्तान में पहुँचाये और दफ़न करके उसकी मग़फ़िरत की दुआ करके वापस हो तो गुनाहों से पाक साफ़ हो जाता है।

मुसलमान भाइयों की क़ब्रों पर जाया करे और उनकी मग़फ़िरत की दुआ किया करे। ख़ैरात या फातेहा का सवाब पहुँचाया करे और सोचा करे कि जिस तरह यह ख़ाक में मिल कर ख़ाक हो गये इसी तरह एक दिन मैं भी ख़ाक में मिल जाऊँगा ।

अलहासिल, मुसलमान भाइयों के नफा पहुँचाने में कोई कमी न करे, इस कारे ख़ैर में बड़े-बड़े सवाब मिलते हैं और मुसलमान भाइयों को नुक़सान पहुँचाने में बड़े-बड़े अज़ाब होते हैं।

इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

खुदा हाफिज…

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