मुहर्रम की अहमियत। Muharram ki Ahmiyat.

Muarram ki ahmiyat.

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, जिसने मोहर्रम में किसी एक दिन भी रोज़ा रखा तो उसे एक रोजे के बदले 30 रोज़ो का सवाब दिया जाएगा । जिसने आशूरा (मोहर्रम) की दसवीं तारीख को रोज़ा रखा उसे 10000 फ़रिश्तो, 10000 शहीदों और 10000 हज उमरा करने वालों का सवाब दिया जाएगा ।

जिसने आशुरा को किसी यतीम के सर पर हाथ फेरा तो अल्लाह यतीम के सर के हर बाल के बदले जन्नत में उसका दर्जा बुलंद फरमाएंगा । जिसने आशूरा के दिन किसी मोमिन को रोज़ा खुलवाया गोया उसने अपनी तरफ से सारी उम्मते मोहम्मदी को रोज़ा खुलवाया।  सय्यिदिना हुसैन(र.अ)का दर्दनाक खुत्बा।

जिसने आशूरा का रोज़ा रखा है उसके लिए 60 साल की इबादत का सवाब अल्लाह तआला लिख देता है । सातों आसमानों के फ़रिश्तो का सवाब लिख देता हैI हज़रत उमर फारुक ए आजम ने रसूले अकरम से अर्ज़ किया या रसूललल्लाह आशूरा का रोज़ा देकर खुदा ने हमारी बड़ी इज्जत बढ़ा दी हैं ।Muharram ki Ahmiyat.

सरकार ने फरमाया बेशक क्योंकि इसी दिन अल्लाह ने अर्श, कुर्सी सितारों,पहाड़ों,जिब्राइल और दुसरो को भी पैदा फरमाया ,हज़रत इब्राहिम को आशूरा के दिन ही नमरूद की आग से निजात बक्शी।
फ़िरऔन आशूरा को ही नील नदी में डुबाया गया।
हज़रत इदरीस को इस दिन आसमान पर उठाया।
हज़रत ईसा अलेहिस्सलाम की पैदाइश आशूरा के ही दिन हुई हज़रत आदम की तौबा इसी दिन कबूल हुई।
हज़रत सुलेमान को बादशाहत आशूरा के दिन ही बख्शी गई।

कयामत भी आशूरा के दिन आएगी। आसमान से सबसे पहली बारिश आशूरा के दिन ही हुई। आशूरा के दिन ग़ुस्ल करने वाला खतरनाक बीमारियों से महफूज रहेगा इस दिन जो आदमी आंखों में पत्थर का सुरमा लगाएगा साल भर तक उसकी आंखें नहीं आएगी I  इमाम हुसैन (र.अ)मैदाने करबला।

जिसने आशूरा के दिन चार रकात नमाज इस तरह पढ़ी कि हर रकात में एक बार अल्हम्दो और 50 बार कुलहुवल्लाह पढ़ी, अल्लाह तआला उसके 50 साल के अगले पिछले गुनाह माफ फरमा देगा । उसके लिए नूर के हजारों महल तैयार कराएगा, नमाज के बाद 70 बार दुरूद शरीफ भी पढ़ना चाहिए।Muharram ki Ahmiyat.

आशूरा के दिन अपने घर वालों को अच्छे से अच्छा खाना खिलाओ जो ऐसा करेगा खुदा उसकी रोज़ी में साल भर तक खूब बरकत अता फरमाएगा। आशूरा का रोजा रखने वालों को मौत के वक्त कोई परेशानी नहीं होगी । बनी इसराइल पर साल में यही आशूरा का रोजा फ़र्ज़ था ।

पैग़ंबरे इस्लाम भी आशूरा के दिन रोज़ा रखते थे। जब आप मदीना तशरीफ़ लाये तो यहूदियों को भी यह रोज़ा रखते देखा। जब रमज़ान के रोज़े फ़र्ज़ हुए तो कुछ लोगों ने रोज़ा रखा कुछ ने छोड़ दिया I आपने यहुदीओ से पूछा आशूरा का रोज़ा क्यों रखते हो?  इमाम हुसैन (र.अ)का बेमिसाल सब्र।

जवाब दिया कि इस तारीख को अल्लाह ने फ़िरऔन को दरिया में गर्क करके हमारे नबी हज़रत मूसा को निजात बख्शा। यह सुनकर आपने फरमाया हमारा ताल्लुक हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से तुमसे ज़्यादा है यह कह कर आप ने मुसलमानों को दो दिन 9-10 मोहर्रम को रोज़ा रखने का हुक्म दिया।

आशूरा की फ़ज़ीलत यह है कि इसी दिन हजरत इमाम हुसैन कर्बला में शहीद किए गए थे।
आज हिंदुस्तान में आशूरा इसी नाम और याद से जाना जाता है कि इसी दिन रसूले अकरम के भूखे प्यासे नवासे और उनके खानदान वाले कर्बला में शहीद किए गए थे। उनकी शहादत की याद में आशूरा मनाया जाता हैं।Muharram ki Ahmiyat.

आशूरा के दिन कुछ चीजें मुस्तहब है,
रोजा रखना ।
सदक़ा करना ।
नफ़्ल नमाज़ पढ़ना ।
1000 बार कुलहु वल्लाह शरीफ पढ़ना ।
आलिमो की ज़ियारत करना ।
यतीम के सर पर हाथ फेरना ।
घर वालों को खूब अच्छा खिलाना पिलाना ।
भूके प्यासे लोगो के लिए खाना पानी का इंतेज़ाम करना ।

अल्लाह हमें इन सब बातों पर अमल करने की तौफीक अता फरमाए आमीन ।Muharram ki Ahmiyat.

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क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

खुदा हाफिज…

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