अल्लाह तआला का फरमान है- तर्जुमाः- सबसे अच्छा मज़दूर वह है जिन्हें तुम मज़दूरी पर रखो जो ताकतवर अमानतादार हो। (सूरः क्सस 28, आयत 26)
हदीस :- हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया- अल्लाह तआला फरमाता है- मैं कियामत के दिन तीन आदमियों का दुश्मन हूँगा, एक वह जिसने मेरा नाम लेकर अहद किया फिर फरेब किया। दूसरा वह जिसने आज़ाद (इनसान) को बेचकर उसका पैसा खाया, तीसरा जिसने मज़दूर से पूरी मेहनत ली फिर उसको मज़दूरी न दी।
वज़ाहत :- मज़दूर की पूरी-पूरी मज़दूरी उसका पसीना खुश्क होने से – पहले अदा कर देनी चाहिये। नेक और अच्छे लोगों से मज़दूरी पर काम – कराना कोई बुरी बात नहीं है बल्कि दोनों के लिये बरकत का सबब और सवाब है।Majdoori ka Bayan
हदीस :- हज़रत अबू सईद खुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के कुछ सहाबा एक सफर में थे। सफर के दौरान अरब के एक कबीले के पास पड़ाव डाला और चाहा कि कबीले वाले हमारी मेहमान नवाज़ी करें, लेकिन उन्होंने मेहमान नवाज़ी न की। इत्तिफाक से उनके सरदार को बिच्छू ने काट लिया और कोई तदबीर उनकी कारगर न हुई।बच्चे की तअलीम व तरबीयत।
कुछ लोग उनमें से कहने लगे चलो उन लोगों से पूछें जो यहाँ आकर ठहरे हैं, उनमें शायद कोई इसका तोड़ जानता हो। वे आये – और सहाबा से कहने लगे लोगो! हमारे सरदार को बिच्छू ने काट लिया है और हमने सब जतन किये मगर कुछ फायदा नहीं हुआ, तुम्हारे पास कोई – चीज़ (इलाज) है?
सहाबा में से किसी ने कहा- कसम अल्लाह की मैं उसका दम जानता हूँ। तुम लोगों से हमने यह चाहा कि हमारी मेहमान-नवाज़ी करो लेकिन तुमने न माना अब मैं तुम्हारे लिये दम पढ़ने वाला नहीं जब तक हमको उसकी मज़दूरी न दो। आखिर चन्द बकरियाँ उजरत तय हुई।Majdoori ka Bayan
वह सहाबी गये और सूरः फातिहा पढ़-पढ़कर तुथकारने लगे। वह अल्लाह तआला के हुक्म से ऐसा चंगा भला हो गया जैसे कोई रस्सी से बँधा हुआ खोल दिया जाये और अच्छी तरह चलने लगा, उसको कोई दुख – न रहा। जो बकरियाँ तय हुई थीं वो उन्होंने दे दीं।
कुछ सहाबा ने कहा इनको बाँट लो लेकिन जिसने दम किया था उसने कहा अभी ठहरो, हम – रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की खिदमत में हाज़िर होंगे और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से यह किस्सा बयान करेंगे। आपने दम पढ़ने वाले से पूछा तुझे यह कैसे मालूम हुआ कि सूरः फातिहा दम है? सहाबा ने कहा कि मुझे इल्हाम हुआ था। (फत्हुल-बारी) बिमार का हाल चाल पूछना।
फिर आपसल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया- तुमने अच्छा किया। ये बकरियाँ बाँट लो, मेरा भी हिस्सा अपने साथ लगाओ। और यह फरमाकर आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हंस दिये।Majdoori ka Bayan
वजाहत :- हदीस में यह नहीं है कि कितनी बार सूरः फातिहा पढ़ी, लेकिन एक हदीस में सात बार और दूसरी हदीस में तीन बार का ज़िक्र आया है। मरीज़ पर हर दफा “बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम” के साथ सूरः फातिहा पढ़कर तीन बार या सात बार सुबह व शाम दम करें, तकलीफ ज़्यादा हो तो हर नमाज़ के बाद कम से कम सात दिन। हर मर्ज़ का बेहतरीन मस्नून इलाज है।
अल्लाह रबबूल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे,हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को रसूल-ए-करीम (स.व) से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे जिन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे,आमीन।Majdoori ka Bayan
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क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…