शरीयत का यह हुक्म है कि अगर घर में बेटी पैदा होती है तो अल्लाह तआला ने गोया रहमत का दरवाज़ा खोल दिया। अगर दो बेटियाँ हो गई तो बाप के लिये ये रहमत बन गईं कि उनका बाप जन्नत में अल्लाह के प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के इतना करीब होगा जैसे हाथ की दो उंगलियाँ एक दूसरे के करीब होती हैं।
यह हदीस पाक का मफ़्हूम है। कि जब कोई औरत कुंवारी मर जाती है। अभी शादी नहीं हुई थी। माँ-बाप के घर में रहती थी, फौत हो गई तो यह जब कियामत के दिन खड़ी की जायेगी तो अल्लाह तआला उसको शहीदों की कतार में खड़ा करेंगे। Kunwari Ladki ki Wafat.
शहीदों की क़तार में खड़ी की जायेगी। वह किस लिये ? इसलिये कि यह कुंवारी थी, माँ-बाप के घर में रही, उसने अपनी इज़्ज़त व इफ्फत ( पाकदामनी) की हिफ़ाज़त की ।
अभी शौहर का घर नहीं देखा, वह ऐश व आराम नहीं देखे जो शौहर के साथ मिलकर इनसान को नसीब होते हैं। चूँकि मेहरूम रही इस वजह से अल्लाह तआला ने उसपर मेहरबानी कर दी कि यह अगर कुंवारे पन में मर जायेगी तो उसको “आख़िरत की शहीद का दर्जा दिया जायेगा। दुनिया में तो शहीद न कहेंगे मगर कियामत के दिन अल्लाह तआला शहीदों की कतारों में उसको खड़ा कर देंगे।Kunwari Ladki ki Wafat.
देखा ! कितनी मेहरबानी और इनायत व रियायत की गई औरत के साथ। गौस पाक और जिन्नात का वाक़िआ।
फिर इससे आगे कदम बढ़ाईये कि अगर बच्ची की शादी हो गई और अब यह अपने शौहर की फ़रमाँबरदारी करती है और साथ ही अल्लाह तआला की इबादत भी करती है तो दीन के आलिमों ने मसला लिखा है कि कुंवारी औरत एक नमाज़ पढ़ेगी तो एक नमाज़ का सवाब मिलेगा, शादीशुदा होने के बाद नमाज़ पढ़ेगी तो इक्कीस नमाज़ों का सवाब मिलेगा।Kunwari Ladki ki Wafat.
किस लिये? इसलिये कि अब उस पर दो ख़िदमतें ज़रूरी हो गईं- एक शौहर की ख़िदमत और दूसरी अल्लाह तआला की इबादत । तो दो बोझ पड़ गये। जब शौहर की ख़िदमत करते हुए अल्लाह की इबादत करेगी तो अल्लाह तआला उसके अज्र व सवाब को बढ़ा देते हैं।
देखा, नमाज़ एक पढ़ी और सवाब इक्कीस नमाज़ों का पा गई ।अल्लाह तआला ने यूँ उसके साथ नर्मी और मेहरबानी फरमा दी।
शादी -शुदा ज़िन्दगी में अल्लाह तआला ने कुरआन पाक में मर्दों से औरतों के बारे में सिफारिश की है, फ़रमायाः तुम्हें औरतों के साथ अच्छे तरीके से ज़िन्दगी गुज़ारनी है। देखिये ! आज किसी की सिफारिश उसकी बहन करती है। किसी की सिफारिश उसकी माँ करती है। किसी की सिफारिश उसकी ख़ाला करती है।
किसी की सिफारिश उसकी फूफी करती है। किसी सिफारिश उसके दूसरे रिश्तेदार करते हैं लेकिन औरतों की सिफारिश अल्लाह रब्बुल्-इज्ज़त अपने कुरआन में फरमाया ऐ मर्दों! तुम्हें औरतों के साथ अच्छे अख़लाक़ और अच्छे अन्दाज़ के साथ ज़िन्दगी बसर करनी है। Kunwari Ladki ki Wafat.
अब अगर औरत अपने शौहर के साथ अच्छे अन्दाज़ में ज़िन्दगी बसर कर रही है और उसके बाद इस औरत को उम्मीद लग गई। यह हामिला (Pregnant) हो गई तो हदीस पाक का मफ़्हूम है।
कि जिस लम्हे उसको हमल हुआ उस लम्हे अल्लाह तआला उस औरत के पिछले गुनाहों को माफ़ फ़रमा देते हैं।
किस लिये ? इसलिये कि एक मुद्दत यह बिल्कुल बीमारी में गुज़ारेगी।
बच्चे की पैदाईश का जो नौ महीने का वक्त है, यह पूरा हमल (गर्भ) का ज़माना, यह औरत के लिये बीमारी ही का ज़माना | हुआ करता है। तो अल्लाह तआला ने यह मेहरबानी फरमा दी कि जैसे ही उसके सर पर बोझ पड़ा उसी लम्हे अल्लाह ने उसकी ज़िन्दगी के पिछले गुनाहों को माफ कर दिया।
अब अगर यह अपने बच्चे को पेट में लिये हुए फिर रही है और घर का कामकाज भी कर रही हैं और थकान की वजह से उसकी ज़बान से कराहने की आवाज़ निकलती है जैसे “हूँ हूँ” की आवाज़ निकलती है तो हदीस में आता है,
कि उसकी ज़बान से तो “हूँ-हूँ” की आवाज़ निकलेगी लेकिन अल्लाह पाक फरिश्ते को फ़रमाते हैं कि मेरी यह बन्दी एक बड़ा बोझ अपने सर पर गोया उठाये हुए है और इस बोझ को उठाने की ज़िम्मेदारी को यह पूरा कर रही है,
इसलिये तकलीफ से उसकी ज़बान से “हूँ-हूँ” की आवाज़ निकल रही है, उसकी इस आवाज़ की जगह “सुब्हानल्लाह” “अल्हम्दु लिल्लाह” “अल्लाहु अकबर” कहने का सवाब उसके नामा-ए-आमाल में लिखा जाये।Kunwari Ladki ki Wafat.
ज़बान से तो “हूँ हूँ” निकलेगा मगर नामा-ए-आमाल में “सुब्हानल्लाह” “अल्हम्दु लिल्लाह” कहने का अज्र लिखा जायेगा ।
फिर जब बच्चे की पैदाईश का वक्त करीब हुआ तो पैदाईश के दर्द महसूस हो रहे हैं, वे दर्द ऐसे होते हैं कि दर्द उठा फिर ठहर गया, फिर उठा फिर ठहर गया।
हदीस पाक में आता है कि हर बार जब भी औरत को दर्द महसूस होता है तो अल्लाह तआला उसको एक अरबी नस्ल के गुलाम को आजाद करने का सवाब अता फरमाते हैं।
हर दर्द पर एक अरबी नस्ल का गुलाम आज़ाद करने का सवाब उसके नामा-ए-आमाल में लिखा जाता है, जबकि दूसरी हदीस में आता है कि जिसने किसी एक गुलाम को आज़ाद किया तो अल्लाह तआला उसको जहन्नम से बरी फरमा देते हैं। हुस्ने अख़लाक की फज़िलत।
अब देखिये कि औरत के साथ नर्मी का मामला किया गया कि हर हर दर्द उठने पर एक अरबी नस्ल के गुलाम को आज़ाद करने का सवाब लिखा गया।
अगर बच्चे की पैदाईश के दौरान यह औरत मर गई तो हदीस पाक में आया है कि यह औरत शहीद मरी कियामत के दिन उसको शहीदों की कतार में खड़ा किया जायेगा।
अगर बच्चा सही पैदा हो गया, बच्चा ख़ैरियत से हैं तो अब हदीस पाक का मफ़्हूम है कि अल्लाह तआला एक फ़रिश्ते को हुक्म देते हैं ।जो औरत को आकर कहता है: “ऐ माँ! अब तू फारिग हो चुकी है तुझे गुनाहों से पाक कर दिया गया, जैसे तू उस दिन पाक थी जब तू अपनी माँ के पेट से पैदा हुई थी” ।
देखा! अगर उसने अपने बच्चे की ख़ातिर यह तकलीफ उठाई, बच्चे को जन्म दिया तो अल्लाह तआला ने इसका कितना बड़ा अज्र दिया कि उसके पिछले गुनाहों को इस तरह धो दिया गया कि जिस तरह वह अपने माँ के पेट से पैदा हुई थी, और उस दिन मासूम थी।Kunwari Ladki ki Wafat.
अल्लाहु अकबर।
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क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…