हज़रत उमर फारूक रज़ि० की हालत ।Hazrat Umar faroq ki Halat.

Hazrat umar farooq ki halat

हज़रत उमर रज़ि० बसा औकात एक तिनका हाथ में लेते और फ़र्माते, काश, मैं यह तिनका होता, कभी फ़र्माते, काश, मुझे मेरी माँ ने जना ही न होता ।

एक मर्तबा किसी काम में मश्गूल थे, एक शख़्स आया और कहने लगा कि फ़्लां शख़्स ने मुझ पर ज़ुल्म किया है। आप चलकर मुझे बदला दिलवा दीजिए। आपने उसको एक दुर्रा मार दिया कि जब मैं इस काम के लिए बैठता हूं उस वक्त तो आते नहीं,

जब मैं दूसरे कामों में मशगूल हो जाता हूं तो आकर कहते हैं कि बदला दिलवा दो । वह शख़्स चला गया। आपने आदमी भेज कर उसको बुलवाया और दुर्रा उसको देकर फ़र्माया कि बदला ले लो। उसने अर्ज़ किया कि मैंने अल्लाह के वास्ते माफ़ किया । Hazrat Umar faroq ki Halat.

घर तशरीफ़ लाये, दो रकअत नमाज़ पढ़ी, इसके बाद अपने आपको ख़िताब करके फ़रमाया, ए उमर ! तू कमीना था, अल्लाह ने मुझ को ऊंचा किया, तू गुमराह था, अल्लाह ने तुझको हिदायत की, तू ज़लील था, अल्लाह ने तुझे इज्ज़त दी, फिर लोगों का बादशाह बनाया। अब एक शख़्स आकर कहता है कि मुझे ज़ुल्म का बदला दिलवादे तो तू उसको मारता है,

कल को क़यामत के दिन अपने रब को क्या जवाब देगा । बड़ी देर तक इसी तरह आपने आपको मलामत करते रहे।

आपके गुलाम हज़रत असलम कहते हैं कि मैं एक मर्तबा हज़रत उमर रज़ि० के साथ हुर्रा की तरफ जा रहा था। एक जगह आग जलती हुई जंगल में नज़र आई, हज़रत उमर रज़ि. ने फ़र्माया कि शायद यह कोई काफिला है,

जो रात हो जाने की वजह से शहर में नहीं गया, बाहर ही ठहर गया। चलो उसकी खैर-ख़बर लें। रात को हिफाज़त का इन्तिज़ाम करें। वहां पहुंचे तो देखा एक औरत है, जिसके साथ चंद बच्चे हैं, जो रो रहे हैं और चिल्ला रहे हैं और एक देगची चूल्हे पर रखी है, जिसमें पानी भरा हुआ है और उसके नीचे आग जल रही है। Hazrat Umar faroq ki Halat.

उन्होंने सलाम किया और क़रीब आने की इजाज़त लेकर उसके पास गए और पूछा कि यह बच्चे क्यों रो रहे हैं? औरत ने कहा कि भूख से लाचार हो कर रो रहे हैं। दर्याफ़्त फर्माया, इस देगची में क्या है ? औरत ने कहा कि पानी भर कर बहलाने के वास्ते आग पर रख दी है ज़रा उनको तसल्ली हो जाये और सो जायें।

अमीरुल मोमिनीन उमर रजि० का और मेरा अल्लाह ही के यहां फैसला होगा कि मेरी इस तंगी की ख़बर नहीं लेते। हज़रत उमर रज़ि० रोने लगे और फ़र्माया कि अल्लाह तुझ पर रहम करे । भला उमर रज़ि० को तेरे हाल की क्या ख़बर है? कहने लगी कि वह हमारे अमीर बने हैं और हमारे हाल की ख़बर भी नहीं रखते।

असलम कहते हैं कि हज़रत उमर रजि० मुझे साथ लेकर वापस हुए और एक बोरी में बैतुल माल में से कुछ आटा और खजूरें और चर्बी और कुछ कपड़े और कुछ दिरहम लिए, गरज उस बोरी को खूब भर लिया और फर्माया कि यह मेरी कमर पर रख दे, मैंने अर्ज़ किया कि मैं ले चलूं । आपने फर्माया कि नहीं, मेरी कमर पर रख दे।

दो तीन मर्तबा जब मैंने इस्रार किया तो फ़र्माया, क्या कयामत में भी मेरे बोझ को तू ही उठायेगा उसको मैं ही उठाऊंगा, इसलिए कि क़यामत में मुझ ही से इसका सवाल होगा। मैंने मजबूर होकर बोरी को आपकी कमर पर रख दिया। आप निहायत तेजी के साथ उसके पास तशरीफ ले गए, मैं भी साथ था, Hazrat Umar faroq ki Halat.

वहां पहुंचकर उस देगची में आटा और कुछ चर्बी और खजूरें डाली और उसको चलाना शुरू किया। और चूल्हे में ख़ुद ही फूंक मारना शुरू किया। असलम रज़ि. कहते हैं कि आपकी गुंजान दाढ़ी से धुआं निकलता हुआ मैं देखता रहा, हत्ताकि हरीरा सा तैयार हो गया।

इसके बाद आपने अपने दस्ते मुबारक से निकाल कर उनको खिलाया। वह सेर होकर हंसी-खेल में मश्गूल हो गए और जो बचा था, वह दूसरे वक़्त के वास्ते उनके हवाले कर दिया। वह औरत बहुत ख़ुश हुई और कहने लगी, अल्लाह तआला तुम्हें जज़ा-ए-ख़ैर दे।

तुम थे इसके मुस्तहिक कि बजाए हज़रत उमर रजि० के तुम ही खलीफा बनाये जाते। हज़रत उमर ने उसको तसल्ली दी और फ़र्माया कि जब तुम खलीफा के पास जाओगी तो मुझको भी वहीं पाओगी। हज़रत उमर रज़ि० उसके क़रीब ही ज़रा हट कर ज़मीन पर बैठ गये और थोड़ी देर बैठने के बाद चले आये और फ़रमाया कि मैं इसलिए बैठा था कि मैंने उनको रोते हुए देखा था ।

मेरा दिल चाहा कि थोड़ी देर मैं उनको हंसते हुए भी देखूं ‘ । सुबह की नमाज़ में अक्सर सूर: कह्फ़ ताहा वगैरह बड़ी सूरतें पढ़ते और रोते कि कई-कई सफ़ों तक आवाज़ जाती। एक मर्तबा सुबह की नमाज़ में सूरः यूसुफ़ पढ़ रहे थे-इन्नमा अश्कू बस्सी व हुज़्नी इलल्लाहि “पर पहुंचे तो रोते-रोते आवाज़ न निकली। तहज्जुद की नमाज़ में बाज़ मर्तबा रोते-रोते गिर जाते और बीमार हो जाते ।

यह है अल्लाह का ख़ौफ़ उस शख़्स का जिसके नाम से बड़े-बड़े नामवर बादशाह डरते थे, कांपते थे। आज भी चौदह सौ वर्ष के ज़माने तक उसका दबदबा माना हुआ है। आज कोई बादशाह नहीं, हाकिम नहीं, कोई मामूली-सा अमीर भी अपनी रिआया के साथ ऐसा बर्ताव करता है ?Hazrat Umar faroq ki Halat.

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क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

खुदा हाफिज…

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