मसअला :- मियाँ बीवी का सोहबत के वक्त एक दूसरे की शर्मगाह को मस करना बेशक जाइज़ है बल्कि नेक नियत से हो तो मुस्तहब व सवाब है” ।(फतावा-ए-रज़वीया जिल्द 5 सफा 570, और जिल्द 9 सफा 72)
लेकिन सोहबत के वक़्त मर्द व औरत ने एक दूसरे की शर्मगाह नहीं देखना चाहिये क्योंकि इसके बहुत से नुकसानात है ।
हदीस :- उम्मुल मोमेनीन हज़रत आएशा सिद्दीका रजि अल्लाहो तआला अन्हा फरमाती हैं कि-“हुजूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम की वफ़ात हो गई लेकिन न कभी आप ने मेरा सत्र (शर्मगाह को देखा और न मैंने आप का सत्र (शर्मगाह को ) देखा” ।(इब्ने माजा शरीफ, जिल्द 1, बाब नं. 616, हदीस नं. 1991, सफा 538) Hambistari ke Dauran Sharmgah dekhna.
सोहबत के आदाब में से एक येह भी है कि सोहबत के दौरान मर्द औरत की शर्मगाह की तरफ न देखे ।
हदीस:- हज़रत इब्ने अदी रजि अल्लाहो अन्हो हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रजि अल्लाहो तआला अन्हो से रिवायत करते हैं—हज़रत इब्ने अब्बास (र.अ)ने फरमाया—“तुम में से कोई अपनी औरत से सोहबत करे तो उस की शर्मगाह को न देखे क्योंकि इस से आँखों की बीनाई (रौशनी) ख़त्म हो जाती है”।यानी आदमी आँखो से अंधा हो जाता है। (हाशिया, मुस्नदे इमामे आजम, सफा नं. 225)
आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खाँ रजिअल्लाहो तआला अहो नकल फरमाते हैं कि-“सोहबत के वक्त शर्मगाह देखने से हदीस में मुमानियत फरमाई और फरमाया– मोह अंधे होने का सबब होता है। ओलमा ने फरमाया है कि इस से अंधे होने का सबब या वोह औलाद अंधी हो जो उस सोहबत से पैदा हो, या मआजल्लाह दिल का अंधा होना के सब से बदतर है” । (फतावा-ए-रज़वीया, जिल्द 5 सफा 570)Hambistari ke Dauran Sharmgah dekhna.
“कानूने शरीअत” में है कि- “औरत की शर्मगाह की तरफ़ नज़र न करे क्योंकि इस से निसयान यानी भूलने की बीमारी पैदा होती है और नज़र भी कमज़ोर होती है” ।
सोहबत के दौरान बात करना:-सोहबत के दौरान बात चीत न करे ख़ामोशी से सोहबत करे, इमामे अहलेसुन्नत आला हज़रत रजि अल्लाहो तआला अन्हु इरशाद फ़रमाते हैं- “सोहबत के दौरान बात चीत करना मकरूह है बल्कि बच्चे के गूंगे (मूक्के, बेजुबान ) या तोतले होने का ख़तरा है”।(फतावा-ए-रज़वीया, जिल्द 9 सफा 76)
पिस्तान (स्तन, Breasts) चुमना :- सोहबत करते वक्त औरत के पिस्तान (स्तन) चूमने या चूसने में कोई हर्ज नहीं, लेकिन ख़्याल रहे कि औरत का दूध हलक में न जाएं। अगर हल्क में दूध आ गया तो फौरन थूक दें जान बूझ कर दूध पीना ना जाइज़ व हराम है ।Hambistari ke Dauran Sharmgah dekhna.
“फ़्तावा-ए-रज़वीया” में आला हज़रत इमामे अहलेसुन्नत इमाम अहमद रज़ा रजिअल्लाहो तआला अन्हो नकल फरमाते है— “सोहबत के वक्त अपनी बीवी के पिस्तान मुँह में लेना जाइज़ है बल्कि नेक नियत से हो तो सवाब की उम्मीद है,
जैसा कि हमारे इमामे आज़म रजिअल्लाहो तआला अन्हु ने मियाँ बीवी का एक दूसरे की शर्मगाह को मस करने के बारे में फ़रमाया यानी मैं उम्मीद करता हूँ कि वोह दोनों उस पर अज्र (सवाब) दिये जाएगे” हॉ अगर औरत दूध वाली हो तो ऐसा चूसना नही चाहिये ,
जिससे दूध हलक में चला जाए और अगर मुँह में आ जाए और हलक में न जाने दे तो हर्ज नहीं कि औरत का दूध हराम है नजिस नहीं, अलबत्ता रोज़े में इस ख़ास सूरत से परहेज़ करना चाहिये” ।
कुछ लोगों में यह गलत फहमी है कि सोहबत करते हुए अगर औरत का दूध मर्द के मुँह में चला गया तो औरत मर्द पर हराम हो जाती है और खुद ब खुद तलाक (Divorce) हो जाती है, येह बात गलत है इस की शरीअत में कोई हैसियत नहीं ।Hambistari ke Dauran Sharmgah dekhna.
“कानूने शरीअत” में है कि– “मर्द ने अपनी औरत की छाती (स्तन) चूसा तो निकाह में कोई ख़राबी नही आई चाहे दूध मुँह में आ गया हो बल्कि हलक से उतर गया हो तब भी निकाह न टूटेगा, लेकिन हलक में जान बूझ कर लेना जाइज़ नही”
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क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…-