
हज़रत हुजैफा रजियल्लाह अन्हु फरमाते हैं खाना खाते वक़्त हम उस वक़्त तक खाना न खाते जब तक हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम शुरू न फरमालें एक रोज़ हम एक दअवत में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ गए खाना चुना गया तो एक छोटी लड़की आई और उसने जल्दी से अपना हाथ खाने की तरफ बढ़ाया हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उस का हाथ पकड़ लिया फिर एक एराबी आया !
उसने भी जल्दी से अपना हाथ खाने की तरफ बढ़ाया हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उस का हाथ भी पकड़ लिया और फ़रमाया- शैतान चाहता है कि खाना बिगैर बिस्मिल्लाह पढ़ने के खाया जाए ताकि वह भी शरीक हो सके चुनाँचि वह उस लड़की के साथ आया ताकि बिगैर बिस्मिल्लाह पढ़ के खाना शुरू कर दिया जाये मैंने उसका हाथ पकड़ लिया फिर उस एराबी के साथ आया मैंने उसका भी हाथ पकड़ लिया उसके बाद हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने बिस्मिल्लाह पढ़ी और खाना शुरू फरमाया। (मिश्कात शरीफ सः360)
शैतान अल्लाह के नाम से बहुत डरता है जो काम अल्लाह का नाम लेकर शुरू किया जाए उस में शैतान का दख़ल नहीं रहता इसलिए शैतान चाहता है कि लोग कोई काम भी करें तो अल्लाह का नाम न लें पस मुसलमानों को चाहिए कि शैतान को दूर रखने के लिए खाना खाएं पानी पीएं या कोई और काम करें तो बिस्मिल्लाह पढ़ लिया करें।
यह भी मलूम हुआ कि सहाबा किराम अलैहिर्रिद्वान के दिलों में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का बड़ा अदब व एहतिराम था कि जब तक हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम खाना शुरू न फरमाते वह खाने की तरफ़ हाथ नहीं बढ़ाते थे पस हमारे दिलों में भी हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का अदब होना चाहिए अगर अदब न रहा तो जान लीजीए कि कोई नेक अमल बाकी न रहेगा और सब कुछ ख़त्म हो जाएगा।उम्मे सुलैम रजियल्लाहु अन्हा की रोटियां।
अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक़ आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे ज़िन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।
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क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।
खुदा हाफिज…