बच्चे की परवरिश का हक माँ को है चाहे वोह निकाह में हो या निकाह से बाहर हो गई हो। हाँ अगर मुरतद (यानी दीने इस्लाम से फिर कर काफिर) हो गई तो परवरिश नहीं कर सकती, या जिना करने वाली (तवाएफ) हो या चोर या मातम यानी चीख चीख कर रोने वाली है तो उसकी भी परवरिश में बच्चे को न दिया जाएगा।
यहाँ तक कि कुछ फुकाह ए किराम ने फ़रमाया है कि “अगर औरत नमाज की पानन्द नहीं तो उसकी भी परवरिश में न दिया जाएगा”। मगर सही येह है कि बच्चा उसकी परवरिश में उस वक्त रहेगा जब तक ना समझ है, बच्चे का नाम हमेशा अच्छा रखें।
और जब कुछ समझने लगे तो अलग कर लिया जाए इसलिए कि बच्चा माँ को देख कर वही आदतें इख़्तियार करेगा जो माँ की है। यूँ ही उस माँ की परवरिश में भी नही दिया जाएगा जो बच्चे को छोड़ कर इधर उधर चली जाती हो चाहे उसका जाना किसी गुनाह के लिए न हो । (बहारे शरीअत जिल्दा नं. 7, सफा नं. 19, इस्लामी जिन्दगी, सफा नं. 23)
बच्चे को दूध पिलाना :-
मस्अला :- लड़की हो या लड़का दोनों को दूध दो साल तक पिलाया जाए। माँ बाप चाहे तो दो साल से पहले भी दूध छुड़ा सकती है मगर दो साल के बाद पिलाना मना है । (बहारे शरीअत, जिल्द, हिस्सा नं. 7, सफा नं. 19)Bachche ko Dudh Pilana aur Uski Parwarish.
अक्सर देखा गया कि कुछ औरतें येह समझती है कि बच्चों को अपना दूध पिलाने से औरत की खूबसूरती ख़त्म हो जाती है, इसलिए वोह अपना दूध नहीं पिलाती बल्कि गाय, भैंस का दूध या फिर ” कई महीनों से पड़े हुए पवडर का दूध पिलाती हैं । येह सख्त जहालत और उस बेकुसूर बच्चे के साथ ना इन्साफी है ।
हाँ अगर किसी औरत को कम दूध आ रहा हो या आ ही नहीं रहा हो तो उस हालत में औरत को अपना इलाज कराना चाहिये ।
हदीस :- हज़रत इमाम जलालुद्दीन सुयूती रजिअल्लाहो तआला अन्हो अपनी मशहूर ज़माना किताब “शरहुस्सुदूर” में हज़रत अबू उमामा रजियल्लाहो तआला अन्हो से रिवायत करते हैं कि हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया– ” मेराज की रात मैं ने कुछ औरतें ऐसी भी देखी जिन के पिस्तान (स्थन) लटके हुए थे और सर झुके हुए थे । उन के पिस्तानों को सॉप डस रहे थे। जिब्रील (अलैहिस्सलाम) ने मुझे बताया या रसूलुल्लाह । येह वोह औरतें है जो अपने बच्चों को दूध नहीं पिलाती थी”।(शरहुस्सुदूर “अजाबे कब्र के बयान में सफा नं. 153)Bachche ko Dudh Pilana aur Uski Parwarish.
डॉक्टरों की तहकीक से यह बात साबित हो चुकी हैं कि माँ का ही दूध उसके बच्चे के लिए सब से ज्यादा मुफीद होता है और बच्चे को दूध पिलाने से औरत में न किसी किस्म की कमज़ोरी आती है और न ही उसकी खूबसूरती पर कोई फर्क पड़ता है । औलाद की तरबियत कैसे करें?
मुशाहेदा है कि जो बच्चे अपनी माँ का दूध पीते है वाह ज़्यादा सेहतमन्द और तन्दुरूस्त रहते हैं, जबकि जो बच्चे अपनी माँ के दूध से महरूम रहते है वोह कमज़ोर होते है और तरह तरह की बीमारियों में हमेशा गिरफ्तार रहते है ।
हदीस :- उम्मुलमोमेनीन हज़रत आएशा सिद्दीका रजिअल्लाहो तआला अन्हा से रिवायत है कि हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया- “जो औरत अपने बच्चे को दूध पिलाती है और जब बच्चा मां के पिस्तान से दूध की चुस्की लेता है तो हर चुस्की के बदले उस औरत को एक गुलाम आज़ाद करने का सवाब दिया जाता है ।Bachche ko Dudh Pilana aur Uski Parwarish.
जब औरत बच्चे का दूध छूड़ाती है तो आसमान से निदा आती है कि अए औरत ! तेरी पिछली जिन्दगी के सारे गुनाह मुआफ कर दिये I
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क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…