एक चिड़िया की फरियाद। Ek chidiya ki fariyaad.

ek chidiya ki fariyaad

एक साहबी रज़ियल्लाहु अन्हु नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ख़िदमत में हाज़िर हो रहे थे। एक दरख़्त पर उन्होंने एक घोंसला देखा जिसमें छोटे-छोटे बच्चे थे।

चिड़िया कहीं गयी हुई थी उनको वे बच्चे प्यारे लगे, अच्छे लगे, उन्होंने उनको उठा लिया। थोड़ी देर बाद चिड़िया आ गयी। उसने उनके सर पर चहचहाना शुरू कर दिया।

वह उनके सर पर उड़ती रही चहचहाती रही। वह सहाबी समझ न पाये। आख़िरकार थक कर चिड़िया उनके कन्धे पर बैठ गयी। उन्होंने उसको भी पकड़ लिया। नबी (स.व)की ख़िदमत में आकर पेश किया। ऐ अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम !

Ek chidiya ki fariyaad.

ये बच्चे कितने प्यारें ख़ूबसूरत हैं। और वाकिआ भी सारा सुनाया। नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बात समझायी कि माँ के दिल में बच्चों की इतनी मुहब्बत थी कि पहले तो यह तुम्हारे सर पर उड़ती रही,

फरियाद करती रही कि मेरे बच्चों को आज़ाद कर दो। मैं माँ हूँ मुझे बच्चों से जुदा न करो। मगर आप समझ न सके तो इस नन्हीं सी जान ने यह फैसला किया कि मैं बच्चों के बगैर तो रह नहीं सकती, मैं इस आज़ादी का क्या करूँगी कि मैं बच्चों से जुदा हूँ।

इसलिए तुम्हारे कन्धे पर आकर बैठ गयी। अगरचे मैं कैद हो जाऊँगी मगर बच्चों के तो साथ रहूँगी। नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि इनको वापस इनकी जगह छोड़ आओ।

आपने मुर्गी को देखा होगा। छोटे-छोटे बच्चे होते हैं। अगर कभी बिल्ली क़रीब आने लगे तो यह मुर्गी उन बच्चों को अपने पीछे कर लेती है और बिल्ली के सामने डटकर खड़ी हो जाती है। मुर्गी को पता है कि मैं बिल्ली का मुकाबला नहीं कर सकती,

Ek chidiya ki fariyaad.

मगर उसको यह भी पता है कि मैं अपनी आँखों के सामने अपने बच्चों को बिल्ली का लुक्मा बनते देख नहीं सकती। उसकी मुहब्बत बरदाश्त नहीं करती, उसकी ममता वरदाश्त नहीं करती। वह समझती है कि बिल्ली पहले मेरी जान लेगी और मेरे बाद मेरे बच्चों को हाथ लगायेगी।

माँ के दिल की मुहब्बत का अन्दाज़ा लगाईये। इनसान तो आख़िरकार इनसान है, अक़्ल, समझ और दानिश रखने वाला है।

इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

खुदा हाफिज…

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