31/05/2025
एक आबिद और शैतान। 20250515 014558 0000

एक आबिद और शैतान। Ek aabiad aur Shaitan.

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Ek aabiad aur Shaitan.
Ek aabiad aur Shaitan.

बनी इसराईल में एक बहुत बड़ा आबिद था, उसके ज़माने में तीन भाई थे जिन की एक नौजवान बहन थी, इत्तिफाकन तीनों भाईयों को कहीं लड़ाई पे जाना पड़ा, उन को कोई ऐसा शख़्स नज़र न आया, जिस के पास अपनी बहन को छोड़ कर जाएं और उस पर भरोसा करें,

लिहाज़ा तीनों भाईयों ने इस अम्र पर इत्तिफाक कर लिया कि बहन को आबिद के सुपुर्द कर जायें वह आबिद उनकी नज़र में तमाम बनी इस्राईल में परहेज़ गार था, चुनाँचे वह बहन को लेकर उस आबिद के पास आये और दरख्वास्त की कि जब तक हम लड़ाई से वापस न आयें हमारी बहन आप के साया-ए-आतिफ्त में रहे आबिद ने इंकार किया उनसे और उनकी बहन से खुदा की पनाह माँगी,

लेकिन तीनों भाईयों ने इसरार किया और राहिब इस शर्त पर मान गया कि अपनी बहन को मेरे इबादत खाने के सामने किसी घर में छोड़ जाओ, चुनाँचि तीनों भाईयों ने ऐसा ही किया और अपनी बहन को आबिद के सामने एक घर में ला उतारा और खुद चले गए,

वह लड़की आबिद के क़रीब एक मुद्दत तक रहती रही, आबिद उस के लिए खाना लेकर चलता था और अपने इबादत ख़ाने के दरवाज़े पर रख कर किवाड़ बंद कर लेता था, और अन्दर वापस चला जाता था और लड़की को आवाज़ देता था वह अपने घर से आकर खाना उठा कर ले जाती थी, कुछ दिनों के बाद शैतान ने आबिद के दिल में यह ख़्याल पैदा किया कि लड़की दिन को अपना खाना लेने कि लिए घर से निकलती है,

कहीं ऐसा न हो कि कोई उसे देख कर उस पर दस्त अन्दाज़ी करे और उसकी अस्मत ख़राब करले बेहतर ये है कि मैं खुद उस का खाना उसके दरवाज़े पर रख आया करूँगा, उस में मुझे अज्र भी बहुत मिलेगा, अल-ग़र्ज वह आबिद खुद खाना लेकर उसके घर जाने लगा कुछ दिनों के बाद शैतान फिर उसके पास आया और उसे इस बात पर उभारा तुम उस लड़की से बात चीत किया करो, तो लड़की की वहशत दूर होगी, और यह बड़ा नेक काम होगा, चुनाँचि वह आबिद उस लड़की से कलाम भी करने लगा,

और अपने इबादत खाने में उतर कर उस के घर जाने लगा और दिन भर बातें करने लगा, दिन को लड़की के पास रहता और रात को अपने इबादत खाने में आजाता कुछ अर्सा के बाद शैतान ने आबिद पर लड़की की खुबसूरती का जाल फेंका और एक रोज़ आबिद ने लड़की के ज़ानों और रूख़्सार पर हाथ मारा, उसके बाद शैतान बराबर उसे उक्साता रहा, हत्ता कि उसे उससे मुलव्विस् कर दिया,

लड़की ने एक लड़का जना, फिर शैतान आबिद के पास आया और कहने लगा, अगर लड़की के भाई आगए तो तुम क्या करोगे? मैं डरता हूँ कि तुम बड़े ज़लील होगे, तुम ऐसा करो कि इस बच्चे को ज़मीन में गाड़ दो, आबिद ने ऐसा ही किया, फिर शैतान ने आबिद से कहा कि मुझे शुबह है कि यह लड़की अपने भाईयों से सारा किस्सा बयान कर देगी, लिहाजा उसे भी जिबह कर के बच्चे के साथ दफन करदो,

अल-ग़र्ज़ आबिद ने बच्चे के साथ लड़की को भी ज़िबह कर के दफन कर दिया, और खुद इबादत खाने में जाकर इबादत करने लगा, एक मुद्दत के बाद लड़की के भाई वापस आए और आबिद से अपनी बहन का हाल पूछा तो आबिद ने कहा वह मर गई है और कब्रिस्तान में उन्हें ले जाकर एक क़ब्र दिखा दी, और कहा यह तुम्हारी बहन की कब्र है,

उस पर फातिहा पढ़ो भाईयों ने दुआ-ए-खैर की और वापस घर चले आए रात को तीनों भाईयों ने ख़्वाब में देखा कि शैतान एक मुसाफिर आदमी की शक्ल में आया है, और उनसे उन की बहन को पूछा, उन्होंने उसके मरने की खबर दी तो शैतान ने तीनों से कहा नहीं, ऐसा नहीं, बल्कि उस आबिद ने तुम्हारी बहन की इज़्ज़त को लूटा है और उससे बच्चा पैदा हुआ,

जिसे आबिद ने मार डाला और तुम्हारी बहन को ज़िबह भी कर डाला और दोनों को दफ़न कर दिया है, तुम उस घर में दाखिल होकर फलाँ कोने को जाकर देखो, वहाँ वह गढ़ा मौजूद पाओगे, सुबह तीनों भाई उठे, और एक दूसरे से ख़्वाब बयान कर के उठे और उस मकान में गए और उस कोने की तरफ बढ़े, तो वहाँ गड़ा मौजूद पाया, खोदा तो दोनों लाशें निकल आई, उसके बाद वह आबिद के पास आए,

तो उसने भी इक़बाल-ए-जुर्म कर लिया, फिर तीनों भाईयों ने बादशाह से जाकर नालिश की तो आबिद को इबादत खाने से निकाला गया और उसे फाँसी पर लटकाने का हुक्म दिया गया, जब उसे फाँसी के लिए दार पर लाया गया तो शैतान आ गया और कहने लगा मुझे पहचानों, मैं तुम्हारा वही साथी जिसने तुझे औरत के फ़ितने में डाल दिया अब अगर मेरा कहा मानों तो मैं तुम्हें फाँसी से बचा सकता हूँ,

उसने कहा ! कहो क्या कहते हो? मैं मानूँगा शैतान ने कहा खुदा का इन्कार कर दो, चुनाँचि आबिद बद बख़्त ने खुदा का इन्कार कर दिया, और काफिर हो गया !ज़िना और बदकारी का अज़ाब। Zina aur badkari ka azaab.

शैतान उसे वहीं छोड़ कर चला गया, और सिपाहियों ने उसे दार पर खींच दिया ! (तलबीसे इब्लीस सः37)

शैतान के पास मर्दों को पकड़ने का सब से बड़ा जाल औरत है, वह मलऊन औरतों के जरिए बड़ों बड़ों को बहका लेता है हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इसी लिए औरत को परदे में रखा है, और मरद-व-औरत दोनों को निगाहें नीची रखने का हुक्म सुनाया है और गैर महरम औरत के पास तन्हाई में बैठाने या उस से कलाम करने या उसे छूने से रोका है,

पस मुसलमानों को शैतान के इस जाल से भी होशियार रहना चाहिए, आज कल शैतान नई तहज़ीब के हाथों इस जाल को बाज़ारों क्लबों थेटरों और मेलों ठेलों में फिंकवारहा है, और कई तरक्की पसंदों को फाँस रहा है, शैतान बड़ा चालबाज़ और अय्यार है,

कहीं तो औरतों की मदद व और कहीं यह ख़्याल पैदा करके कि हुस्न व खूबसूरती खुदा की सनअत है और सनअते खुदा को देखना भी कारे खैर है, मर्दों की नज़रें औरतों पर जमा देता है और फिर यह मलऊन दीन व ईमान बरबाद करके साथ भी छोड़ देता है और यूँ कह देता है कि- हिमयातके रंग में मर्दों को उनकी तरफ माइल करता है।

“इन्नी बरीउम-मिन-क-इन्नी अखा फुल्लाह रब्बल-आलमीन” मैं तुम से बरी हूँ और मैं खुदा से डरता हूँ!

अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक़ आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे ज़िन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।

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क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।

खुदा हाफिज…

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