बच्चे का नाम हमेशा अच्छा रखें। अल्लाह रब्बुल – इज़्ज़त को अब्दुल्लाह नाम सबसे ज़्यादा पसन्द है। अब्दुर्रहमान नाम पसन्द है । अब्दुर रहीम नाम पसन्द है ।
ऐसे नाम रखें कि क़ियामत के दिन जब जाएँ तो अल्लाह रब्बुल – इज़्ज़त को उस बन्दे को जहन्नम में डालते हुए हया महसूस हो। अल्लाह तआला महसूस फ़रमायें कि मेरा बन्दा मेरे रहमत वाले नाम के साथ सारी ज़िन्दगी पुकारा जाता रहा, अब इसको जहन्नम में मैं कैसे डालूँ। ऐसा नाम होना चाहिये।
आजकल की बच्चियाँ नये-नये नामों की खुशी में बेमानी ( अर्थहीन ) किस्म के नाम रख लेती हैं। उलटे-सीधे नाम जिसका न उसकी माँ को मायने का पता और न किसी और को पता। बेकार किस्म के नाम रख देती हैं। Bachche ka Naam Hamesha Achcha Rakhe.
यह बच्चे के साथ ज्यादती होती है। बच्चे के हुकूक में से है कि माँ-बाप ऐसा नाम रखें कि जब बच्चा बड़ा हो और उसके नाम से उसको पुकारा जाये तो बच्चे को खुशी हो । यह बच्चे का हक है जो माँ-बाप के ऊपर होता है।अक़ीका, ख़तना,काला टीका लगाना।
इसलिये बच्चे को हमेशा अच्छा नाम दें। अम्बिया (नबियों) के नामों में से नाम दें। सहाबा – ए – किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम के नामों में से नाम दें। औलिया-ए-किराम के नामों में से नाम दें।
एक रिवायत में आता है कि जिस घर के अन्दर कोई बच्चा मुहम्मद नाम का होता है अल्लाह रब्बुल्-इज़्ज़त इस नाम की बरकत से उस घर के तमाम रहने वालों को जहन्नम की आग से बरी फ़रमा देते हैं। तो मुहम्मद का नाम अहमद का नाम बहुत प्यारा है ।
हमारे बुजुर्ग तो दस-दस नसलों तक बाप का नाम मुहम्मद फिर उसके बेटे का नाम मुहम्मद फिर उसके बेटे का नाम मुहम्मद, यह नाम इतना प्यारा था कि दस-दस नसलों तक यही नाम चलता चला जाता था। लेकिन आजकल इस नाम को रख तो देते हैं साथ ही कोई दूसरा लफ़्ज़ लगा देते हैं और नाम से ज़्यादा दूसरा लफ़्ज़ मशहूर होता है।
मसलन मुहम्मद उवैस नाम रखा अब उवैस ज़्यादा मशहूर कर दिया मुहम्मद का नाम कोई जानता भी नहीं। इसलिये मुहम्मद नाम अल्लाह रब्बुल्-इज्ज़त को प्यारा है। अहमद नाम कुरआन में है, अल्लाह रब्बुल्-इज्ज़त को प्यारा है। चाहें तो मुहम्मद अहमद नाम भी रख सकती हैं। बहुत ही प्यारा नाम है। Bachche ka Naam Hamesha Achcha Rakhe.
अब्दुल्लाह रख सकती हैं। अब्दुल्लाह इब्राहीम रख सकती हैं। अम्बिया, औलिया के नामों पर बच्चों के नाम रखें ताकि कियामत के दिन उन ही के साथ उनका हश्र हो जाये। और अल्लाह रब्बुल् – इज़्ज़त की रहमत हो । औलाद की तरबियत कैसे करें?
बच्चियों के नाम भी इसी तरह सहाबियात (सहाबी औरतों) के नामों पर रखें। उम्महातुल् – मोमिनीन ( नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पाक बीवियों) के नामों पर रखें। नबी अलैहिस्सलाम की बेटियों के नामों पर रखें। बच्चियों के नाम भी अच्छे रखें।
ऐसे नाम न रखें कि जिनका कोई मतलब ही न हो। बहरहाल ! इस बात का भी ख़ास ख्याल रखें।जब बच्चे की पैदाईश हो सातवें दिन अकीका करना सुन्नत है। बेटे के लिये दो बकरे और बेटी के लिये एक बकरा यह खुशी का इज़हार है। खुद भी उसको खाएँ और रिश्तेदारों को भी खिलाएँ ।
ग़रीबों को भी दें इसके लिये हर तरह की इजाज़त होती है। जब बच्चे की पैदाईश हो जाये तो माँ-बाप को घर के कामकाज भी करने होते हैं, इबादत भी करनी होती है, तो जब भी माँ इबादत,
तिलावत के लिये बैठे तो अपने बच्चे को अपनी गोद में लेकर बैठे और फिर अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त का कुरआन पढ़े, आपके कुरआन पढ़ने की बरकतें आपके बच्चे के अन्दर उस वक़्त उतर जायेंगी।Bachche ka Naam Hamesha Achcha Rakhe.
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क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…