आयतुल कुर्सी की फ़ज़ीलत और तफ़्सीर। Ayatul kursi ki Fazilat aur Tafseer.

Ayatul kursi ki fazilat aur tafseer

आयतुल कुर्सी कुरान की सब से अज़ीम तरीन आयत है हदीस में रसूल (स.अ.) ने इसको तमाम आयात से अफजल बताया है।

हज़रत अबू हुरैरा (र.अ.) फरमाते हैं कि रसूल (स.अ.) ने फ़रमाया : सूरह बकरा में एक आयत है जो तमाम कुरान की आयातों की सरदार है जिस घर में पढ़ी जाये शैतान वहां से निकल जाता है।इस सूरत में अल्लाह की तौहीद अल्लाह को एक मानने को साफ़ तौर पर बताया गया है और शिर्क को रद्द किया है। आयतुल कुर्सी की फ़ज़ीलत।

इस आयत में 10 जुमले हैं।

पहला जुमला :- अल्लाह जिसके सिवा कोई माबूद नहीं इस में अल्लाह इसमें ज़ात है जिस के मानी हैं वो ज़ात जिस के अन्दर तमाम कमाल पाए जाते हों और तमाम बुराइयों से पाक हो और उस के सिवा कोई माबूद नहीं।Ayatul kursi ki Fazilat aur Tafseer.

दूसरा जुमला :- वही हमेशा जिंदा और बाकी रहने वाला है हय्य के मानी अरबी ज़ुबान में जिसको कभी मौत न आये हमेशा जिंदा रहने वाला और कय्यूम के मानी हैं जो खुद कायम रहे और दूसरों को भी कायम रखता और संभालता हो और कय्यूम अल्लाह तआला की ख़ास सिफत है जिस में कोई भी उस का शरीक नहीं क्यूंकि जो चीज़ें अपने बाक़ी रहने में दुसरे की मोहताज हों वो किसी दुसरे को क्या संभाल सकती हैं। इसलिए किसी इंसान को क़य्यूम कहना जाएज़ नहीं बल्कि अब्दुल कय्यूम कय्यूम का बंदा कहना चाहिए जो लोग अब्दुल कय्यूम की जगह सिर्फ कय्यूम बोलते हैं गुनाहगार होते हैं।

तीसरा जुमला :- न उसको ऊंघ आती है न नींद अल्लाह के सहारे ही सारी कायनात कायम है इसलिए एक आम इंसान का ख़याल इस तरफ जा सकता है कि जो ज़ात इतना बड़ा काम कर रही है उसे भी किसी वक़्त थकान होना चाहिए और कोई वक़्त आराम और नींद के लिए चाहिए लेकिन इस जुमले में महदूद और अदना सा इल्म रखने वाले इंसान को बता दिया गया कि अल्लाह को अपने जैसा न समझे उसकी कुदरत के सामने ये काम कुछ मुश्किल नहीं और उस की ज़ात नींद और थकान से बरी है। सूरए फील और अबाबील का वाकिआ।

चौथा जुमला :- जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है सब उसी का है जिसका मतलब है तमाम चीज़ें जो ज़मीन और आसमान में हैं सब अल्लाह की ही मिलकियत में हैं वो जिस तरह चाहे उस में तसर्रुफ़ करे।

पांचवां जुमला :- कौन है जो बगैर उसकी इजाज़त के उसकी सिफारिश कर सके मतलब ऐसा कौन है जो उस के आगे किसी की सिफारिश कर सके हाँ कुछ अल्लाह के मकबूल बन्दे हैं जिनको ख़ास तौर पर बात करने की और शिफारिश की इजाज़त दी जाएगी लेकिन बगैर इजाज़त के कोई सिफारिश नहीं कर सकता।Ayatul kursi ki Fazilat aur Tafseer.

छठा जुमला :- वो उसे भी जनता है जो मख्लूकात के सामने है और उसे भी जो उन से ओझल है। यानी अल्लाह उन लोगों के आगे पीछे के तमाम हालात जानता है और आगे पीछे का मतलब ये हो सकता है कि उनके पैदा होने के पहले और पैदा होने के बाद के हालत अल्लाह जानता है और इसका मतलब ये भी हो सकता है कि वो हालात जो इंसान के सामने हैं खुले हुए है और पीछे का मतलब वो हालात जो छुपे हुए हैं।

सातवां जुमला :- बन्दे उसके इल्म का ज़रा भी इहाता नहीं कर सकते सिवाए उन बातों के इल्म के जो खुद अल्लाह देना चाहे इंसान और तमाम मख्लूकात अल्लाह के इल्म के किसी एक हिस्से तक भी नहीं पहुँच सकते मगर अल्लाह ही जिसको जितना इल्म अता करना चाहें सिर्फ उतना ही इल्म उसको मिल सकता है।

आठवां जुमला :- उसकी हुकूमत की कुर्सी ज़मीन और असमान को घेरे हुए है उसकी कुर्सी इतनी बड़ी है कि उस में सातों ज़मीन और सातों आसमान समाये हुए हैं इस किस्म की आयत को इंसान अपने ऊपर कयास न करे क्यूंकि अल्लाह की कुदरत को समझ पाना इंसान की समझ से बाहर है।Ayatul kursi ki Fazilat aur Tafseer.

नवां जुमला :- ज़मीनों आसमान की हिफाज़त उसपर दुशवार नहीं अल्लाह को ज़मीन व आसमान की हिफाज़त कोई बोझ महसूस नहीं होती बल्कि उसकी कुदरत के सामने ये आसान चीज़ें हैं। अल्लाह के नामो की फज़िलत और वजीफे।

दसवां जुमला :- वह बहुत बुलंद और अज़ीम ज़ात है यानि वो आली शान और अजीमुश शान है ।पिछले नौ जुमलों में अल्लाह की जातो सिफ़ात के कमालात बयान हुए हैं उनको देखने और समझने के बाद हर अक्ल वाला इंसान यही कहने पर मजबूर है कि हर इज्ज़त, अजमत, बुलन्दी व बरतरी सिर्फ अल्लाह ही को ज़ेबा है।

बिस्मिल्ला हिर्रहमा निर्रहीम:-

अल्लाहु ला इलाहा इल्लाहु अल हय्युल कय्यूम ला तअखुजुहु सिन्नतुं वला नौम लहू मा फ़िस्सामावाती व मा फिलअर्द मन जल्लज़ीय यश्फउ इन्दहू इल्ला बीइज़्निह यअलमु मा बयना अयदिहिम वमा खल्फहूम वला युहीतुना बिशयइम्मीन इलमिहि इल्ला बीमा शाअ वसीआ कुर्शिययुहुस्समावाती वल अर्द वला यउदुहु हिफ्जुहुमा वहुवल अलियुल अज़ीम। Ayatul kursi ki Fazilat aur Tafseer.

अल्लाह रब्बुल-इज्जत हम सब को अयतल कुर्सी ज़्यादा से ज्यादा पढ़ने की तौफीक अता फरमाए आमीन।

आयतुल कुर्सी को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

खुदा हाफिज…

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