असर की नमाज़ पढ़ने का तरीक़ा।Asar ki Namaz padhne ka tariqa.

Ask ki namaz padhne ka tarika

आज हम असर की नमाज़ पर बात करेंगे और आपको बताएँगे की आखिर असर की नमाज़ क्या होती हैं? इसका सही वक़्त कौन सा होता हैं?

असर की नमाज़ पांच वक़्त की नमाज़ो में से तीसरी नमाज़ होती हैं। जो की ज़ोहर की नमाज़ के बाद होती हैं। असर की नमाज़ के पहले ज़ोहर और उसके बाद मगरिब की नमाज़ होती हैं। हदीसों में असर की नमाज़ की बहुत फ़ज़ीलत बताई गयी हैं,

क्यूंकि ये नमाज़ उस वक़्त होती हैं जब लोग अपने कामों में मसरूफ होते हैं या बाज़ारों में कुछ खरीददारी के लिए निकलते हैं। ऐसे वक़्त में जब बंदा इस नमाज़ को अदा करता हैं तो अल्लाह ऐसे बन्दों को अपने बहुत करीब रखता हैं।Asar ki Namaz padhne ka tariqa.

एक हदीस के मुताबिक जो शख्स असर की नमाज़ को बेवजह छोड़ देता हैं वह शख्स बहुत बड़ा गुनहगार बन जाता हैं। एक और हदीस में आया हैं की जो शख्स फ़ज़्र और असर की नमाज़ पाबन्दी से पढता है। वह जहन्नम के अज़ाब से बच जाता हैं। खैर हम सब को कोशिश करना चाहिए की हम कोई भी नमाज़ को पढ़ना न भूले।

असर की नमाज़ का वक़्त
ज़ोहर की नमाज़ का वक़्त ख़त्म होते ही असर की नमाज़ का वक़्त शुरू हो जाता हैं। यह वक़्त सर्दी और गर्मी में अलग अलग रहता हैं, जैसे अभी के टाइम तो असर की नमाज़ का वक़्त शाम 4:30 बजे से सूरज डूबने के 20 मिनट पहले तक रहता हैं।

सर्दी में यही वक़्त थोड़ा जल्दी हो जाता हैं यानि सर्दी में ये वक़्त 4 बजे से लेकर सूरज डूबने के 20 मिनट पहले तक रहता हैं। आप कोशिश करिये की सूरज जैसे ही डूबने वाला हो उसके 20 मिनट पहले तक असर की नमाज़ अदा कर ले नहीं तो आपकी नमाज़ कज़ा हो जाएगी और आप गुनहगार हो जायेंगे।

सूरज जैसे ही डूबना शुरू करता हैं उस वक़्त मगरिब की नमाज़ का वक़्त शुरू हो जाता हैं। लिहाज़ा आप ऊपर बताये वक़्त के मुताबिक असर की नमाज़ अदा कर ले।Asar ki Namaz padhne ka tariqa.

असर की नमाज़ में कितनी रकात होती हैं?
असर की नमाज़ में कुल 8 रकात होती हैं जो इस तरह हैं,
4 रकात सुन्नत ,4 रकात फ़र्ज़ पहले 4 सुन्नत नमाज़ पढ़ी जाएगी उसके बाद 4 फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ी जाएगी।

अज़ान होने के बाद करीब 15 मिनट के बाद मस्जिद में फ़र्ज़ नमाज़ शुरू हो जाती हैं अगर आप मस्जिद में यह नमाज़ पढ़ने जा रहे हैं तो अज़ान के 15 मिनट के अंदर सुन्नत नमाज़ अदा कर ले क्यूंकि उसके बाद मस्जिद के इमाम साहब आपको 4 फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ाएंगे। अगर आप घर पर पढ़ रहे हैं तो पहले 4 सुन्नत और बाद में 4 फ़र्ज़ नमाज़ पढ़े।

असर की नमाज़ पढ़ने का तरीका
जैसे की हमने पहले कहा है की हर नमाज़ की नियत काफी हद तक एक जैसी रहती हैं वैसी ही नियत के बाद जो सूरह और नमाज़ पढ़ने का तरीका होता हैं वह भी लगभग एक जैसा होता हैं।Asar ki Namaz padhne ka tariqa.

सबसे पहले नमाज़ की नियत करे जो इस तरह है नियत की मैंने 4 रकात नमाज़ सुन्नत, वास्ते अल्लाह तआला के, वक़्त असर का, मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ और फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने दोनों हाथ उठा कर अपने कानों तक ले जाये फिर दोनों हाथों को नाफ़ के नीचे बांध ले।

बस कोई नमाज़ छोटी है तो कोई बड़ी। जैसे असर में 4 रकात सुन्नत या फ़र्ज़ पढ़नी होती हैं तो फ़ज़्र की नमाज़ में 2 रकात सुन्नत या फ़र्ज़ पढ़नी होती हैं। बाकि हर नमाज़ में जो सूरह और आयत पढ़नी होती हैं वही आपको हर नमाज़ में पढ़नी होती हैं। नियत के बारे में हमने ऊपर आपको बता ही दिया हैं चलिए उसके बाद क्या पढ़ना है वो हम आपको बताते हैं।

4 रकात नमाज़ सुन्नत का तरीका
जैसे ही आप नियत के बाद दोनों हाथो को नाफ की नीचे बांधेंगे उसके बाद आपको सूरह सना पढ़ना हैं जो ये है सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबा रकस्मुका व तआला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका” इसके बाद आप अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम बिस्मिल्लाहीर्रहमानिररहीम पढ़े। उसके बाद सूरह फातेहा पढ़े।

सूरह फातेहा पढ़ने के बाद कोई एक सूरह पढ़े जैसे कुल्हुवल्लाह, या कुल अऊजु बिरब्बिल फलक या कोई और सूरह जो आपको याद हो वो पढ़े। सूरह पढ़ने के बाद आप अल्लाहो अकबर कहते हुए रुकू में जाये रुकू में जाने के बाद 3 मर्तबा “सुबहान रब्बी अल अज़ीम” पढ़े।

इस वक़्त आपको अपनी नज़र अपने पैर के अंगूठे पर रखनी हैं। इसके बाद आप “समीअल्लाहु लिमन हमीदह” कहते हुए रुकू से खड़े हो जाये और रब्बना व लकल हम्द कहते हुए उसके बाद अल्लाहो अकबर बोलते हुए सजदे में जाये।Asar ki Namaz padhne ka tariqa.

सजदे में इस तरह जाये की आपका सीधा घुटना पहले ज़मीन पर लगे। फिर सजदे में 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। 3 बार सुबहाना रब्बी अल आला पढ़ने के बाद फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए उठे और वापिस सजदे में जाये। वापिस 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े।

आप फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े हो जाये और हाथ बांध ले और फिर से सूरह फातेहा (अल्हम्दु शरीफ) पढ़े और उसकी बाद कोई दूसरी सूरह जो आपको याद हो वो पढ़े। उसके बाद फिर से अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाये। रुकू में जाने के बाद वापिस 3 मर्तबा “सुबहाना रब्बी अल अज़ीम” पढ़े।

इसके बाद वापिस आप “समीअल्लाहु लिमन हमीदह” कहते हुए रुकू से खड़े हो जाये और दोबारा रब्बना व लकल हम्द कहते हुए उसके बाद अल्लाहो अकबर कहते हुए सजदे में जाये। सजदे में वापिस 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े फिर वापिस अल्लाहु अकबर कहते हुए दोबारा सजदे में सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे पैर के पंजो के बल पर बैठ जाये।Asar ki Namaz padhne ka tariqa.

ध्यान रहे आप जब बैठे तो सीधे पैर के अंघूठे के बल पर पांचो अँगुलियों समेत बैठे। उल्टा पैर आप ज़मीन पर टिका सकते हैं। अगर कोई परेशानी आ रही हैं इस तरह बैठने में या अंगूठा हिल जाता है तो कोई मसला नहीं लेकिन जानबूझकर अंगूठा हिलाना या दोनों पैर ज़मीन पर टिका कर बैठना गलत हैं।

फिर आप अत्तहिय्यात पढ़े अत्तहिय्यात पढ़ने के दौरान आपको अशहदु अल्लाह अल्फ़ाज़ आते ही शहादत की ऊँगली को उठाना हैं। फिर आप अल्लाहो अकबर बोलते हुए तीसरी रकात के लिए फिर से खड़े हो जाये। जैसे आपने ये 2 रकात पढ़ी उसी तरह आपको 4 सुन्नत की आखरी 2 और रकात पढ़नी हैं।

बस आखिर की 2 रकात में अत्तहिय्यात के बाद दरूदे इब्राहिम एक बार और दुआ ए मसुरा एक एक बार पढ़ना हैं। उसके बाद सलाम फेरना हैं। इस तरह आपकी 4 रकात नमाज़ सुन्नत हो जाएगी।

4 रकात नमाज़ फ़र्ज़ का तरीका
जैसे आपने सुन्नत नमाज़ पढ़ी। बस वैसे ही आपको फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ना हैं क्यूंकि दोनों में 4 रकात ही हैं। बस 4 फ़र्ज़ नमाज़ में कुछ बदलाव हैं। इसकी नियत भी सुन्नत की तरह हैं सिर्फ आपको 4 सुन्नत की जगह 4 फ़र्ज़ बोलना हैं ।

और जब आप पहली 2 रकात फ़र्ज़ पढ़कर तीसरी रकात के लिए खड़े होंगे, उसमे आपको सूरह फातेहा पढ़ने के बाद सीधे रकू में चले जाना हैं। सूरह फातेहा के बाद कोई सूरह जैसे कुल्हुवल्लाह, या कुल अऊजु बिरब्बिल फलक नहीं पढ़ना हैं।Asar ki Namaz padhne ka tariqa.

आपको सीधे रकू में जाना हैं और जो बाकि का तरीका हैं वही इस नमाज़ में भी करना हैं। बस ऐसे आपकी 4 फ़र्ज़ नमाज़ भी हो जाएगी।

उम्म्मीद करते हैं आज आपने असर की नमाज़ को भी अच्छी तरह से पढ़ना समझ लिया होगा। इंशाल्लाह ये नमाज़ का तरीका पढ़ने के बाद कोई दिक्कत नहीं आएगी।
अल्लाह हम सबको पंजवक्ता नमाज़ पढ़ने की तौफीक अता फरमाए आमीन।

असर की नमाज़ को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

खुदा हाफिज…

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