वुजू के बिना नमाज़ कुबूल नहीं होती है। अबू हुरैरा रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: जब तुम में से कोई बेवुजू हो जाता है तो अल्लाह तआला उस की नमाज उस वक्त तक कुबूल नहीं करता जब तक दोबारा वुजू न कर ले ( बुखारी 6954 मुस्लिम 225)
वुजू की फजीलत बहुत ज्यादा है इंसान को चाहिए कि उन्हें समझे। उन्हीं फजीलतों में से एक फजीलत इस हदीस में आयी है जिसे उस्मान बिन अफ़्फ़ान रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है की अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः “जो बन्दा अच्छी तरह वुजू करता है तो उसके गुनाह उसके शरीर से निकल जाते हैं, यहां तक कि उसके नाखून के नीचे से भी निकल जाते हैं।(सही मुस्लिम 245)Wazu ka Tariqa
हज़रत उस्मान रजियल्लाहु अन्हु ने बयान किया है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः अल्लाह ने जिस तरह से हुक्म दिया है यदि कोई उस तरह से वुजू करता है तो फर्ज नमाजें अपने बीच के गुनाहों का कफ्फारा होंगी ।( सही मुस्लिम 231)
वुजू का तरीका
1. इंसान अपने दिल से वुजू की नीयत करे। नीयत के अल्फाज जुबान से अदा न करे नीयत दिल के इरादे को कहते हैं। उसके बाद बिस्मिल्लाह कहे।
2. फिर तीन बार अपनी हथेलियों को धोए।
3. उसके बाद कुल्ली करे और तीन बार नाक में पानी चढ़ाए।
4. फिर चौड़ाई में एक कान से दूसरे कान तक और
लम्बाई में बाल उगने की जगह से दूरी के नीचे तक धुले।
5. उसके बाद तीन बार अपने हाथों की उंगलियों के सिरे
से कोहनी समेत धोये पहले दाया हाथ और फिर बायां हाथ धोये,
6. फिर एक बार अपने सिर का मसह करे इंसान अपना हाथ भिगोए और अपने हाथ को सिर के शुरु हिस्से से अखीर तक ले जाए और फिर शुरु सिर पर वापस लाए।
7. फिर अपने दोनों कानों का एक बार मसह करे अपनी उगुली को कान के अन्दर डाले और अंगूठे से कान के ऊपरी हिस्से का मसह करे।
8. उसके बाद तीन बार अपने पांव को उंगुलियों के सिरे
से टखनों समेत धोये पहले दायां पांव धोये फिर बायां पांव धोये।
9. उसके बाद यह दुआ पढ़नी मुस्तहब है। “अशहदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाह, व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अबदुहू वरसूलुह,Wazu ka Tariqa
उमर बिन खत्ताब रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः “जो कोई इंसान अच्छी तरह वुजू करता है और फिर यह दुआ पढ़ता है, अशहदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाह, व अन्न मुहम्मदन अबदुहू वरसूलुहू तो उसके लिए जन्नत के आठों दरवाजे खोल दिये जाते हैं जिस दरवाजे से चाहेगा वह दाखिल होगा (सही मुस्लिम 234)
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क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…