23/12/2025
image 111 scaled

हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम और मौत के बाद की ज़िंदगी का हक़ीक़ी सबूत | Hazrat Ibrahim Alehissalam aur Maut ke baad ki Zindagi ka Haqiqe Saboot.

Share now
Hazrat Ibrahim Alehissalam
Hazrat Ibrahim Alehissalam

हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की ज़िंदगी का एक अहम वाक़िया

हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की जिंदगी के कुछ वाक़िए उनके बेटों हज़रत इस्माईल और हज़रत इसहाक़ से जुड़े हुए हैं। मुनासिब समझा गया कि इन वाक़ियों को उन दोनों नबियों के हालात में ही बयान किया जाए। यही हाल उन वाक़ियों का है जिनका ताल्लुक़ उनके भतीजे हज़रत लूत से है, अलबत्ता ‘हयात बादल ममात’ (मरने के बाद की जिंदगी) से मुताल्लिक़ वाक़िया यहां बयान किया जाता है।

हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को चीज़ों की हक़ीक़त मालूम करने की तलाश और तलब का तबई ज़ौक़ था और वह हर चीज़ की हक़ीक़त तक पहुंचने की कोशिश को अपनी जिंदगी का ख़ास मक्सद समझते थे, ताकि उनके ज़रिए एक ही जात (अल्लाह जल्ल जलालुहू) की हस्ती, उसके एक होने और उसकी मुकम्मल कुदरत के बारे में इल्मुलयक़ीन (यक़ीन की हद तक इल्म) के वाद हक़्कुल यक़ीन (यक़ीन ही हक़) हासिल कर लें, इसलिए हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने ‘ह्यात बादल ममात’ यानी मर जाने के बाद जी उठने से मुताल्लिक़ अल्लाह तआला से यह सवाल किया कि वह किस तरह ऐसा करेगा?

अल्लाह तआला ने इब्राहीम से फ़रमाया, ऐ इब्राहीम! क्या तुम इस मस्अले पर यक़ीन और ईमान नहीं रखते? इब्राहीम ने फ़ौरन जवाब दिया क्यों नहीं? मैं बिना किसी संकोच के इस पर ईमान रखता हूं, लेकिन मेरा यह सवाल ईमान व यक़ीन के ख़िलाफ़ इसलिए नहीं है कि में इल्मुल-यक़ीन के साथ-साथ ऐनुल-यक़ीन और हक्कुल यक़ीन (अगर किसी मस्अले के वारे में दलील व बुरहान के ज़रिए ऐसा इल्म हासिल हो जाए कि शक व शुबहा जाता रहे तो इस कैफ़ियत को इल्मुल यक़ीन कहा जाता है और इसका दूसरा दर्जा यह है कि इस इल्म के मुशाहदों और महसूसात से भी तौसीक़ हो जाए, तो उसको ऐनुल-यक़ीन कहा जाता है।

इसके बाद तीसरा और आख़िरी दर्जा हक़्कुल-यक़ीन का है। यह वह कैफियत है, जब इस मस्अले से मुताल्लिक़ तमाम हक़ीक़तें वाजेह हो जाती हैं और आगे जुस्तजू की ख़्वाहिश बाक़ी नहीं रहती का ख़्वास्तगार हूं। मेरी तमन्ना यह है कि तू मुझको आंखों से मुशाहदा करा दे कि ‘मौत के बाद की जिंदगी’ की क्या शक्ल होगी ?

तब अल्लाह तआला ने फ़रमाया कि अच्छा, अगर तुमको उसके मुशाहद की तलब है तो कुछ परिंदे लो और उनके टुकड़े-टुकड़े करके सामने वाले पहाड़ पर डाल दो और फिर फ़ासले पर खड़े होकर उनको पुकारो। हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने ऐसा ही किया। जब इब्राहीम ने उनको आवाज़ दी तो उन सबके टुकड़े अलग-अलग होकर फ़ौरन अपनी-अपनी शक्ल पर आ गए और ज़िंदा होकर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के पास उड़ते हुए चले आए।

यह वाक़िया, सूरः बक़रः रुकूञ् 35, आयत 260 में बयान हुआ है। इस सिलसिले में तावील करना बेकार की बात है, इन पर तवज्जो नहीं दी जानी चाहिए।

ये भी पढ़ें:इब्लीस ने अल्लाह से मोहलत मांगी | Iblis Ne Allah Se Mohlat mangi.

अल्लाह से एक दिली दुआ…

ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।

प्यारे भाइयों और बहनों :-

अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।

क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….

🤲 Support Sunnat-e-Islam

Agar aapko hamara Islamic content pasand aata hai aur aap is khidmat ko support karna chahte hain, to aap apni marzi se donation kar sakte hain.
Allah Ta‘ala aapko iska ajr ata farmaye. Aameen.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *