एक़ अन्धे के बारे में एक वाकिआ इस आजिज़ ने पहले भी सुनाया। कि रात का वक़्त था उसे पानी लाने की ज़रूरत पड़ी, कहीं दूर से, उसने पानी का घड़ा अपने सर पर रखा और लाते हुए उसने एक हाथ में चिराग़ जलाकर पकड़ा हुआ था।
अब देखने वाले बड़े हैरान ! कहने लगे आप तो नाबीना यानी अन्धे हो आपको इस रोशनी से फायदा तो कोई नहीं। आप तो अपने अन्दाज़े के मुताबिक रास्तों के ऊपर चलते हो। अब आपको तो रोशनी की ज़रूरत ही नहीं।
उसने कहा बिल्कुल ठीक है मुझे रोशनी की ज़रूरत नहीं, लेकिन रात का अन्धेरा है आँखों वाले जब अन्धेरे में चलते हैं तो उनको सही पता नहीं चलता, मैंने चिराग़ जलाकर इसलिए पकड़ लिया कि कहीं कोई आँखों वाला मुझसे न टकराये और उसकी वजह से मेरा घड़ा न टूट जाए।
अन्धा कितना समझदार था कि उसने चिराग़ इसलिए पकड़ा था कि दूसरे लोग रास्ते को देखें और मुझसे मत टकरायें। इसलिए कि अगर टकरायेंगे तो नुकसान तो मेरा होगा। जवान औरत को भी यही सोच रखनी चाहिये कि अगर मैं बेपर्दा बाहर निकली, अगर किसी गैर-मेहरम ने देख लिया और उसकी नज़र में फतूर आ गया, अगर मैंने किसी के साथ तन्हाई में बातें कीं, अगर मैंने किसी के साथ टेलीफोन पर बातें करना शुरू कर दीं और ज़रा सा भी किसी को मौका दिया तो इज़्ज़त तो मेरी ख़राब होगी।
दुनिया की भी बदनामी और अल्लाह के यहाँ की भी नाराज़गी, और मैं इस जिहाद में फिर नाकाम हो जाऊँगी। और अपने रब को क्या मुँह दिखाऊँगी। इसलिए उसको इन बातों का ख़्याल रखना चाहिए।
खूबसूरत वाक़िआ:-नेकी की हौसला अफ़ज़ाई देने की फज़ीलत
अल्लाह से एक दिली दुआ…
ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।
प्यारे भाइयों और बहनों :-
अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।
क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….