Support Our Work

Choose your app or scan the QR code below

GPay Pay with GPay PhonePe Pay with PhonePe Paytm Pay with Paytm
Donate QR
15/10/2025
Add a heading 20250311 180127 0000

आम बीमारियों पर सब्र करना। Aam Bimariyon par Sabr Karna.

Share now
Aam Bimariyon par Sabr Karna.
Aam Bimariyon par Sabr Karna.

सय्यिदिना हज़रत मुहम्मद रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का सब्र :-

हज़रत अबू सईद रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि मैं हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की खिदमत में गया। हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को बुखार चढ़ा हुआ था। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक चादर ओढ़ी हुई थी। मैंने चादर के ऊपर से हाथ रखा और अर्ज़ किया, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! आपको कितना तेज बुखार चढ़ा हुआ है?

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, हम (नबियों) पर इसी तरह सख़्त तक्लीफ़ और आज़माइश आया करती है और हमारा अज्र व सवाब भी दोगुना होता है।

मैंने कहा, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम लोगों में सबसे ज़्यादा आज़माइश किन पर आई है?

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, नबियों पर। मैंने कहा, फिर किन पर? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, उलेमा पर। मैंने कहा, फिर किन पर? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, नेक बन्दों पर। कुछ नेक बन्दों के जिस्म में इतनी जुएं पड़ जाती थीं कि उसी में उनका इन्तिक़ाल हो जाता था और कुछ पर इतनी तंगदस्ती आई थी कि उन्हें चोगा के अलावा कोई और चीज़ पहनने को न मिलती थी, लेकिन तुम्हें दुनिया मिलने से जितनी खुशी होती है, उन्हें आज़माइश और तकलीफ़ से इससे ज्यादा खुशी होती थी।

हज़रत अबू उबैदा बिन हुजैफ़ा रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि उनकी फूफी हज़रत फ़ातिमा रज़ियल्लाहु अन्हा ने फ़रमाया कि हम औरतें हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से पूछने के लिए गई, हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को बुखार चढ़ा हुआ था। आपके फ़रमाने पर पानी का एक मश्कीजा पेड़ पर लटकाया गया, फिर आप उसके नीचे लेट गए और उस मश्केजे से पानी की बुंदें आपके सर पर टपकने लगीं। चूंकि आपको बुखार बहुत तेज़ था, उस की तेज़ी कम करने के लिए आपने ऐसा किया था।

मैंने कहा, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! आप अल्लाह से यह दुआ करते. कि वह आपकी बीमारी को दूर कर दे तो बहुत ही अच्छा होता ।

हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, तमाम इंसानों में सबसे ज़्यादा सख़्त तक्लीफ़ और आज़माइश नबियों पर आती है, फिर उन पर जो उनके क़रीब हों, फिर उन पर जो उनके क़रीब हों, फिर उन पर जो उनके क़रीब हों।’

हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा फ़रमाती हैं कि एक बार हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम रात को बीमार हो गए, फिर आपकी बीमारी बढ़ने लगी और आप अपने बिस्तर पर करवटें बदलने लगे। मैंने कहा, हममें से कोई इस तरह करता तो आप उस पर नाराज़ होते ।

हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, मोमिन बन्दों पर तक्लीफ़ ज्यादा आती है और मोमिन बन्दे को जो भी तकलीफ़ पहुंचती है, चाहे बीमारी हो या कांटा ही लगे, अल्लाह इसकी वजह से उसकी ख़ताओं को मिटा देते हैं और उसके दर्जे बुलन्द फ़रमा देते हैं।

नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सहाबा किराम रजि० का बीमारियों पर सब्र :-

हज़रत जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं, बुखार ने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की खिदमत में आने की इजाज़त मांगी। हुज़र सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पूछा, यह कौन है? बुखार ने कहा, उम्मे मिलदम हूं। (यह बुखार का उपनाम है) हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बुखार को हुक्म दिया कि कुबा वालों में चले जाओ, (चुनांचे बुखार उधर चला गया) और उन्हें बुखार होने लगा और अल्लाह ही जानता है कि उन्हें कितना बुखार हुआ। उन्होंने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाज़िर होकर बुखार की शिकायत की। मुसलमान की ग़ीबत करना।

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, तुम लोग क्या चाहते हो? अगर तुम लोग चाहो, तो मैं अल्लाह से दुआ कर दूं और अल्लाह तुम्हारा बुख़ार दूर कर दे और अगर तुम चाहो, तो तुम्हारा बुखार बाकी रहे और यह बुखार तुम्हारे लिए गुनाहों से पाकी का जरिया बन जाए।

उन कुबा वालों ने अर्ज़ किया, क्या आप ऐसा कर सकते हैं?
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, हां, तो उन्होंने अर्ज़ किया, फिर तो बुखार को रहने दें।’

हज़रत सलमान रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि बुखार ने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से हाजिरी की इजाज़त चाही। हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने उससे पूछा, तुम कौन हो ?

उसने कहा, मैं बुखार हूं, गोश्त को काटता हूं और खून चूस लेता हूं। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, जाओ कुबा वालों के पास चले जाओ। चुनांचे बुखार कुबा वालों के पास चला गया और कुबा वालों के चेहरे पीले हो गए तो उन्होंने आकर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से बुखार की शिकायत की। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, तुम लोग क्या चाहते हो? अगर तुम चाहो तो मैं अल्लाह से दुआ करूं और वह तुम्हारा बुखार दूर कर दे और अगर तुम चाहो तो बुखार को रहने दो और तुम लोगों के बाक़ी तमाम गुनाह माफ़ हो जाएं।

उन्होंने कहा, जरूर ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! आप बुखार को रहने दें।

हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि बुखार ने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की खिदमत में आकर कहा, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! मुझे आप अपने उन सहाबा के पास भेज दें जिन्हें आप सबसे ज्यादा चाहते हों। हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, अंसार के पास चले जाओ। चनांचे बुखार उनके पास चला गया और सबको बुखार आने लगा जिसकी वजह से वो सब गिर गए।

अंसार ने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में आकर अर्ज़ किया, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! हमारे यहां बुखार आया हुआ है, आप हमारे लिए सेहत व शिफ़ा की दुआ फ़रमा दें। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दुआ फ़रमाई तो बुखार चला गया।

एक औरत हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पीछे आई और अर्ज़ किया, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! मेरे लिए दुआ फ़रमा दें, मैं भी अंसार में से हूं, इसलिए मेरे लिए भी वही दुआ फ़रमा दें जैसे आपने अंसार के लिए दुआ फ़रमाई ।

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, तुम्हें इन दो बातों में से कौन-सी बात ज्यादा पसन्द है? एक यह कि मैं तुम्हारे लिए दुआ कर दूं और तुम्हारा बुखार चला जाए। दूसरी यह कि तुम सब्र करो और तुम्हारे लिए जन्नत वाजिब हो जाए ?

उसने तीन बार कहा, नहीं। अल्लाह की क़सम, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! मैं सब करूंगी और फिर कहा, अल्लाह की क़सम ! मैं अल्लाह की जन्नत को खतरे में नहीं डाल सकती।’

हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा फ़रमाती हैं कि एक नवजवान हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की मज्लिस में हाज़िर हुआ करता था, वह कुछ दिन न आया, तो हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, क्या बात है? फ़्लां नज़र नहीं आ रहा है। सहाबा रजि० ने अर्ज़ किया, उसे बुखार हो गया है। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, उठो, उसका पूछना करने चलें ।

अब हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उस नवजवान के घर में उसके पास गए तो वह रोने लगा। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उससे फ़रमाया, मत राओ, क्योंकि हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम ने मुझे ख़बर दी है कि बुखार मेरी उम्मत के लिए जहन्नम के बदले में है।

हज़रत अबू सफ़र रहमतुल्लाहि अलैहि कहते हैं कि एक बार हज़रत अबूबक्र रज़ियल्लाहु अन्हु बीमार पड़े तो कुछ लोग उनका पूछना करने आए और उन्होंने अर्ज़ किया, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के खलीफ़ा रजि० ! क्या हम आपके लिए किसी डाक्टर को न बुला लाएं, जो आपको देख ले ?

हज़रत अबूबक्र रजियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया, डाक्टर मुझे देख चुका है, (यानी अल्लाह तआला)

इन लोगों ने पूछा, फिर उस डाक्टर ने आपको क्या कहा है?
हज़रत अबूबक्र रजियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया, उसने कहा है कि मैं जो चाहता हूं, उसे कर गुजरता हूं।’

हज़रत मुआविया बिन कुर्रा रहमतुल्लाहि अलैहि कहते हैं कि हज़रत अबुद्दर्दा रज़ियल्लाहु अन्हु एक बार बीमार हो गए तो उनके पास उनके साथी आए और उन्होंने कहा, ऐ अबुदर्दा ! आपको क्या शिकायत है?

उन्होंने कहा कि मुझे अपने गुनाहों से शिकायत है? उन्होंने पूछा, आप क्या चाहते हैं? उन्होंने फ़रमाया, मैं जन्नत चाहता हूं।

उन्होंने कहा, क्या हम आपके लिए किसी डाक्टर को बुला न लाएं?

उन्होंने फ़रमाया, डाक्टर ने ही तो मुझे (बीमार करके बिस्तर पर लिटाया है, (यानी अल्लाह ने ।)

हजरत अब्दुर्रहमान बिन गनम रहमतुल्लाहि अलैहि कहते हैं, शामदेश में प्लेग की महामारी फैली, तो हज़रत अम्र बिन आस रज़ियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया, यह प्लेग तो अज़ाब है, इसलिए तुम लोग इससे भाग कर घाटियों में चले जाओ। यह बात जब हज़रत शुरहबील बिन हसना रज़ियल्लाहु अन्हु को पहुंची तो उन्हें गुस्सा आ गया और फ़रमाया, हज़रत अम्र बिन आस ग़लत कहते हैं।

मैं तो शुरू जमाने में मुसलमान होकर हुज़ूर सल्लल्लाह अलैहि व सल्लम की सोहबत आख्तियार कर चुका था और उन दिनों हज़रत अम्र बिन आस रजियल्लाहु अन्हु तो अपने घरवालों के ऊंट से ज्यादा गुमराह थे (यानी वह काफ़िर थे) यह प्लेग तो तुम्हारे नबी की दुआ है।

क्योंकि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दुआ मांगी है कि ऐ अल्लाह ! मेरी उम्मत को नेजों के जरिए भी अपने रास्ते की शहादत नसीब फ़रमा और प्लेग के जरिए भी और यह तुम्हारे रब की रहमत है कि प्लेग से जो मरेगा, वह अल्लाह के यहां शहीद जाना जाएगा और तुमसे पहले जो नेक लोग थे, यह उनकी वफ़ात का जरिया है।

यह बात हज़रत मुआज बिन जबल रज़ियल्लाहु अन्हु को पहुंची तो उन्होंने फ़रमाया, ऐ अल्लाह ! इस प्लेग की बीमारी में से मुआज की औलाद को बड़ा हिस्सा नसीब फ़रमा ।

चुनांचे इनकी दो बेटियां इसी बीमारी में इंतिक़ाल कर गईं और इनके बेटे हज़रत अब्दुर्रहमान को भी प्लेग हो गया तो हज़रत अब्दुर्रहमान रजियल्लाहु अन्हु ने कहा, यह सच्ची बात आपके रब की ओर से बतलाई गई है। इसलिए आप शक करने वालों में से हरगिज़ न बनें। तो हज़रत मुआज़ रजियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया, तुम मुझे इनशाअल्लाह सब्र करने वालों में से पाओगे।

और हज़रत मुआज रजियल्लाहु अन्हु को हथेली की पीठ पर प्लेग का दाना निकल आया तो फ़रमाने लगे, यह दाना मुझे लाल ऊंटों से ज़्यादा पसन्द है। उन्होंने देखा कि उनके पास बैठा हुआ एक आदमी रो रहा है, फ़रमाया, तुम क्यों रो रहे हो ?

उस आदमी ने कहा, मैं इस इल्म की वजह से रो रहा हूं जो मैं आपसे हासिल किया करता था। फ़रमाया, मत रो, क्योंकि हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ऐसे इलाक़े में रहते थे, जहां कोई आलिम नहीं था, तो अल्लाह ने उन्हें इल्म अता फ़रमाया, इसलिए जब मैं मर जाऊं तो इन चार आदमियों से इल्म हसिल करना, यानी हजरत अब्दुल्लाह बिन मसऊद हज़रत अब्दुल्लाह बिन सलाम, हजरत सलमान और हज़रत अबुद्दर्दा रज़ियल्लाहु अन्हुम ।

अबू नऐम की रिवायत में यह है कि हज़रत मुआज, हज़रत अबू उबैदा, हज़रत शुरहबील बिन हसना और हज़रत अबू मालिक अशअरी रज़ियल्लाहु अन्हुम एक ही दिन प्लेग की बीमारी के शिकार हुए, तो हज़रत मुआज रजियल्लाहु अन्हु ने कहा, यह प्लेग तुम्हारे रब की तरफ़ से रहमत है कि इस पर शहादत का दर्जा मिलता है और तुम्हारे नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की दुआ है और तुमसे पहले के नेक बन्दों की रूह क़ब्ज़ करने का ज़रिया है। ऐ अल्लाह ! आले मुआज को इस रहमत में से बड़ा हिस्सा अता फ़रमा ।

अभी शाम नहीं हुई थी कि उनके बेटे हज़रत अब्दुर्रहमान को प्लेग हो गया। यह उनके सबसे पहले बेटे थे और उसी के नाम से इनका उपनाम अबू अब्दुर्रहमान था और हज़रत मुआज रजियल्लाहु अन्हु को उससे मुहब्बत सबसे ज़्यादा थी।

हज़रत मुआज़ मस्जिद में आए तो देखा कि उनका बेटा अब्दुर्रहमान बहुत बेचैन है, तो उन्होंने कहा, ऐ अब्दुर्रहमान ! तुम कैसे हो ?

अब्दुर्रहमान ने जवाब में कहा, यह सच्ची बात आपके रब की ओर से है। आप शक करने वालों में से हरगिज़ न हों।

हज़रत मुआज रजियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया, और इनशाअल्लाह, तुम मुझे सब्र करने वालों में से पाओगे। आखिर उसी रात अब्दुर्रहमान का इंतिक़ाल हो गया और अगले दिन उनको हज़रत मुआज रज़ियल्लाहो अन्हो ने दफ़न किया। फिर हज़रत मुआज रज़ियल्लाहो अन्हो को भी प्लेग की बीमारी हो गई और नज़ा की । ऐसी सख़्त हालत उनको हुई कि किसी को न हुई होगी। जब भी मौत की सख्ती में इनको कमी महसूस होती तो आंख खोलकर कहते, ऐ मेरे रब ! तू मेरा जितना गला घोंटना चाहता है, घोंट ले, तेरी इज़्ज़त की क़सम ! तू जानता है कि मेरा दिल तुझसे बहुत मुहब्बत करता है।’

हज़रत शहर बिन ख़ौशब रहमतुल्लाहि अलैहि अपनी क़ौम के एक आदमी हज़रत राबा से रिवायत करते हैं कि जब प्लेग की महामारी फैलने लगी, तो हज़रत उबैदा रज़ियल्लाहु अन्हु लोगों में बयान करने खड़े हुए और फ़रमाया, ऐ लोगो । यह बीमारी तो तुम्हारे रब की रहमत है और तुम्हारे नबी की दुआ है और तुमसे पहले के नेक बन्दों की मौत का ज़रिया थी और अबू उबैदा अल्लाह से दरख्वास्त करता है कि अल्लाह अबू उबैदा को इस बीमारी में से उसका हिस्सा अता फरमाए। चुनांचे उन्हें भी प्लेग की बीमारी हुई जिसमें उनका इंतिक़ाल हो गया ।

फिर उनके बाद हज़रत मुआज बिन जबल रज़ियल्लाहु अन्हु लोगों के अमीर बने, तो उन्होंने भी खड़े होकर बयान किया और फ़रमाया, ऐ लोगो ! यह बीमारी तुम्हारे रब की रहमत है और तुम्हारे नबी की दुआ है । और तुमसे पहले के नेक बन्दों की मौत का ज़रिया थी। मुआज़ अल्लाह से दरख्वास्त करता है कि वह मुआज की औलाद को इस बीमारी में से उनका हिस्सा अता फ़रमाए। चुनांचे उनके बेटे अब्दुर्रहमान को प्लेग की बीमारी हुई और उसमें उनका इंतिक़ाल हो गया।

फिर हज़रत मुआज रजि० ने खड़े होकर अपने लिए बीमार होने की दुआ मांगी तो उनकी हथेली में प्लेग का दाना निकल आया। मैंने देखा ; कि हज़रत मुआज रजि० उसे देख रहे थे और अपनी हथेली को पलट कर फ़मरा रहे थे। (ऐ हथेली! मुझे यह बिल्कुल पसन्द नहीं है कि तुझमें जो यह प्लेग की बीमारी है, उसके बदले मुझे दुनिया की कोई चीज़ मिल जाए।

जब हज़रत मुआज रजि० का इंतिक़ाल हो गया तो हज़रत अम्र बिन आस रज़ियल्लाहु अन्हु को लोगों का अमीर बनाया गया, तो उन्होंने खड़े होकर बयान किया और फ़रमाया, ऐ लोगो ! यह बीमारी जब किसी को होती है तो आग की तरह भडकती है, इसलिए तुम लोग पहाड़ों में जाकर इससे अपनी जान बचाओ ।

इस पर हज़रत वासिला हुज़ली रज़ियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया, आप ग़लत कह रहे हो, अल्लाह की क़सम, मैं इस वक़्त हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सोहबत में रहा हूं, जिस वक़्त आप मेरे इस गधे से ज़्यादा गुमराह थे यानी काफ़िर थे ।

हज़रत अम्र रज़ियल्लाहो अन्हो ने फ़रमाया, आप जो कह रहे हैं, मैं इसका जवाब तो नहीं दूंगा, लेकिन अल्लाह की क़सम ! अब हम लोग यहां नहीं रहेंगे। चुनांचे हज़रत अम्म्र बिन आस रजियल्लाहु अन्हु वहां से चले गए और लोग भी चले गए और इधर-उधर बिखर गए और अल्लाह ने प्लेग की बीमारी इनसे दूर फ़रमा दी।

जब हज़रत उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु को हज़रत अम्र बिन आस की इस राय की खबर मिली तो अल्लाह की क़सम ! उन्होंने उसे नापसंद न फ़रमाया ।’

हज़रत अबू क़िलाबा रहमतुल्लाहि अलैहि कहते हैं कि शामदेश में प्लेग की बीमारी फैली तो हज़रत अम्र बिन आस रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा, यह नापाक बीमारी फैल चुकी है, इसलिए तुम यहां से चले जाओ और घाटियों में इधर-उधर बिखर जाओ।

हज़रत मुआज़ रज़ियल्लाहु अन्हु को जब उनकी इस बात का पता चला तो उन्होंने उनकी इस बात की तस्दीक़ न फ़रमाई, बल्कि फ़रमाया, नहीं, यह प्लेग तो शहादत का दर्ज़ा दिलाता है और इसकी वजह से अल्लाह की रहमत उतरती है और यह तुम्हारे नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की दुआ है, ऐ अल्लाह ! मुआज रजियल्लाहु अन्हु को और उसके घरवालों को अपनी इस रहमत में से हिस्सा अता फ़रमा ।

हज़रत अबू क़िलाबा रहमतुल्लाहि ताअला अलैहि कहते हैं, यह तो मैं समझ गया कि प्लेग से शहादत का दर्ज़ा मिलता है और रहमत उतरती है, लेकिन इस बात का मतलब न समझ सका कि प्लेग तुम्हारे नबी की दुआ है, यहां तक कि किसी ने मुझे बताया कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम एक रात नमाज़ पढ़ रहे थे, फिर आपने यह दुआ तीन बार मांगी, ऐ अल्लाह ! फिर या तो बुखार हो या प्लेग हो।

सुबह को हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के घरवालों में से किसी ने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से कहा, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! आज रात मैंने आपको एक खास दुआ मांगते हुए सुना है। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, अच्छा तुमने वह दुआ सुन ली ? उसने कहा, जी हां।

हजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, मैंने अपने रब से यह दुआ की कि मेरी उम्मत भुखमरी से हलाक न हो। अल्लाह ने यह दुआ कुबूल फ़रमा ली और मैंने यह दुआ मांगी कि उन पर ऐसा दुश्मन मुसल्लत न हो जो उनको जड़ से उखाड़ दे और बिल्कुल खत्म कर दे और यह भी दुआ की कि उनका आपस में इख्तिलाफ़ न हो कि इनके अलग-अलग गिरोह बनें और इनमें आपस में लड़ाई हो, लेकिन यह आखिरी दुआ कुबूल न हुई और इसका मुझे इंकार हो गया। इस पर मैंने तीन बार अर्ज़ किया कि फिर मेरी उम्मत को बुखार हो या प्लेग।’

हज़रत उर्व बिन जुबैर रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि अमवास (शामदेश की एक जगह का नाम है) के प्लेग से हज़रत अबू उबैदा बिन जर्राह रज़ियल्लाहु अन्हु और इनके घरवाले बचे हुए थे, तो उन्होंने यह दुआ मांगी, ऐ अल्लाह ! अबू उबैदा के घरवालों को (इस बीमारी में से) हिस्सा नसीब फ़रमा ।

चुनांचे हज़रत अबू उबैदा की छोटी उंगली में प्लेग की फुंसी निकल आई तो वह उसे देखने लगे। किसी ने कहा कि यह तो (छोटी सी है) कुछ भी नहीं है, तो फ़रमाया, मुझे अल्लाह की जातं से उम्मीद है कि वह उस फुंसी में बरकत नसीब फ़रमाएंगे और जब अल्लाह थोड़ी चीज़ में बरकत डालते हैं तो वह ज़्यादा हो जाती है।

हज़रत हारिस बिन उमैरा हारिसी रहमतुल्लाहि अलैहि कहते हैं कि हज़रत अबू उबैदा बिन जर्राह रज़ियल्लाहु अन्हु को प्लेग की बीमारी हुई तो हज़रत मुआज बिन जबल रज़ियल्लाहु अन्हु ने हज़रत हारिस को हाल पूछने के लिए हज़रत अबू उबैदा की खिदमत में भेजा। हज़रत अबू उबैदा ने हज़रत हारिस को प्लेग की फुंसी दिखाई जो उनकी हथेली में निकली हुई थी ।

हज़रत हारिस ने जब यह फुंसी देखी, तो वह डर गए, क्योंकि उन्हें यह फुंसी बड़ी मालूम हुई, इस पर अबू उबैदा रज़ियल्लाहो अन्हो ने अल्लाह की क़सम खाकर कहा कि मुझे यह बिल्कुल पसन्द नहीं कि इस फुंसी की जगह लाल ऊंट मिल जाएं।

अल्लाह रबबुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को रसूल-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे जिन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।

इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें। ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।

खुदा हाफिज…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Support Our Work

Choose your app or scan the QR code below

GPay Pay with GPay PhonePe Pay with PhonePe Paytm Pay with Paytm
Donate QR