बीमार और मुसाफ़िर की नमाज़ का बयान।Bimar aur Musafir ki Namaz ka bayan.
बीमार की नमाज़ का बयान: अगर बीमारी के सबब खड़े होकर नमाज़ नहीं पढ़ सकता कि मर्ज़ बढ़ जाएगा या देर में अच्छा होगा या …
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बीमार की नमाज़ का बयान: अगर बीमारी के सबब खड़े होकर नमाज़ नहीं पढ़ सकता कि मर्ज़ बढ़ जाएगा या देर में अच्छा होगा या …
बिला उज़्रे शरई नमाज़ क़ज़ा करना सख़्त गुनाह है जल्द से जल्द अदा करना और तौबह करना फ़र्ज़ है। मकरूह वक़्त के अलावा किसी वक़्त …
जिमाअ यानी हमबिस्तरी से फारिग होकर मर्दो औरत दोनों अलग-अलग हो जाऐं, फिर किसी साफ कपड़े से दोनों अपने-अपने मकामे मख़्सूस को साफ कर लें। …
जिमाअ यानी हमबिस्तरी की ख़्वाहिश एक फितरी यानी कुदरती जज़्बा है जो हर ज़ीरूह में खिलकतन पाया जाता है। इसे बताने की ज़रूरत नहीं होती। …
बगैर दावत किसी के घर जाना आजकल आमतौर पर देखा जा रहा है बल्कि रिवाज सा बन गया है कि लोग शादी ब्याह या वलीमे …
एक सहाबिया रज़ियल्लाहु अन्हा का अजीब वाकिआ लिखा है कि उनकी शादी हुई। अल्लाह तआला ने उनको हुस्न व जमाल भी अजीब दिया था और …
हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा फ़रमाते हैं कि एक बार नुबूवत से पहले कुरैश बड़े अकाल के शिकार हो गए, यहां तक कि उन्हें पुरानी …
माहे रमजानुल मुबारक में हम रोज़ा रखते हैं, नवाफिल पढ़ते हैं, तरावीह का एहतेमाम करते हैं, कुरआन मुकद्दस की तिलावत करते हैं, गरीबों की मदद …
हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहो तआला अन्हो से रिवायत है कि नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कसम है उस जात की जिसके कब्ज़-ए-कुदरत में …
एक हिन्दू घराने के इस्लाम लाने का एक अजीब वाकिआ है। एक जवान का ताल्लुक हिन्दू घराने से था। उसे कैंसर का मर्ज़ हो गया …