Support Our Work

Choose your app or scan the QR code below

GPay Pay with GPay PhonePe Pay with PhonePe Paytm Pay with Paytm
Donate QR
15/10/2025
image 10

सीरत-ए-नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम एक नज़र में | Seerat-e-Nabi ﷺ ek Najar me.

Share now
Seerat-e-Nabi ﷺ ek Najar me.
Seerat-e-Nabi ﷺ ek Najar me.

आंहज़रत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से मुताल्लिक मालूमात :-

सवालः – आंहज़रत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की पैदाइश किस माह की किस तारीख, किस दिन और किस घर में हुई?

जवाब : – आंहज़रत सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम 12 रबीउल अव्वल बरोज़ दोशंबा (पीर के दिन) दारे इब्ने यूसुफ़ में पैदा हुए और यह घर दारे इब्ने सूसुफ़ के नाम से मशहूर था। (अलकामिल फित्तारीख, इब्ने कसीर, भाग-1, पेज 458)

सवाल : – आंहज़रत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के वालिद, वालिदा, दादा-दादी और नाना-नानी के नाम क्या-क्या थे?

जवाब : – आपके वालिद का नाम अब्दुल्लाह और वालिदा का नाम आमिना, दादा का नाम अब्दुल मुत्तलिब, दादी का नाम फ़ातिमा बिन्ते अम्र बिन आइज़ और आपके नाना का नाम वहब और नानी का नाम बर्रह बिन्ते अब्दुल उज़्ज़ा था।
(असह्‌हुस्सियर, पेज 3 व 5, अलबिदाय वन्निहाय)

सवाल : – आंहज़रत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की कितनी फूफियां थीं और नाम क्या-क्या थे?

जवाब :- छः फूफियां थीं जिन के नाम ये थे
(1) सफिय्या,
(2) उम्मे हकीमुलबैज़ा,
(3) आतिका,
(4) उमैमा,
(5) अरवा,
(6) बर्रह , और उनमें से सिर्फ़ सफिय्या मुसलमान हुईं। (औजजुस्सियर लिखैरिल बशर पेज 6) (असह्हुस्सियर, पेज 5)

सवाल :- आंहज़रत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की मुबारक ज़बान से सबसे पहले कौन-सा कलाम निकला ?

जवाब :- आंहज़रत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की मुबारक ज़बान से सबसे पहले निकलने वाला कलाम यह है , अल्लाहु अक्बरू कबीरंव् वल्हम्दु लिल्लाहि कसीरंव् व सुब्हानल्लाहि बुक्रतंव-व असीला (नशरूत्तीब, पेज 23)

सवाल :- उहुद की लड़ाई में जब आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के मुबारक दांत शहीद हो गए थे, उनसे जो खून निकला था वह कहां गया था?

जवाब : – आंहज़रत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के मुबारक दांत से जो खून निकला था वह हज़रत मालिक इब्ने सनान ने पी लिया था, हज़रत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि जो ऐसे शख़्स को देखना चाहे कि जिसके खून में मेरा खून मिल गया हो वह मालिक बिन सनान को देख ले। (उसुदुलगाबा फी मारिफ़प्तिस्सहाबा, भाग-4, पंज 281)

सवाल। :- वे कौन-से अम्बिया हैं जिनके दो नाम रखे गए ?

जवाब :- हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम और हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के सिवा किसी नबी के दो नाम’ नहीं रखे गए। (अल-इतकान, भाग-2, पेज 349)

सवाल :- आंहज़रत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम किस सवारी पर सवार होकर मेराज में तशरीफ़ ले गए थे उसका रंग कैसा था? कद कितना था ?

जवाब :- आंहज़रत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम सफ़ेद रंग के बुराक़ पर सवार होकर मेराज में गए जो गधे से ज़रा ऊँचा और खच्चर से ज़रा नीचा था। (मुस्लिम शरीफ, भाग-1, पेज 91)

सवाल :- आंहज़रत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम जब बुराक़ पर सवार होने लगे तो रकाब व लगाम किसने थामी थी?

कुछ और मालुममात:-हश्र के मैदान का पहला लिबास|

जवाब : – हज़रत जिबरील अलैहिस्सलाम ने रकाब और मीकाईल अलैहिस्सलाम ने लगाम थामी थी।(नशरूत्तीब, पेज 37)

सवाल :- मेराज की रात में आंहज़रत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने नबियों की इमामत किस जगह कराई और कितनी रक्अतें पढ़ाई ?

जवाब :- आंहज़रत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने बैतुल मुकद्दस में तमाम नबियों को दो रक्अत नमाज़ पढ़ाई ।(मुस्लिम,. भाग-1 )

सवाल :- आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को इमामत के लिए किसने बढ़ाया और मुक्तदी किस तर्तीब पर खड़े थे ?

जवाब :- अम्बिया अलैहिमुस्सलाम जब सफें दुरूस्त कर चुके तो खड़े हुए यह इन्तिज़ार कर रहे थे कि देखो कौन इमामत के लिए आगे बढ़ता है। हज़रत जिबरील अलैहिस्सलाम ने आंहज़रत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का हाथ पकड़ कर इमामत के लिए आगे बढ़ा दिया (नशरूत्तीब पेज 44) और इस नमाज़ में आंहज़रत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की पुश्त के करीब हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम खड़े थे, दायीं तरफ हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम खड़े थे; बायीं तरफ हज़रत इस्हाक अलैहिस्सलाम फिर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम फिर तमाम नबी व रसूल अलैहिमुस्सलाम खड़े थे।(हाशिया जलालैन, पेज 408)

सवाल : – इस नमाज़ में रसूलों और नबियों की कितनी सफें थीं?

जवाब :- कुल सात सफें थीं, जिनमें से तीन में रुसूले उज़्ज़ाम (बड़े मर्तबे वाले रसूल) थे और चार सफों में अम्बिया-ए-किराम अलैहिमुस्सलाम थे ।(हाशिया जलालैन, पेज 408)

सवाल :- हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम से हज़रत मुहम्मद अरबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम तक कितना ज़माना गुज़रा ?

जवाबः :- गुज़रे ज़माने के मुताल्लिक अलग-अलग बातें कही गई हैं:
(1)पांच सौ उन्हत्तर (569) साल का ज़माना हुआ
(2) हज़रत अबू उस्मान हिन्दी कहते हैं गुज़रा ज़माना छः सौ साल (600) का हुआ
(3) क़तादा ने कहा है कि पांच सौ साठ (560) साल का हुआ। (हाशिया जलालैन, पेज 97)

सवाल :- गारे हिरा की लम्बाई-चौड़ाई कितनी थी ?

जवाब :- लम्बाई चार गज़ और चौड़ाई दो गज़ थी।

सवाल :- आंहज़रत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को ज़हर किस ने कब और किस खाने में मिला कर दिया था और उसके कितने साल बाद आपकी वफ़ात हुई?

जवाब :- सलाम बिन मुश्कम की औरत जैनब बिन्ते हारिस ने एक बकरी के गोश्त में ज़हर मिला कर खैबर की लड़ाई के मौके पर आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के सामने पेश किया। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने उसमें से गोश्त मुंह में लिया मगर मालूम हो गया। कुछ रिवायात में है कि गोश्त ने कह दिया कि ज़हर मिला हुआ है, आपने उसको थूक दिया इस वाकिए के तीन साल बाद आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का इन्तिकाल हो गया।(असह्स्तुस्सियर, पेज 202)

अल्लाह से एक दिली दुआ…

ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।

प्यारे भाइयों और बहनों :-

अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।

क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Support Our Work

Choose your app or scan the QR code below

GPay Pay with GPay PhonePe Pay with PhonePe Paytm Pay with Paytm
Donate QR