01/06/2025
सात आमाल का सवाब। 20250511 230959 0000

सात आमाल का सवाब। Saat Aamal ka sawab.

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Saat Aamal ka sawab.
Saat Aamal ka sawab.

एक हदीस के मुताबिक़ मुसलमान की मौत के बाद जिन चीज़ों का सवाब उसे मिलता है वह यह हैं। दीन का इल्म जो उसने किसी को सिखाया हो या अशाअत करके फैलाया हो या नहर जारी हो, अल्लाह के लिये कोई कुआँ खुदवाया हो।

या लोगों के फायदे के लिये दरख़्त लगाया हो, या मस्जिद बनवाई हो, या वह कुरआन पाक जो तिलावत के लिये उसने छोड़ा हो। या सालेह और नेक आलाद छोड़ी जो उसके निये दुआ करती हो। ये नेक आमाल ऐसे हैं कि मौत के बाद इनका सवाब इंसान को मिलता रहता है। इन तमाम आमाल में रज़ाये इलाही का मुक़द्दम होना ज़रूरी है।

हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि सात आमाले सालिह ऐसे हैं जिनका सवाब आमिल को उसकी मौत के बाद क़ब्र में मिलता रहता है।

जिसने किसी को इल्मे दीन सिखाया, या नहर जारी की, या कुआँ खुदवाया या कोई दरख़्त लगाया या मस्जिद तामीर की या कुरआन करीम तिलावत के लिये दिया या अपने बाद ऐसा लड़का छोड़ा जो उसके लिये दुआ करता रहे। (कन्जुल्अमाल – जि. 15 सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम 954)

इसके अलावा चन्द नेक आमाल और भी हैं जिनका सवाब मरने वाले को पहुंचता है जिनका ज़िक्र आने वाले अहादीस में है।

सदका जारिया :-

सदक़ा ज़ारिया वह होता है जिसका नफा बाक़ी रहने वाला हो। मसलन कोई मस्जिद बनवाया गया जिसमें लोग नमाज़ पढ़ते रहे तो जब तक इसमें नमाज़ होती रहेगी उसको सवाब खुद बखुद मिलता रहेगा। इसी तरह से कोई मकान किसी दीनी काम के लिये बनवाकर वक्फ कर गया कोई मुसाफिरखाना जिससे मुसलमानों को नफा पहुंचता रहा तो इस नफा का सवाब उसको मिलता रहेगा।

कोई कुआँ रफाहे आम के लिये बनवा गया तो जब तक लोग उससे पानी पीते रहेंगे वजु वगैरह करते रहेंगे उसको मरने के बाद भी इसका सवाब पहुंचता रहेगा। इसके बारे में हुजूर सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम का फरमान यह है।

हज़रत अबू उमामा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि चार आमाल ऐसे हैं कि उनका अज्र मौत के बाद भी जारी रहता है।

(1) जो शख़्स अल्लाह की राह में जेहाद करता हुआ शहीद हो गया।
(2) और जिसने किसी को इल्मदीन पढ़ाया फिर उस पर अमल किया गया।
(3) और जिसने इस क़िस्म का सदका किया वह उसकी मौत के बाद भी जारी है। (मसलन मस्जिद शफाखाना या दीनी मदरसा तामीर किया।
(4) और जिस शख्स ने अपने पीछे ऐसा लड़का छोड़ा कि वह सालिह है अपने वालि के लिये उसकी मौत के बाद हमेशा दुआ करता रहता है।(कन्जुल-आमाल-जि.15 सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम 952)

अपने किसी अज़ीज़ की तरफ से जो फौत हो गया हो सदक़ा जारिया का काम कर सकते हैं यानी कोई नेक अमल इस नियत से करें कि इसका सवाब मरहूम को मिले तो इसका सवाब उसे मिलता रहेगा। जैसा कि हदीस पाक में है।

हज़रत आईशा रजिअल्लाहु अन्हा रिवायत करती है कि एक शख़्स ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम से अर्ज़ किया कि मेरी वालिदा का नागिहानी तौर पर इन्तक़ाल हुआ और मेरा ख्याल यह है कि अगर वह बात करतीं तो सदक़ा की बाबत कहतीं अगर मैं उनकी तरफ से सदक़ा करूं तो क्या उनको अज्र मिलेगा। रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया हाँ।(मुस्लिम)

हज़रत उक़बा बिन आमिर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह मल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि बेशक सदक़ा अपने अहल से हरते क़ब्र को बुझाता है।(तिबरानी)

हज़रत सआद बिन अबादा रज़ियल्लाहु अन्हु रिवायत करते हैं कि मैंने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम से अर्ज़ किया कि उम्मे सआद का इन्तक़ाल हो गया उनके लिये कौन सा सदक़ा अफज़ल है। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया पानी का लिहाज़ा मैंने एक कुआँ खुदवाया और उसको उम्मे सआद के नाम से मौसूम किया।(अबूदाऊद, निंसाई)क़ब्र में नेक लोगों के मुक़ामात। Kabr mein Nek logon ke mokamaat.

साहिबे “गदह” बयान करते हैं कि अगर कोई चशमा निकाले, कुआँ खोदे या दरख़्त लगाये या कुरआन को अपनी ज़िन्दगी में वक़्फ़ कर दे या इन कामों को दूसरे के मरने के बाद करे तो उसका सवाब मैय्यत को पहुंचता है। जैसा कि हदीस में वारिद हुआ है और वक़्फ़ करना मसहफ और कुरआन के साथ मख़्सूस नहीं है बल्कि हर वक़्फ़ उसके साथ शामिल है।

हिकायत :-

हज़रत सालेह मरी रहमतुल्लाहि अलैहि फरमाते हैं कि मैं एक मर्तबा जुमा की शब में आखिर रात में जामा मस्जिद जा रहा था ताकि सुबह की नमाज़ वहाँ पढूं सुबह में देर थी रास्ते में एक क़ब्रिस्तान था वहाँ एक क़ब्र के क़रीब बैठ गया। बैठते ही मेरी आँख लग गई मैंने ख़्वाब में देखा कि सब क़ब्रें शक़ हो गई और उनमें से मुर्दे निकलकर आपस में हंसी खुशी बातें कर रहे हैं।तिलावते कुरआन के दलाईल। Tilavte Quraan ke dalail.

उनमें एक नौजवान भी क़ब्र से निकला जिसके कपड़े मैले और वह मग़मूम सा एक तरफ बैठ गया। थोड़ी देर में आसमान से बहुत से फरिश्ते उतरे जिनके हाथों मे ख़्वान थे जिन पर नूर के रूमाल ढके हुए थे वह हर शख़्स को एक ख़्वान देते थे और जो ख़्वान ले लेता था वह अपनी क़ब्र में चला जाता था। जब सब ले चुके तो यह जवान भी ख़ाली हाथ अपनी क़ब्र में जाने लगा मैंन उससे पूछा कि क्या बात है

तुम इस क़द्र गमगीन क्यों हो और यह ख़्वान कैसे थे? उसने कहा यह ख़्वान उन हदाया के थे जो ज़िन्दा लोग अपने अपने मुर्दों को भेजते हैं।

मेरा और तो कोई है नहीं पीछे एक वालिदा है मगर वह दुनिया में फंस रही है मुझे कभी भी याद नहीं करती मैंने उससे उसकी वालिदा का पता पूछा और सुबह को इस पते पर जाकर उसकी वालिदा को परदे के पीछे बुलाया और उससे इसके लड़के का पूछा और यह ख़्वाब उसे सुनाया।

इस औरत ने कहा बेशक वह मेरा लड़का था मेरे जिगर का टुकड़ा था मेरी गोद उसका बिस्तर था। इसके बाद उस औरत ने मुझे एक हज़ार दिरहम दिये कि मेरे लड़के और मेरी आँखों की ठंडक के लिये सदक़ा कर देना और मैं आइन्दा हमेशा उसको दुआ और सदक़ा से याद रखूंगी कभी न भूलूंगी।

हज़रत सालेह फरमाते हैं कि फिर मैंने ख़्वाब में इसी मजमआ
को उसी तरह देखा और उस नौजवान को भी बड़ी अच्छी पोशाक में बहुत खुश देखा वह मेरी तरफ को दौड़ा हुआ आया और कहने लगा कि सालेह हक़ तआला शन्हू तुम्हें जज़ाये खैर अता फरमाये तुम्हारा हदिया मेरे पास पहुंच गया
(रौजुररियाहीन)

अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक़ आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे ज़िन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।

इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें। ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।

खुदा हाफिज…

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