उम्मुल मोमेनीन हज़रत आएशा सिद्दीका (र.अ)हज़रत अनस बिन मालिक, हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने ऊमर रजि अल्लाहो तआला अन्हुम से रिवायत है की हुज़ूरे अकदस सल्लल्लाहो तआला अलैहि व ने इरशाद फ़रमाया-अपने नुत्फे (शादी के लिए)अच्छी जगह तलाश करो, अपनी बिरादरी में ब्याह हो, और बिरादरी में ब्याह कर लाओ कि औरते अपने ही कुन्बे (बिरादरी) के मुशाबा (मिलते हुऐ बच्चे) जन्ती हैं ।( इब्ने माजा, जिल्द. 7. हदीस नं. 2038.)
इस हदीसे पाक से पता चलता है के अपनी ही बिरादरी से निकाह करना बेहतर है । अपनी बिरादरी में ही निकाह करने के बहुत से फायदे है जैसे औलाद अपनी बिरादरी के लोगों के चेहरे से मिलती जुलती पैदा होंगी जिस की वजह से दूसरे लोग देखते ही पहचान लेंगे के येह सैय्यद है,Nikah kahan aur kaise kare.
यह पठान है, वगैरा वगैरा । दूसरा येह फायदा है के बिरादरी की ग़रीब लड़कियों की जल्द से जल्द शादी हो जाएगी तीसरा फायदा येह हैं के अपनी ही बिरादरी की लड़की हो तो वोह क्योंकि बिरादरी के तौर तरीके,घर के रहेन सहेन के बारे में पहले से ही जानती है लिहाजा घर में झगड़े और न इत्तेफाकीयाँ नहीं होंगी, चौथा फायदा यह है के बिरादरी की ऐसी लड़कियाँ जो देखने दिखाने में ज्यादा खूबसूरत नहीं होती उनकी भी शादी हो जाऐगी । निकाह और मेहर की अहमियत।
अक्सर देखा गया है के लोग दूसरों की बिरादरी की खूबसूरत लड़कियों को ब्याह कर लाते हैं जब के उन की बिरादरी की कुछ लड़कीयाँ कुँवारी ही रह जाती हैं और बहुत सी लड़कियों की जब बहुत दिनों तक शादी नहीं हो पाती हैं तो वोह किसी बदमाश, आवारा, मर्द के साथ भाग जाती हैं।
या फिर तरह तरह की बुराईयों में फँस जाती है। यही वजह है के बिरादरी में ही शादी करना बेहतर बताया गया है ।
हज़रत इमाम बुखारी रजिअल्लाहो तआला अन्हु रिवायत करते है कि- और मुस्तहब (अच्छा, बेहतर ) है के अपनी नस्ल के लिए बेहतर औरत चुने लेकिन येह वाजिब नहीं” (सिर्फ मुस्तहब है) । (बुखारी शरीफ, जिल्द 3 बाब नं. 41. सफा नं. 56)Nikah kahan aur kaise kare.
हदीस :- हज़रत अनस रजि अल्लाहो तआला अन्हो से रिवायत है की नबी-ए-करीम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया : अच्छी नस्ल में शादी करो (रगे खुफया अपना काम करती है)
हदीस :- और फ़रमाते है आका सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम “घोड़े की हरयाली से बचो,बुरी नस्ल में खूबसूरत औरत से” लड़की का खूबसूरत होना ही काफी नहीं बल्कि खूबी तो येह है के लड़की पर्दादार नमाज रोज़े की पाबन्द हो, उस का ख़ानदान रहेन सहेन, तहज़ीब व इख़्लाक़ में और ख़ास तौर पर मज़हबी अकाएद में बेहतर हो।Nikah kahan aur kaise kare.
अगर आप ने येह सब चीज़ों को देख कर निकाह किया तो आप की दुनिया व आख़िरत कामयाब हैं और आगे ऐसी लड़की के ज़रिये, फ़रमाबरदार, मज़हबी और दुनियावी खूबियों वाली बेहतर नस्ल जन्म लेती है । चुनानचे सरकारे दो आलम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने हमें यही हुक्म दिया । औलाद होने के लिए बेहतरीन अमल।
हज़रत अबूहुरैरा व हज़रत जाबिर (र.अ)से रिवायत है के हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने इरशाद फरमाया-औरत से चार चीजों की वजह से निकाह किया जाता है, उसके माल, उसके ख़ानदान, उसके हुस्न व जमाल, और उसके दीनदार होने की वजह से । लेकिन तू दीनदार औरत को हासिल कर” लिहाज़ा इस हदीस से मअलूम हुआ के दीनदार औरत से निकाह करना सब से ज्यादा बेहतर है।
दीनदार औरत शौहर को मद्दगार होती है और थोड़ी रोजी पर कनाअत कर लेती है। उसके बरखिलाफ जीनदारी से दूर औरतें गुनाह और मुसीबत में मुबतेला कर देती हैं ।
फतावा-ए-रज़वीया”में है-“दीनदार लोगों में शादी करे कि बच्चे पर नाना मामू की आदातों व हरकतों का भी असर पड़ता है।Nikah kahan aur kaise kare.
नबी-ए-करीम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया- “औरतों से उन के हुस्न के सबब शादी न करो हो सकता है। उन का हुस्न तुम्हें तबाह कर दे, न उन से माल की वजह से शादी करो हो सकता है के उन का माल तुम्हें गुनाहों में मुबतेला कर दे, बल्कि दीन की वजह से निकाह किया करो, काली चपटी बदसूरत लौन्ड़ी अगर दीन दार हो तो बेहतर है”
इमाम गज़ाली रजि अल्लाहो तआला अन्हो इरशाद फ़रमाते हैं— “अगर कोई औरत खूबसूरत तो है मगर परहेज़गार व पारसा नहीं तो बुरी बला है–बद मिज़ाज औरत, ना शुक्रगुज़ार और ज़बान दराज़ होती है और बेजा हुकूमत करती है, ऐसी औरत के साथ जिन्दगी बे मज़ा हो जाती है और दीन में खलल पड़ता है”। निकाह का बयान।
याद रखिये अगर आप ने सिर्फ ऐसी लड़की से निकाह किया जो माल व दौलत (जहेज) खूब साथ लाई और खूबसूरत भी बहुत थी लेकिन दीनदार नहीं और न ही तहजीब व इखलाक के मामले में बेहतर, तो आप उस के साथ यकीनन एक अच्छी और खुशहाल जिन्दगी नहीं गुज़ार सकते, ऐसी लड़की की वजह से घर में हमेशा तनाव रहता है और आखिर कार माँ बाप से दूर होना पड़ जाता है।Nikah kahan aur kaise kare.
इसलिए जहाँ आप खूबसूरती, माल व दौलत को देखते है इन सब से ज्यादा जरूरी है के आप उस का इख्लाक उस का खानदान, और ख़ास तौर पर दीनदार है या नहीं यह जरूर देखे तभी आप एक कामयाब जिन्दगी के मालिक बन सकते है ।
अगर एक खूबसूरत लड़की में येह खूबियाँ नहीं और उस के उलट किसी बदसूरत लड़की में दीनदारी है तो वोह बदसूरत लड़की उस खूबसूरत लड़की से बेहतर है ।
अक्सर हमारे भाई दौलतमन्द, फैशन प्रस्त लड़की पर मरते है और दौलत को बहुत अहमियत देते है जब के दौलत से ज्यादा दीनदारी को अहमियत देनी चाहिये ।
हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने इरशाद फरमाया-“जो कोई जमाल (खूबसूरती ) या माल व दौलत की ख़ातिर किसी औरत से निकाह करेगा तो वोह दोनों से महरूम रहेगा और जब — दीन के लिए निकाह करेंगा तो दोनों मकसद पूरे होंगे”।
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया: “औरत की तलब दीन के लिए करनी चाहिये जमाल (खूबसूरती के लिए नहीं”। इस के मअनी यह हैं के सिर्फ खूबसूरती के लिए निकाह न करे । न यह के खूबसूरती ढुढे ही नहीं, अगर निकाह करने से सिर्फ औलाद हासिल करना और सुन्नत पर अमल करना ही किसी शख्स का मकसद है, खूबसूरती नहीं चाहता तो येह परहेज़गारी है ।Nikah kahan aur kaise kare.
अल्लाह रब्बुल-इज्जत इरशाद फरमाता है- अगर वोह फकीर रोब हो तो अल्लाह उन्हें गनी कर देगा।
अल्लाह रबबूल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे,हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को रसूल-ए-करीम (स.व) से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे जिन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे,आमीन। निकाह से पहले लड़की देखना।
इन हदीसों को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।
क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…