किसी लड़की या औरत को किसी गैर मर्द को उस वक्त दिखाने मैं कोई हर्ज नहीं जब वोह उस से शादी का इरादा रखता हो या उस से शादी का पैगाम भेजा हो ।
लेकिन उस मर्द के दूसरे मर्द रिश्तेदारों या दोस्त अहबाब को नहीं दिखाना चाहिए की वोह सब गैर महरम है. जिन से पर्दा करना जरूरी है लिहाजा सिर्फ लड़के या मर्द और उसके घर की औरतें ही लड़की देखे INikaah se pahle ladki Dekhna
निकाह से पहले औरत को देखना जाईज़ है लेकिन इस बात का जरूर ख्याल रखें कि लड़के को लड़की इस तरह से दिखाए के लड़की को इस बात की भनक भी न लगे के लड़का उसे देख रहा हैI महेर क्या है और कितने तरह का होता है।
यानी खुल्लम खुल्ला सामने न लाए अगर इस एहतियात से दिखाया जाएगा तो इस में कोई हर्ज नही बल्कि बेहतर है और बाद में गलत फहमी नहीं होती ।
हज़रत मुहम्मद सलामा रजि अल्लाहो तआला अन्हो कहते है कि- “मैं ने एक औरत को निकाह का पैगाम दिया। मैं उसे देखने के लिए उस के बाग में छुप कर जाया करता था यहाँ तक की मैंने उसे देख लिया किसी ने कहा- आप ऐसी हरकत क्यों करते हैं ताकि आप हज़ूर (स.व)के सहाबी है, तो मैं ने कहा- रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो ने इरशाद फ़रमाया- “जब अल्लाह तआला किसी के दिल में किसी औरत से निकाह की ख्वाहिश डाले और वोह उसे पैगाम दे तो उस की जानिब देखने में कोई हर्ज नहीं’Nikaah se pahle ladki Dekhna
हज़रत जाबिर रजि अल्लाहो तआला अन्हो से रिवायत हैं कि हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने इरशाद फरमाया-जब तुम में से कोई किसी औरत को निकाह का पैगाम दे तो अगर उस औरत को देखना मुम्किन हो तो देख ले” ।(अबू दाऊद शरीफ, बाब नं. 96 जिल्द 2 सफा 122)
हुजूर सैय्यदना इमाम बुख़ारी रजि अल्लाहो अन्हो ने अपनी मशहूर किताब “सही बुखारी” जिल्द 3 बाब किताबुन निकाह में निकाह से पहले औरत को देखने के मुत्अल्लिक एक ख़ास बाब ( Chapter) लिखा है जिस में येह साबित किया है के निकाह से पहले औरत को देखना जाइज़ है ।शादी में लड़की की रज़ामन्दी जरूरी।
चुनानचे उस बाब की एक तवील हदीस में है जिस का खुलासा यह है के-हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम की ख़िदमते अकदस में एक मरतबा एक सहाबिया औरत तशरीफ लाई और आप से शादी की दरख्वास्त की, लेकिन हुज़ूर ने अपना सरे मुबारक झुका लिया और उन्हें कुछ जवाब न दिया ।
एक सहाबी ने खड़े हो कर अर्ज किया “या रसूलल्लाह ! अगर आप को इस औरत की हाजत नहीं है तो उस का मेरे साथ निकाह कर दीजिए”।Nikaah se pahle ladki Dekhna
सरकार के उन से पूछने पर मअलूम हुआ कि उन के पास कुछ रूपया पैसा कपड़ा वगैरा नहीं है यहाँ तक के महेर के लिए एक लोहे की अंगूठी तक नहीं है लेकिन कुरआन की कुछ सूरतें याद है ।
चुनानचे सरकार ने उन के क़ुरआने करीम जानने की वजह से उस सहाबी का निकाह उस सहाबिया औरत से पढ़ा दिया ।
इसी तरह एक दूसरी हदीस में है के– -रसूले अकरम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम को ख़्वाब में हज़रत आएशा रजि अल्लाह तआला अन्हा को निकाह से पहले दिखाया गया ।कुंवारी लड़की की वफात।
इन हदीसे मुबारका से इमाम बुख़ारी ने येह साबित करने की कोशिश की है की औरत को निकाह से पहले देखना जाइज़ है ।
सैय्यदना इमाम मुहम्मद गजाली रदी अल्लाहो तआला अन्हो रिवायत करते है की -निकाह से पहले औरत को देख लेना इमाम शाफअई रजि अल्लाह तआला अन्हो के नजदीक सुन्नत है”।
यही इमाम गज़ाली आगे नक्ल फ़रमाते हैं के-औरत का जमाल व ( उस का चेहरा) मुहब्बत व उलफत का ज़रीया है–इस लिए निकाह करने से पहले लड़की को देख लेना सुन्नत है–बुज़ुर्गों का कौल हैं के औरत को बिना देखे जो निकाह होता है उस का अन्जाम परेशानी और गम है” !(कीम्या-ए-सआदत, सफा नं 2601)Nikaah se pahle ladki Dekhna
हुज़ूर सैय्यदना गौसे आज़म शेख अब्दुल कादिर जीलानी रजि अल्लहो तआला अन्हो इरशाद फरमाते है–“मुनासिब है की निकाह से पहले औरत का चेहरा और जाहिरी बदन देख ले (यानी हाथ, मुँह वगैरा को) ताकि बाद में नफरत या तलाक की नौबत न आए क्योंकि तलाक़ और नफरत अल्लाह तआला को ना पसंद है ।
(गुन्यतालेबीन, सफा 112)बड़ी बच्चियों के लिए खास हिदायात।
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क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…