19/05/2025
Muhabbat ho to aisi.

मुहब्बत हो तो ऐसी।Muhabbat ho to aisi.

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Muhabbat ho to aisi.

एक बार हज़रत इब्राहीम अलैहिरसालम अपनी बकरियों का रेवड़ चरा रहे थे। एक आदमी करीब से गुज़रा। गुज़रते हुए उसने अल्लाह तआला की शान में ये अल्फाज़ ज़रा बुलंद आवाज़ से कहे,

पाक है वह ज़मीन की बादशाही और आसमान की बादशाही वाला। पाक है वह इज्ज़त, बुजुर्गी, हैबत और कुदरत वाला और बड़ाई दबदबे वाला ।

हज़रत इब्राहीम अदिस्सलाम ने जब अपने महबूबे हकीकी की तारीफ़ इतने प्यारे अल्फाज़ से सुनी तो दिल मचल उठा। फ़रमाया कि ऐ भाई ये अल्फाज़ एक बार और कह देना। उसने कहा कि मुझे इसके बदले में क्या देंगे।Muhabbat ho to aisi

आपने फ़रमाया आधा रेवड़। उसने ये अल्फाज़ दोबारा कह दिए। आपको इतना मज़ा आया कि बेकरार होकर फ़रमाया ऐ भाई ये अल्फ़ाज़ एक बार फिर कह दीजिए। उसने कहा अब इसके बदले में मुझे क्या दोगे? फ़रमाया बाकी आधा रेवड़ । उसने ये अल्फाज़ तीसरी बार कह दिए।

आपको इतना सुरूर मिला कि एकदम कहा ऐ भाई ये अल्फाज़ एक बार और कह दीजिए। उसने कहा अब तो आपके पास देने के लिए कुछ बचा नहीं, अब आप क्या देंगे? फ़रमाया कि ऐ भाई मैं तेरी बकरियाँ चराया करूँगा, तुम एक बार मेरे महबूब की तारीफ और कर दो।

उसने कहा हज़रत इब्राहीम ख़लीलुल्लाह आपको मुबारक हो, मैं तो फरिश्ता हूँ। मुझे अल्लाह तआला ने भेजा है कि जाओ और मेरा नाम लो और देखो कि वह मेरे नाम के क्या दाम लगाता है।

हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की रूह लेने के लिए मौत के फ़रिश्ते आए। उन्होंने फरमाया : क्या आपने किसी ऐसे दोस्त को देखा जो अपने ख़लील की रूह कब्ज़ कर रहा हो ?Muhabbat ho to aisi

उन्होंने कहा अच्छा मैं अल्लाह तआला से पूछता हूँ। मौत के फ़रिश्ते ने अल्लाह तआला के हुजूर में अर्ज़ किया। अल्लाह तआला ने फरमाया कि जाओ मेरे हबीब को पैग़ाम दे दो,

क्या तुमने किसी दोस्त को देखा कि अपने दोस्त की मुलाकात से इंकार करे? जैसे ही उनको पता चला कि मौत अल्लाह तआला की मुलाकात का तरीका है, कहने लगे जल्दी कर, जल्दी रूह कब्ज़ कर, मुझे अपने मालिक से मिला दे।

यह थी तमन्ना हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की कि अब तो जल्द से जल्द अपने प्यारे अल्लाह के हुजूर में जा पहुँचें और मुलाकात हबीब से लुत्फ़अंदोज़ हों। इसीलिए हदीस पाक में फ़रमाया, हदीसे क़ुदसी है :

मुलाकात कर, कि मेरे नेक लोगों का शौक मेरी मुलाकात के लिए बढ़ गया और मैं उनकी मुलाकात के लिए उनसे भी ज़्यादा मुश्ताक हूँ। उलफत में जब मज़ा है के हों वह भी बेकरार दोनों तरफ हो आग बराबर लगी हुई

नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने देखा कि हज़रत आएशा रज़ियल्लाहु अन्हा बैठी हुई दिरहम धो रही हैं। नबी अलैहिस्सलाम हैरान हुए। फ़रमाया, हुमैरा । जवाब दिया लब्बैक या रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) । आपने फरमाया यह क्या कर रही हो? कहने लगीं ऐ अल्लाह के नबी दिरहम धो रही हूँ।Muhabbat ho to aisi

फरमाया किस लिए? ऐ अल्लाह के नबी मैंने आपकी ज़बाने मुबारक से यह बात सुनी है कि जब अल्लाह के रास्ते में ख़र्च करने वाला किसी सवाली को देता है तो वह पैसे सवाली के हाथ में पहुँचने से पहले अल्लाह तआला के हाथ में पहुँच जाते हैं। जब से मैंने यह बात सुनी,

मैं हमेशा सदका उन पैसों का देती हूँ जिनको पहले से धो लेती हूँ ताकि मेरे आका के हाथों में साफ और पाक माल पहुँच जाए। अल्लाहु अकबर! यह मुहब्बत देखिए। जिससे मुहब्बत होती है उसको फलों की टोकरी भी भेजता है तो उसको गिफ्ट पैक करके के भेजता है।

मंगनी और ईद पर अगर बिस्कुट का डिब्बा हो तो उसको भी गिफ्ट पैक करके भेजता है। अल्लाह वाले भी इसी तरह अल्लाह रब्बुलइज़्ज़त की इबादत करते हैं तो वह भी अपनी नमाज़ों को मुहब्बत की गिलाफ में पैक करके अल्लाह रब्बुलइज़्ज़त के हुज़ूर में भेज रहे होते हैं ।

एक सहाबी बकरियाँ चराते थे। जब कभी मदीना तैय्यबा वापस होते तो पूछते कि क़ुरआन पाक की कौन सी नई आयतें उतरी हैं? नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कोई ख़ास बात इर्शाद फ़रमाई ? उनको बता दिया जाता।

एक दफा वापस आकर पूछा तो उन्हें बता दिया गया कि यह आयत उतरी है जिनमें अल्लाह तआला ने कसम खाकर फ़रमाया मेरे बंदो! मैं ही तुम्हें रिज़्क देने वाला हूँ ।Muhabbat ho to aisi

जब उन्होंने यह बात सुनी तो वह नाराज़ होने लगे और कहने लगे कि वह कौन है जिसको यकीन दिलाने के लिए मेरे अल्लाह को कसम खानी पड़ी? सुबहान अल्लाह ! यह मुहब्बत की बात है।

इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

खुदा हाफिज…

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