क्या आप जानते हैं ? इस दौर में नवजवानों में जिस कदर बुराईयाँ पनप रही है उस की सब से बड़ी वजह क्या हैं ? जी हॉ फ़िल्में !
आज मुसलमानों का तकरीबन हर मकान एक सिनेमा घर बना हुआ है ! अब तो हद येह हो गई कि मुसलमान का जब एक बच्चा होश संभालता है तो वोह अपने घर में टी.वी के ज़रिए वोह सब कुछ देखता और जान लेता है जो उसे इस उमर में नही जानना चाहिये। जब होश संभालते ही वोह फ़िल्मों में एक मर्द और औरत के बीच के ख़ास तअल्लुकात को देखता है तो उसमें भी वही ख़्वाहीश (इच्छा,) पैदा होती है और फिर वोह उमर से पहले ही अपने आप को जवान समझने लगता है, सूरते इन्जाल यानी मनी का निकलते रहना।
फिर ये ही ख़्वाहीश आगे चल कर उमर के साथ साथ ज्यादा बड़ने लगती हैं और इस ख़्वाहिश को पूरा करने के लिए वोह ग़लत तरीकों का इस्तेमाल करने लगता है यहाँ तक कि जब भी वोह तन्हा (अकेला) होता है तो जिन्सी ख़्वाहिश उसे परेशान कर देती है और वोह उसे पूरा करने के लिए अपने ही हाथों अपनी कुव्वत (मनी) को निकाल कर मज़ा हासिल करता है । अक्सर लड़के स्कुलों, और कॉलेजों में बाथरूम में जा कर येह सब करते है ।Kuwat (Taqat) ki Barbadi
एक बार का येह अमल फिर हमेशा की आदत बन जाता है जिस के नतीजे में सिवाए नुकसान के कुछ नहीं मिलता । हाथों के इस नर्म व नाज़ुक हिस्से (लिंग) से हमेशा की छेड़ छाड़ उसे कमज़ोर बना देती है, वोह बारीक बारीक रगें और पुट्ठे भी इस सख्ती को बरदाश्त नहीं कर सकते चाहे कैसी ही चिकनाहट क्यों न इस्तेमाल में लाई जाए। इस से सब से पहला जो असर होता है वोह ऊज़ू-ए-तनासुल (लिंग) का जड़ से कमज़ोर और लाग़िर हो जाना है ,ज़्यादा सोहबत (हमबिस्तरी) नुक़सानदेह ।
इसके अलावा जहाँ, जहाँ रगें और पुठ्ठे ज्यादा दब जाते है वोह हिस्सा टेड़ा हो जाता हैं। इनके दबने से खून का आना कम होगा । रंगें फैल नहीं सकेगी सख्ती जाती रहेगी, जिस्म ढीला और बेहद लागिर हो जाएगा अपने हाथों के इस करतूत के सबब ऐसा शख़्स औरत के काबिल नहीं रहता ।
अगर कोई शरीफ, ईज्जत पसंद लड़की ऐसे शख़्स के निकाह में दे दी जाए तो उमर भर अपनी किस्मत को रोएगी और येह बंद नसीब उस को मुँह दीखाने के काबिल न होगा । इस लिए अव्वल तो उस से मिल ही नहीं सकता कि जब भी औरत से मिलना चाहेगा।
पहले ही सब कुछ बाहर गीरा देगा और अगर किसी तरकीब से मिल भी जाए तो मादा में औलाद पैदा करने वाले अजजा (अंश) पहले ही इस हरकत से मर चुके, इस लिए अब ऐसे शख़्स को औलाद से भी मायूस होना पड़ता है ।Kuwat (Taqat) ki Barbadi
याद रखिये येह वोह कीमती खजाना है जो खून से बना और खून भी वोह जो तमाम बदन के ग़िज़ा पहुॅचाने के बाद बचा, बस अगर इस खजाना (मनी, विर्य) को इस तेज़ी के साथ बरबाद किया गय तो दिल (Heart) कमज़ोर होगा।
दिल पर तमाम बदन की मशीन का दारोमदार है जिस्म को खून न पहुँचा यानी येह आदत इस हद को पहुँच के खून बनने भी न पाया था कि निकलने की नौबत आ गई तो जिन्दगी का काम ख़राब हुआ- एक ज़बरदस्त तजरूबेकार डॉक्टर ने अपनी तहकीक (Research) में इस तरह लिखा है कि-“एक हज़ार तपेदिक ( पुराने बुखार) व मरीज़ों को देखने के बाद यह साबित हुआ की 186 औरतों से ज़्यादा सोहबत करने की वजह से इस बीमारी में फसे है और 414 सिर्फ अपने हाथों अपनी कुव्वत के बरबाद करने की वजह से और बाकी दूसरे मरीज़ों की बीमारी की वजह दूसरी है”।हमबिस्तरी के चन्द आदाब।
और आगे लिखता है कि-हम ने 124 पागलों का मुआयना किया उन के मुआयना (निरिक्षण,) करने से मअलूम हुआ कि उन में से 24 सिर्फ अपने हाथों अपनी कुव्वत को बरबाद करने की वजह से पागल हुए है और बाकी एक सौ दूसरे हज़ारों वजूहात (कारणो ) से ।
इन्सानी दौलत का येह अनमोल खजाना अगर इन्सानी जिस्म के संदूक में चन्द दिनों तक अमानत रहे तो दोबारा खून में जज्ब हो कर ख़ून को कुव्वत देने वाला, सेहत को दुरूस्त और बदन को मज़बूत बनाने वाला होगा ।Kuwat (Taqat) ki Barbadi
रोब व हुस्न व जमाल को बढ़ाने वाला और मर्दाना कुव्वत में चार चांद लगाने वाला साबित होगा । दिमाग की तेजी तरक्की पाएगी, याददाश्त तेज़ होगी आँखों में सुरखी के डोरे, हिम्मत बुलन्द हौसला की सर बुलन्दी इस दौलत में बड़ावट की अलामत होगा ।
बाज़ हकीमों ने कहा है कि जिसे हद से ज्यादा दुबला, कमजोर, वहेशियाना शक्ल व सूरत का पाओ, जिस की आँखों में गड़े पड़ गए हो, पुतलिया फैल गई हो, शर्मीली हो, तनहाई को ज़्यादा पसंद करता हो उस के बारे में यकीन कर लो इस ने अपने हाथों अपना खून बहाया है ।
हकीमों ने लिखा है कि सौ (100) मरतबा अपनी बीवी से सोहबत करने पर जितनी कमज़ोरी आती है उतनी एक मरतबा अपने हाथों से अपनी मनी बरबाद करने में कमजोरी आती है ।
आज दुनिया से छुप कर बुराईयाँ कर रहे हो लेकिन येह तो सोचो कि वोह हाज़िर व नाज़िर ख़ुदा तो देख रहा है उस से बच कर कहाँ जाएगे ।हमल के दौरान हमबिस्तरी करना।
अल्लाह ने जिना को हराम किया उस की सजा बताई की येह सज़ा दुनिया में दी जाए तो आखिरत के अज़ाब से बच जाए लेकिन अपने हाथों इस अनमोल ख़ज़ाने को बरबाद करना ऐसा सख्त गुनाह ठहराया गया कि दुनिया की कोई सजा एैसे जुर्म के लिए काफ़ी नहीं हो सकती जहन्नम का दर्दनाक अज़ाब ही इस का भुगतान हो सकता है। एैसा ना पाक काम करने वाले की सूरत पर ख़ुदा की हज़ारों लाखों फटकारे ।Kuwat (Taqat) ki Barbadi
हदीस :- हमारे आका सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम-फरमाते है हाथ के ज़रिये अपनी कुव्वत (मनी) को निकालने वाला मलऊन है (अल्लाह की तरफ से फटकारा हुआ है ) ” । अगर ख़ुदा ना ख़ास्ता अल्लाह न चाहे कोई नसीब का दुशमन इस बुरी आदत का शिकार हो चुका है
तो उसे हमारा दर्दमन्दाना मशवरा है कि ख़ुदारा, इशतेहारी दवाओं की तरफ न जाए पहले सच्चे दिल से तौबा करे और फिर किसी अच्छे तजरूबेकार, तअलीम याफ्ता हकीम, वैध, या डॉक्टर के पास जाईये और बग़ैर शर्ममाए अपना सारा कच्चा चिटा सुनाईये और जब तक वोह बताये बकायेदा पूरे परहेज़ के साथ उसके इलाज पर अमल कीजीये उम्मीद है कि कुछ मरहम पटट्टी हो जाए ।Kuwat (Taqat) ki Barbadi
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क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…