19/05/2025
किसी को देखने और छूने का बयान। 20250428 170325 0000

किसी को देखने और छूने का बयान।Kisi ko Dekhne aur chune ka bayan.

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किसी को देखने और छूने का बयान। 20250428 170325 0000

हदीस :- हज़रत अबु सईद रज़ियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः “एक मर्द दूसरे मर्द के सतर की जगह न देखे और न औरत दूसरी औरत के सतर की जगह देखे और न मर्द दूसरे मर्द के साथ एक कपड़े में बरहना (नंगा) सोए।” (मुस्लिम शरीफ जिल्द 1, पेज 154)

हदीस :- हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः “ऐसा न हो कि एक औरत दूसरी औरत के साथ रहे, फिर अपने शौहर के सामने उसका हाल बयान करे, गोया यह उसे देख रहा है।” (अबू दाऊद पेज 292)

मसअला :- मर्द, मर्द के बदन के हर हिस्से की तरफ नज़र कर सकता है, अलावा उन आज़ा (अंगों) के जिनका छिपाना फर्ज़ है वो नाफ के नीचे से घुटने के नीचे तक है। (हिदाया जिल्द 4, पेज 443)

मसअला :- बहुत छोटे बच्चे के लिए सतरे औरत नहीं यानी उसके बदन के किसी हिस्से का छुपाना फर्ज़ नहीं। फिर जब कुछ बड़ा हो जाए तो उसके आगे पीछे का मकाम छुपाना फर्ज़ है। (बहारे शरीअत हिस्सा 16, पेज 75)

मस्अला :- औरत का औरत को देखना, इसका वही हुक्म है जो मर्द को मर्द की तरफ नज़र करने का है यानी नाफ के नीचे से घुटने तक नहीं देख सकती। बाकी आज़ा (अंगों) की तरफ नज़र कर सकती है, जबकि शहवत का अन्देशा न हो। सालिहा (नेक) औरत को चाहिए कि अपने को बदकार औरत के देखने से बचाए यानी उसके सामने दुपट्टा वगैरा न उतारे क्योंकि वह उसे देखकर मर्दों के सामने उसका हुलिय बयान करेगी।(बहारे शरीअत हिस्सा 16, पेज 72

मसअला :- औरत का अजनबी मर्द की तरफ नजर करने का वही हुक्म है जो मर्द का मर्द की तरफ नज़र करने का है और यह उस वक़्त है कि औरत को यकीन के साथ मालूम हो कि उसकी तरफ नज़र करने से शहवत पैदा न होगी वरना इसका शुबह भी हो तो हरगिज़ नज़र न करे। (हिदाया जिल्द 4, पेज 444)

मसअला :- औरत का अजनबी मर्द के जिस्म को छूना हरगिज जायज़ नहीं जबकि दोनों में से कोई भी जवान हो और उनको शहवत हो सकती हो, अगरचे इस बात का दोनों को इतमिनान हो कि शहवत पैदा न होगी। (बहारे शरीअत हिस्सा 16, पेज 76)

कुछ जवान औरतें अपने पीरों के हाथ-पाँव दबाती हैं और बअज़ पीर अपनी मुरीदा से हाथ-पाँव दबवाते हैं और उनमें अकसर दोनों या एक हदे शहवत में होता है। ऐसा करना नाजाइज़ है और दोनों गुनाहगार हैं। (बहारे शरीअत हिस्सा 16 पेज 77)

मसअला :- अजनबिया औरत की तरफ नज़र करने का हुक्म यह है कि ज़रूरतन उसके चेहरे और हथेली की तरफ नज़र करना जाइज़ है मगर छूना जाइज़ नहीं अगरचे शहवत का अन्देशा न हो। (बहारे शरीअत हिस्सा 16, पेज 78)

मसअला :- मर्द महरमा औरत के सर, सीना, पिण्डली, बाज़ू, कलाई, गर्दन, कदम की तरफ नज़र कर सकता है जबकि दोनों में से किसी को शहवत का अन्देशा न हो। महरमों के पेट, पीठ और रान की तरफ नज़र करना नाजाइज़ है। (हिदाया जिल्द 4, पेज 444)

मसअला :- जिस उज़्व (अंग) की तरफ नज़र करना नाजाइज़ है, अगर वह बदन से जुदा हो जाए तब भी उसकी तरफ नज़र करना नाजाइज़ ही रहेगा। मसलन पैरों के बाल उनको जुदा करने के बाद भी दूसरा शख्स नहीं देख सकता। औरत के सर के बाल या उसके पाँव या कलाई की हड्‌डी कि उसके मरने के बाद भी अजनबी आदमी नहीं देख सकता। औरत के पाँव के नाखुन कि उनको भी अजनबी आदमी नहीं देख सकता और हाथ के नाखुन को देख सकता है। (दुर्रे मुख्तार जिल्द 5, पेज 259) बगैर दावत किसी के घर जाना। 

अकसर देखा गया है कि गुस्लखाना या पाखाने में मूए ज़ेरे नाफ मूंड कर बअज़ लोग छोड़ देते हैं, ऐसा करना दुरूस्त नहीं बल्कि उनको ऐसी जगह डाल दें कि किसी की नज़र न पड़े या ज़मीन में दफ़्न कर दें। औरतों को भी लाज़िम है कि कंघा करने या सर धोने में जो बाल निकलें उन्हें कहीं छिपा दें कि उन पर अजनबी की नज़र न पड़े।(बहारे शरीअत हिस्सा 16, पेज 81)

अल्लाह रबबुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को रसूल-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे जिन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।

इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें। ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।

खुदा हाफिज…

2 thoughts on “किसी को देखने और छूने का बयान।Kisi ko Dekhne aur chune ka bayan.

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