05/06/2025
इमामों का बयान। 20250601 162312 0000

इमामों का बयान। Imamon ka bayan.

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Imamon ka bayan.
Imamon ka bayan.

इमाम उल अम्बिया हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया है कि नेक कामों में तुम जल्दी किया करो, इससे पहले कि फ़ितने पैदा हों। क्योंकि एक ज़माना ऐसा आयेगा कि आदमी सुबह को मुसलमान होगा और शाम को काफ़िर और शाम को मुसलमान होगा और सुबह को काफ़िर, और अपना दीन व ईमान दुनिया के लालच में बेच डालेगा और इरशाद फ़रमाया है कि मेरे बाद जो आदमी ज़िन्दा रहेगा, वह बहुत से इखतलाफ़ देखेगा।

ऐसे वक़्त में तुम को चाहिए कि मेरे और मेरे असहाब के तरीके को इस तरह पकड़ लेना कि जिस तरह किसी चीज़ को दाँतों से मज़बूत पकड़ लेते हैं और नये तरीक़ों से बचते रहना क्योंकि दीन में नयी बात निकालना बिदअत है और बिदअत ऐसी बुरी चीज़ है कि वह दीन से दूर कर देती है और दोज़ख़ में पहुँचा देती है। (बुखारी)

हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के फ़रमाने के मुवाफ़िक ऐसा ही हुआ और हो रहा है कि लोगों ने तरीक़े और फ़िरके निकाले । मुसलमान भाइयो, देखो हमारे नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने तो हमको पहले ही से बतला दिया है कि मेरी उम्मत में यानी मुसलमानों में तिहत्तर फ़िरक़े हो जायेंगे।

और एक फ़िरक़ा जन्नत में जायेगा और बाक़ी सब फ़िरके दोज़ख में जायेंगे। आपके असहाब ने अर्ज़ की या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम जन्नत में कौन-सा फ़िरक़ा जायेगा ? आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि जो फ़िरक़ा मेरे और मेरे असहाबों के तरीक़े पर होगा वह जन्नत में जायेगा (तिरमिज़ी)

अब हर फ़िरके के लोग कहते हैं कि हम ही रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के तरीके पर चलते हैं और हम ही हक़ पर हैं तो ऐसे फ़ितने के ज़माने में यह बात समझने की और ग़ौर करने की है कि जिस वक़्त रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम दुनिया में मौजूद थे, उस वक़्त आप के असहाबों को, दोस्तों को जिस मसले की ज़रूरत पड़ती थी आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से दरियाफ़्त कर लिया करते थे और जब आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की वफ़ात हो गयी और आपका ज़माना ख़त्म हो गया तो दूसरा ज़माना आपके असहाबों का आया।

उन्होंने जिस तरह आपको अमल करते देखा था उसी तरह अमल करते रहे और जब असहाबो का ज़माना खत्म होने लगा तो तीसरा ज़माना आया। उस वक़्त अल्लाह तआला ने दीन की हिफ़ाज़त के लिए इमामों को पैदा किया और उनको कुरआन व हदीस के इल्म के खजाने अता फरमाये कि लोगों को अल्लाह तआला के अहकाम बतलायें ।मुसलमान भाई चारे के हक़ एक नेक मुसलमान की पहचान।

उन्होंने कुरआन व हदीस को अच्छी तरह समझ कर और जांच कर तमाम अहकाम लिख दिये ताकि लोगों को दीन के अहकाम क़यामत तक मालूम होते रहें और उस बरकत वाले ज़माने के बड़े-बड़े बुजुर्ग आलिमों ने उनमें दीन की समझ और मज़बूती देखकर उनको पसंद किया और पेशवाई की सनद अता फरमायी कि सब लोग क़यामत तक उनके बतलाये हुए मसलों पर अमल करें।

बस जिन लोगों ने हज़रत इमाम आज़म रहमतुल्लाहि ताअला अलैहि के मसलों पर अमल किया वो हनफी कहलाये और जिन लोगों ने हज़रत इमाम शाफई के बतलाये हुए मसलों पर अमल किया वो शाफ़ेई कहलाये। इसी तरह मालिकी और हम्बली कहलाये और मशहूर हुए। इन चारों इमामों के बतलाये हुए मसलों पर अमल करना बिला शुबा कुरआन व हदीस पर अमल करना है।

इनके खिलाफ मसले और तरीक़े निकालने वाले बद-दीनी है और इन चारों इमामों के मसलों पर चलने वालों को मुक़ल्लिद और एहले सुन्नत कहते हैं। हिन्दुस्तान में बहुत ज्यादा लोग इमाम आज़म के मुक़ल्लिद है, उनको हनफ़ी कहते हैं।

अल्लाह से एक दिली दुआ…

ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।

प्यारे भाइयों और बहनों :-

अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।

क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
खुदा हाफिज़…..

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