इमाम हुसैन (र.अ)का बेमिसाल सब्र।Imam Husain (r.a)ka bemisal Sabr.

Imam hussain ka bemisaal sabr

जब अहले बैत एक एक कर के शहीद हुए तो हज़रत सख्यिदुश्शोहदाअ की बारी आई और दुश्मन की तलवार नवासए रसूल (स.व)के जिस्मे अतहर पर टूट पडी ।

आप(र.अ)ने निहायत सब्र व इस्तिकामत से दुश्मनों के हमलों का मुकाबला किया। बेशुमार दुश्मनों को मौत के घाट उतारा । तने तन्हा हज़ारों का मुकाबला कर रहे थे। शिद्दते प्यास से ज़बान सूख कर कांटा हो चुकी थी,Imam Husain (r.a)ka bemisal Sabr.

तीन रोज़ से पानी की एक बूंद लबों तक न पहोंची थी, उपर से झुल्सा देनेवाली धूप, नीचे से तपती हुई रेत, अरब की गर्मी, मौसम की सख़्ती और बादे समूम का ज़ोर, रेत के ज़रों की परवाज़ जो चिन्गारीयां बन कर जिस्म से लिपटे थे।

हज़रत साद बिन बक्कास (फातेहे ईरान) का बदनिहाद बेटा हुकूमत की लालच से अन्धा हो कर अब खानदाने रिसालत के आखरी चराग हज़रत हुसैन(र.अ)की शम् हयात को भी बुझाने के लिये बेताब नज़र आ रहा है।Imam Husain (r.a)ka bemisal Sabr.

आपके जिस्मे अतहर में तीरों और नेजों के 80 ज़ख्म पड़ चुके थे। तमाम बदन छलनी बना हुवा था मगर आप फिर भी निहायत शुजाअत और साबित कदमी से दुश्मन का मुकाबल कर रहे थे ।

शिम्र बिन जीलजोशन हज़रत हुसैन(र.अ)की पामदी और इस्तिकामत देख कर बहोत हैरानो सरासीमा हो गया और उस ने सम्यिदिना हुसैन(र.अ)की तवज्जोह मैदाने जंग से हटाने के लिये यह चाल चली कि फ़ौज से एक दस्ता अलेहिदा कर के अहले बैत के खैमो का मुहासरा कर लिया, इस पर आप ने झल्लाकर फ़रमाया :

“अय लोगो शर्म करो ! तुम्हारी लड़ाई मुझ से है या वे कस व बेकसूर औरतो से कमबख़्तों कम अज़ कम मेरी जिंदगी में तो अपने घोड़ों की बागें उधर न बढ़ाओ” ।

शिम्र नाविकार ने शर्मिंदा हो कर अहले बैत से मुहासरा उठा लिया और हुक्म दिया कि आखरी हल्ला बोल दो । आखिर पूरी की पूरी फौज दरिन्दों की तरह सय्यिदिना हुसैन(र.अ)पर टूट पड़ी।Imam Husain (r.a)ka bemisal Sabr.

आप (र.अ)सफों को चीरते हुए फ़रात पर पहोंच गए और येह केह कर घोड़े को दरया में डाल दिया कि मैं भी प्यासा हूं और तू भी प्यासा है। जब तक तू अपनी प्यास न बुझाएगा, मैं पानी को हाथ न लगाउंगा ।

घोड़ा पानी पी चुका तो आप ने पीने के लिये पानी चुल्लू में लिया और चाहते थे के उस से अपना हलक तर करें के यकायक तीर सामने से आ कर लबहाए मुबारक में पैवस्त हो गया।

आप (र.अ)ने पानी हाथ से फ़ेंक दिया, तीर खींच कर निकाला और मुंह ख़ून से लबरेज़ हो गया। आप ख़ून की कुल्लीयां करते हुए बाहर निकले और फ़रमाया

“बारे इलाहा ! तू देख रहा है के येह लोग तेरे रसूल (स.व)के नवासे पर क्या क्या ज़ुल्म कर रहे हैं”।Imam Husain (r.a)ka bemisal Sabr.

इतने में आवाज़ सुन कर सराअत से आप खैमों की तरफ़ पल्टे । रास्ते में दुश्मनों के पारे के पारे लगे खड़े थी। आप(र.अ)उन्हें चीरते हूए खैमों में पहोंच गए।

हज़रत हुसैन(र.अ)को मजरूह और ख़ून में शराबोर देख कर ख़ैमों में कोहराम मच गया। आप (र.अ)ने उन्हें सब्र की तल्कीन की और बाहर निकल आए एक तीर आप की पेशानी पर लगा जिस से सारा चेहरा मुबारक लहूलुहान हो गया।

चंद लम्हों के बाद एक तीर सीनए अतहर में आ कर पैवस्त हो गया जिस के ख़िचते ही एक ख़ून का फव्वारा जारी हो गया । आपने उस ख़ून को अपने चेहरे पर मल लिया और फ़रमाया कि इसी हालत में अपने जद्दे अमजद रसूले करीम(स.व)के पास जाउंगा ।

इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

खुदा हाफिज…

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