
हज़रत नूह अलैहिस्सलाम का तज़किरा कुरआन मजीद में बयालिस जगह अया है, हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की औलाद दुनिया में खूब बढ़ी आहिस्ता आहिस्ता यह खुदा को भूलते गए जिसने उसे पैदा किया था, और जो उनका पालने वाला है, और शैतान के बहकाए में आने लगे जिसने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को जन्नत से निकलवा दिया था,
शैतान के बहकाए में आकर यह लोग बूतों और आग, सूरज वगैरह को पूजने लगे, और एक ख़ुदा के बजाए मिट्टी और पत्थर के बहुत से ख़ुदा बना लिए, अपने हाथ से अपना ख़ुदा बनाते और फिर उनसे मांगतें, हालांकि यह मिट्टी और पत्थर के ख़ुदा अपने लिए भी कुछ न कर सकते थे, उनके लिए क्या करते, अल्लाह तआला ने जो अपने बन्दों से बड़ी मुहब्बत रखता है उसको यह कभी गवारा नहीं कि उसके बन्दे शैतान के बहकाए में आकर अल्लाह के एलावा किसी और की इबादत करने लगें और उसकी सज़ा में मरने के बाद दोज़ख में जलें,
अल्लाह पाक ने हज़रत नूह अलैहिस्सलाम को अपना नबी बना कर भेजा, उस ज़माना में लोगों की उमरें बहुत बड़ी-बड़ी होती थीं, हज़रत नूह अलैहिस्सलाम साढ़े नौ सौ साल तक अपनी कौम में वअज़ करते रहे कि ऐ लोगो ! सिर्फ एक अल्लाह की इबादत करो, और मेरा कहा मानो, वह तुम्हारे गुनाह बख़्श देगा, लेकिन लोगों ने हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की बातों को न माना और अपने कानों में उंगलियां दे लीं, और कपड़े ओढ़ लिए ताकि हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की आवाज़ कानों तक न पहुंचे, हज़रत नूह अलैहिम्सलाम ने हिम्मत न हारी वह बराबर समझाते रहे।
और कहते रहे ऐ लोगो ! अल्लाह से मुआफी मांगो, वह बड़ा मुआफ करने वाला है, वह तुम पर आसमान से बारिश बरसाएगा ताकि तुम खूब अनाज पैदा कर सको, और उसके ज़रीए से बड़े-बड़े बाग पैदा कर देगा, इनमें नहरें पैदा कर देगा, तुम्हें माल व दौलन देगा और बेटे देगा, तुम्हें क्या हो गया है कि तुम खुदा को नहीं मानते, हालांकि उसने आसमान बनाए, चांद और सूरज बनाए, उसने तुम को मिट्टी से पैदा किया और फिर उसी मिट्टी में एक दिन तुम मिल जाओगे,
और फिर क़यामत के दिन उसी मिट्टी से तुमको दोबारा जिन्दा करेगा लेकिन लोगों ने अपने बुतों को नहीं छोड़ा, और हज़रत नूह अलैहिस्सलाम से कहने लगे कि हम अपने बुतों को हरगिज़ न छोड़ेंगे, और हम तो तुम को अपने जैसा आदमी देखते हैं और तुम्हारा कहना भी सिर्फ चंद गरीब लोगों ने माना और हम तो तुम को झूठा समझते हैं।
हज़रत नूह अलैहिम्सलाम ने कहा कि ऐ मेरी कौम मैं तुमको जो नसीहन करता हूं उसके बदले में तुम से कोई माल व दौलत नहीं चाहता और जो गरीब आदमी मुसलमान हुए हैं, और अल्लाह पर ईमान लाए हैं उनको मैं अपने पास में तुम्हारे कहने से निकालूंगा नहीं, अगर मैं उनको अपने पास से निकाल दूं तो ख़ुदा के अज़ाब से मुझे कौन बचाएगा अगर मैं ऐसा करूंगा तो बहुत नाफरमान हो जाऊंगा, उनकी कौम के लोगों ने कहा ऐ नूह तुम में हम में झगड़ा बहुत कर लिया, अगर तुम सच्चे हो तो जिस अज़ाब से तुम हम को डराते हो वह ले आओ, हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने कहा कि जब अल्लाह पाक चाहेंगे अज़ाब ले आएंगे।
अल्लाह तआला ने हज़रत नृह अलैहिस्सलाम को वही के ज़रीए से हुक्म भेजा कि तुम्हारी कौम में जो लोग ईमान ला चुके हैं, उनके एलावा और कोई ईमान न लाएगा, तुम गम न करो, एक कश्ती बनाओ, हज़रत नूहं अलैहिस्सलाम ने ख़ुदा के हुक्म के मुताबिक कश्ती बनानी शुरू की तो जब उनकी कौम के सरदार उनके पास से गुज़रते तो उनको कश्ती बनाते हुए देखते तो उनका मज़ाक उड़ाते, हज़रत नूह अलैहिस्सलाम उनके मज़ाक के जवाब में कहते कि आज मज़ाक कर लो कल जब तुम्हारे ऊपर अज़ाब आएगा तो उस वक़्त हम तुम्हारा मज़ाक उड़ाएंगे,
आखिर अल्लाह तआला का अज़ाब उसके वादे के मुताबिक आया, ज़मीन से पानी निकलना शुरू हुआ, और आसमान से बारिश आनी शुरू हुई, अल्लाह तआला ने हज़रत नूह अलैहिस्सलाम को हुक्म दिया कि सब जानवरों का एक-एक जोड़ा कश्ती में सवार कर लो, और जो लोग तुम्हारे ऊपर ईमान लाए हैं यानी मुसलमान हो गए हैं, उनको सवार कर लो,
हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने उस कश्ती में सवार होने वालों से कहा अल्लाह तआला का नाम ले कर इस कश्ती में सवार हो जाओ कि इसका चलना और ठहरना उसी के हाथ में है, अल्लाह तआला बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है।
खूबसूरत वाक़िआ :- हज़रत आलमगीर ने हिक्मत से दीन फैलाया।
कश्ती उन सब को ले कर लहरों में चलने लगी तो उस वक़्त हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने अपने बेटे से कहा, ऐ बेटा हमारे साथ सवार हो जाओ, और काफिरों के साथ मत हो, उसने कहा मैं किसी पहाड़ पर चढ़ जाऊंगा, और वह पानी से बचा लेगा।
हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने कहा कि आज खुदा के अज़ाब से सिवाए खुदा के कोई बचाने वाला नहीं, इतने में दोनों के दरमियान एक पानी की लहर उठी और वह डूब गया, फिर खुदा तआला ने ज़मीन को हुक्म दिया कि अपना पानी निगल जा, और आसमान को भी हुक्म दिया कि पानी बरसाना बन्द कर दे यहां तक कि पानी खुश्क हो गया और तमाम काफिर दुनिया में ख़त्म कर दिए गए,
हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की कश्ती कोहे जूदी पर ठहरी, हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने अपने परवरदिगार से अर्ज़ किया कि ऐ मेरे रब मेरा बेटा भी मेरे घर वालों में से है, और आपका वादा सच्चा है, यानी हज़रत नूह अलैहिस्सलाम का मतलब था कि ऐ अल्लाह ‘तआला आपने वादा फरमाया था कि तेरे घर वालों को इस तूफान से बचा लूंगा, फिर मेरा बेटा क्यों डूबा ।
तो खुदावन्द तआला ने फरमाया कि ऐ नूह तेरा बेटा तेरे घर वालों में से नहीं था, क्योंकि उसके अमल अच्छे नहीं थे, मैं तुझ को नसीहत करता हूं कि ऐसी बात न कर जो तेरे इल्म में नहीं इसलिए कि कनआन अल्लाह के इल्म अज़ली में काफिर था, और यह बात नूह अलैहिस्सलाम के इल्म में न थी हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने अल्लाह पाक से तौबा की और अपने कहने की मुआफी चाही, अल्लाह पाक ने उनको मुआफ कर दिया और हुक्म दिया कि ऐ नूह हमारी तरफ से सलामती और बरकतों के साथ उतर !
इसके बाद हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की उम्मत से दुनिया बसी और आहिस्ता आहिस्ता उनके बाल बच्चे आबाद होते गए, यह सब लोग खुदा तआला की इताअत करते रहे, ज़माना गुज़रता गया और आहिस्ता आहिस्ता शैतान ने फिर बहकाना शुरू किया तो यह लोग खुदावन्द तआला को भूलने लगे।
हज़रत नूह अलैहिस्सलाम जो अल्लाह तआला के इतने बड़े पैग़म्बर थे, अपने बेटे को उसके बुरे कामों की वजह से अल्लाह तआला के अज़ाब से न बचा सके, इस तरह अगर हमारे मां-बाप अल्लाह के कितने ही वली क्यों न हों अगर हमारे अमल अच्छे न हों तो वह हम को अल्लाह तआला के अज़ाब से न बचा सकेंगे हम को अपने बुज़ुर्गों के नेक अमल का सहारा नहीं लेना चाहिए,
बल्कि अल्लाह तआला और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के बताए हुए कामों पर अमल करके नेक बनना चाहिए, इसी वजह से अल्लाह तआला ने क़ुरआन मजीद में कहा है कि अगर तुम एक एक ज़र्रा बराबर भी नेकी करोगे तो उसका बदला हम तुम को देंगे, और अगर एक ज़र्रा बराबर भी बुरा अमल करोगे तो वह भी तुम्हारे सामने आ जाएगा।
अल्लाह से एक दिली दुआ…
ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।
प्यारे भाइयों और बहनों :-
अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।
क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
खुदा हाफिज़…..