हज़रत हलीमा सअदिया रजिअल्लाहु अन्हा का वाक्या। Hazrat Haleema Sadiya raziallahu anha ka waqia.

Hazrat haleema sadiya ka waqia

अरब वालो का दस्तूर था कि जब उनमें किसी के यहां बच्चा पैदा होता तो अपने कबीला से बाहर किसी दूसरे कबीला में से किसी दूध पिलाने वाली औरत को जो तन्दुरुस्त और खूबसूरत अच्छे चाल चलन वाली होती और जिसमें तमाम खूबिया शरीफाना होते।

यह तलाश करके उसके हवाले कर देते फिर जब मुद्ते रजाअत खत्म हो जाती तो एवजन (मोअवाजा) देकर वापस ले लेते हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जब पैदा हुए तो खुद दूध पिलाने वालियाँ जो बच्चों को दूध पिलाई पर लेने के लिए मक्का मुअज्जमा आया करती थीं आई।

उनमें से एक बीबी कबीला-बनी-सादिया से हलीमा नाम की थी उन सब में जो आई थी। जिस-जिस घर से किसी को कोई लड़का मिला ले लिया लेकिन हलीमा को कोई लड़का न मिला।

वह कहती है कि हम जितनी आई थी सब ने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को देखा मगर यह समझ कर नही लिया कि यह लड़का यतीम है उसका एवजाना कुछ अच्छा नहीं मिलेगा किसी ने न लिया और ख़ुदा की कुदरत मुझे भी कोई बच्चा न मिला,मायूस होकर मुझे खाली हाथ जाना ऐसा बुरा मालूम हुआ कि घर जाने को मेरा जी नहीं चाहता था।

मेरे साथ वालियाँ बच्चे लेकर वापस होने के लिए एक जगह इकट्ठी हो रही थीं सभी का इन्तजार कर रही थीं मगर मैं पुर रंज व मलाल किसी बच्चे की तलाश में रह गई लेकिन जब कोई सूरत नजर न आई तो मैंने अपने शौहर से कहा कि इतनी औरतों में मेरा खाली जाना बाइसे नंग है।Hazrat Haleema Sadiya raziallahu anha ka waqia.

अल्लाह मैं तो उसी बच्चे (हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को ले आती हूँ जो अब्दुल मुत्तलिब के घर में है और उसे सब छोड़ आई हैं। उसने कहा ले आ शायद कि अल्लाह तआला उसी की बरकत से मालामाल कर दें ।

यह सुनकर मैं अब्दुल मुत्तलिब के घर गई। अब्दुल मुत्तलिब अपने दरे दौलत पे खड़े थे मुझे देखकर पूछा तू कौन और तेरा नाम क्या है? मैंने कहा में बनी सअद से हूँ और हलीमा मेरा नाम है। अब्दुल मुत्तलिब खुश होकर बोले बहुत खूब !!पानी पीने की फज़िलत।

सअद और हिल्म दोनों जमा हो गए। उन दो लफ्जों में हमेशा की खैर व बरकत है। हलीमा! मेरे पास एक लड़का है जिसका बाप उसके पैदा होने से चन्द रोज पहले फौत ( इंतकाल ) हो गया था और मैं ही उसका कफील (जिम्मेदार) हूँ।

तुम्हारी कौम की औरतें उसे देख कर छोड़ गई थी शायद उनके दिलों में यह वसवसा होगा कि उस यतीम का एवजाना रजाअत कौन देगा ? तू उसे ले जा तेरे लिए अच्छा होगा। मैंने कहा मैं अपने शौहर से मशवरा कर लूं।

मशवरा करने पर शौहर ने कहा कि जरूर उम्मीद है अल्लाह तआला हमें उसकी बरकत से खुशहाल कर देगा मैं वापस आई और अब्दुल मुत्तलिब को कह दिया कि बच्चा मुझे दे दीजिए वह बड़ी खुशी से उठकर मुझे आमिना के घर ले गए।

उसने मुझे देखा तो बनज़रे इज्जत खुश आमदीद कहकर उस कोठरी में ले गई जहाँ सरवरे आलम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम गहवारा में पड़े थे मैंने देखा कि बहुत सफेद सूफ का कपड़ा आपके ऊपर सब्ज़ रेशमी पार्चा आपके नीचे और आप रूबा आसमान तशरीफ फरमा है।

और कस्तूरी की खुशबू आपसे आ रही है मैं आपका हुस्न व जमाल देख कर दंग रह गई और आपको जगाने से झिझक गई लेकिन अपना हाथ निहायत नर्मी और सुब्की के साथ आपके सीने पर रखा तो आप मुस्कुराए और आंखें खोली जिनसे नूरानी शुआएं निकल कर आसमान तक रौशन करती चली गई।

मैंने यह देखकर आपकी दोनों आंखों पर बोसा दिया और आपको उठा लिया। अगर मुझे कोई लड़का मिल जाता तो मैं इस नेमत से महरूम रह जाती। फिर मैंने आपको गोद में लेकर अपना दाहिना दूध दिखाया आपने जितना चाहा पिया।Hazrat Haleema Sadiya raziallahu anha ka waqia.

फिर मैंने आपको अपने बाएं दूध की तरफ फेरा लेकिन आपने उसे न पिया क्योंकि मेरा एक और बच्चा भी दूध पीता था चूंकि आपकी जाते अक्स में फितरतन ही अदल दियानत, तक्वा और अमानत मौजूद थी इसलिए आपने अपने रजाई भाई का हिस्सा छोड़ दिया।

फिर जब हम अपने डेरे पर वापस आए कि वहाँ से तैयार होकर अपने साथ वालो के साथ घर चले तो मेरे शौहर ने देखा कि हमारी बकरी जिसे हम अपने बच्चे की खातिर अपने साथ मक्का में लाए थे जो दूध सुखाए और बहुत ही लागर थी।

मगर हम एक दूधार अपने बच्चे के लिए निकाल ही लेते थे दूध भरे धन खड़ी जुगाली कर रही थी उसने उसके धनों को हाथ लगाया तो दूध निकलने लगा। फौरन बर्तन लेकर दूहने बैठ गया।

बकरी ने इतना दूध दिया कि हम उससे खूब सैर हुए और रात आराम से सो गए सुबह उठे तो मेरे शौहर ने मुझसे मुखातब होकर कहा। हलीमा ! जिस बच्चे को हमने लिया है। बखुदा! यह बहुत मुबारक है मैंने कहा हाँ सही है और मुझे भी इस बरकत का यकीन है और उम्मीद है यह जब तक हमारे पास रहेगा हमारे लिए बाइसे खैर व बरकत होगा।

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को दूध पिलाने की सआदत कबीला बनी सअद की हलीमा ही के नसीब में थी। यह सआदत किसी दूसरे को कैसे हासिल हो सकती थी दूसरी औरतें हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को यतीम समझ कर हुजूर को छोड़ कर चली आई।

लेकिन वह कौन थीं जो हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम छोड़तीं यह तो खुद हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उन सबको छोड़ दिया था क्योंकि आपको इल्म था कि मुझे दूध पिलाने वाली दूसरी है वह जिसका नाम हलीमा है यह सआदत हलीमा सअदिया ही को मिलेगी।

इसीलिए हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने जब उस सआदत की अस्ल अहल को आते देखा तो हुज़ूर मुस्कुरा पड़े। कितनी खुशनसीब है।

हलीमा सादिया रजियल्लाहु अन्हा कि वह जिसके कदमाने मुबारक के बोसा लेने का अर्श भी स्वाहा है। हलीमा उसकी आंखों को बोसा ले रही थी वह जात बाबरकत कल कियामत में जिसके दामाने मुबारक में एक दुनिया पनाह लेगी। आज यह वजूद वा वजूद हलीमा की गोद में नजर आ रहा है जहे नसीब हलीमा ।9 तिब्बी इलाज और नुस्खे।

आजकल के बच्चों को नहला धुला कर और खुश्बूदार पाउडर मल कर रखा जाता है वरना उनसे बू आने लगती है मगर हुज़ूर पुर नूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की जाते अक्दस ही खुशबू की खज़ाना थी कि हलीमा करीब गई तो कस्तूरी की खुशबू आने लगी।Hazrat Haleema Sadiya raziallahu anha ka waqia.

इसी तरह हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का वजूद बावजूद हमेशा मख्जने (खजाना) खुश्बू व रहमत ही रहा जिस राह से भी आप गुज़र जाते खुशबुओं के हिल्ले आने लगते ।

 

उनकी महक ने दिल के गुंचे खिला दिए हैं,

जिस राह चल दिए हैं कूचे बसा दिए हैं।

यह भी मालूम हुआ कि दयानत व तक्वा और अमानत के भी हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम शुरू ही से मख्जन थे इसीलिए अपने रज़ाई भाई के हिस्से का दूध आपने नहीं पिया गोया बचपन ही में यह तब्लीग फरमा दी कि किसी की हक़ तल्फी करना जाइज़ नहीं।

मुसलमानों को अपने आका का मुकद्दस बचपन भी पेशे नज़र रखना चाहिए और किसी भाई की हक तल्फी नहीं करनी चाहिए। मगर आह! इस पुर-फ़ितन दौर में भाई-भाई का दुश्मन और चाहता है कि भाई का जो मिले अपना लो।

दूसरों के माल पर नजरें ललचाने लगती हैं। आजकल के मुसलमान दूसरों के माल को हजम कर जाते हैं और दावा यह कि हम उस नबी की उम्मत हैं जिसने बचपन में भी अपने रज़ाई भाई का हिस्सा नहीं अपनाया और अपने भाई के लिए ही रहने दिया।

यह भी मालूम हुआ कि हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का वजूद जो सरापा बरकत है कि आपके आते ही लागर बकरी के सूखे थन दूध से भर गए।

अल्हम्दुलिल्लाह हमें ऐसा बाबरकत आका मिला जिनकी बदौलत हमारे सूखे और बुरे आमाल भी इंशाअल्लाह हरे और अच्छे हो जाएंगे।

आयत इस हकीकत पर शाहीद है कि जो लोग तौबा करके हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के गुलाम बन जाएंगे। अल्लाह तआला उनकी बुराईयों को भी नेकियाँ बना देगा। पस ऐ मुसलमानो!

हज़रत हलीमा ने जिस मुहब्बत से हुज़ूर को गोद में लेकर बरकत पाली थी तुम भी मुहब्बत के साथ हुज़ूर का दामन पकड़ कर दोनों जहाँ की बरकतें हासिल कर लो।

अल्लाह रबबूल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे,हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को रसूल-ए-करीम (स.व) से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे जिन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे,आमीन।

इन हदीसों को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

 

खुदा हाफिज…

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