घर ख़र्चों का बयान। Ghar kharcho ka Bayan.


Ghar kharcho ka bayan

हज़रत अबू मसऊद अन्सारी रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया- जब मुसलमान आदमी अपने अहल व अयाल (बाल-बच्चों और घर वालों) पर अल्लाह तआला का हुक्म पूरा करने की नीयत से खर्च करे तो उसे सदक़े का सवाब मिलता है।

वजाहत :- सवाब की नीयत से अगर कोई अपनी बीवी के मुँह में लुकमा डाले तो भी सवाब है,

हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु अन्हु ने बयान किया कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया- अल्लाह तआला फरमाता है कि ऐ आदम के बेटे ! तू खर्च करता जा मैं तुझको देता जाऊँगा ।

वजाहत :- पहले घर वालों पर खर्च करना फिर गरीब रिश्तेदारों पर फिर दूसरे गरीबों को तरतीबवार देना बेहतर है।

हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया- जो शख्स बेवाओं और मोहताजों के लिये कोशिश करना उनकी मदद करता हो उसका सवाब इतना है जैसे कोई अल्लाह की राह में जिहाद कर रहा हो, या जैसे कोई रात को तहज्जुद – गुज़ार और दिन के वक्त रोज़ेदार हो ।

हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया- बेहतरीन ख़ैरात वह है जिसे देने पर आदमी मालदार ही रहे। शुरूआत उनसे करो जो तुम्हारी निगरानी में हैं।Ghar kharcho ka Bayan.

वजाहत :- यानी अपने घर वालों और अपने दूसरे रिश्तेदारों या नौकरों पर खर्च करना अफज़ल है। सदक़ा करने की फज़ीलत।

हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया- अगर औरत अपने शौहर की कमाई में से उसके हुक्म के बगैर ( मामूली रकम या माल) अल्लाह तआला के रास्ते में खर्च कर दे तो उसे भी आधा सवाब मिलता है।

वजाहत:- यह उस वक्त है जब औरत को मर्द की रजामन्दी मालूम हो ।

हज़रत अस्वद बिन यज़ीद रज़ियल्लाहु अन्हु ने हज़रत आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा से पूछा कि घर में रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम क्या किया करते थे? उन्होंने कहा कि आप घर के काम किया करते थे, फिर आप जब अज़ान की आवाज़ सुनते तो बाहर चले जाते थे।

वजाहत :- घर के काम-काज और अपने घर वालों की मदद करना हमारे प्यारे रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सुन्नत है।Ghar kharcho ka Bayan.

हज़रत आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा ने कहा कि हिन्दा बिन्ते उतबा रज़ियल्लाहु अन्हा ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह ! अबू सुफियान (मेरा शौहर ) बख़ील है और मुझे इतना नहीं देता जो मेरे और मेरे बच्चों के लिये काफी हो।

क्या मैं उसकी जानकारी के बगैर उसके माल में से ले लूँ? आपने फ़रमाया- तुम दस्तूर के मुताबिक इतना ले सकती हो जो तुम्हारे और तुम्हारे बच्चों के लिये काफी हो ।

वजाहत :- बखील (कन्जूस) मर्द की बीवी को जायज़ ज़रूरत के मुताबिक उसकी इजाज़त के बगैर उसके माल में से ले लेना जायज़ है ।

हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ख़िदमत में एक साहिब आये और कहा कि मैं तो हलाक हो गया। आपने फरमाया- आखिर क्या हुआ? उसने कहा- मैंने अपनी बीवी से रमज़ान में हमबिस्तरी कर ली।Ghar kharcho ka Bayan.

आपने फ़रमाया फिर एक गुलाम आज़ाद कर दो यह कफ़्फ़ारा हो जायेगा। उसने कहा- मेरे पास कुछ नहीं है। आपने फ़रमाया फिर दो महीने लगातार रोज़े रख लो, उसने कहा मुझमें इसकी भी ताकत नहीं है। आपने फरमाया- फिर साठ मिस्कीनों को खाना खिलाओ।

उसने कहा इतना भी मेरे पास नहीं है। उसके बाद एक टोकरा रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास लाया गया जिसमें खजूरें थीं। आपने मालूम किया कि मसला पूछने वाला कहाँ है? उसने अर्ज़ किया- मैं यहाँ हाज़िर हूँ।

आपने फ़रमाया इसे अपनी तरफ से सदका कर देना। उसने कहा- क्या मुझसे भी ज़्यादा ज़रूरत मन्द पर? या रसूलल्लाह ! उस ज़ात की कसम जिसने आपको हक के साथ भेजा है इन दोनों पथरीले मैदानों के दरमियान कोई घराना हमसे ज़्यादा मोहताज नहीं है। इस पर आप हंसे, आपके मुबारक दाँत नज़र आये और फ़रमाया-फिर तुम ही इसके ज़्यादा हक़दार हो। सतर और परदे का हुक्म।

हज़रत ज़ैनब बिन्ते अबू सलमा रज़ियल्लाहु अन्हा ने कहा कि उम्मे सलमा ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह ! क्या मुझे अबू सलमा ( उनके पहले शौहर) के लड़कों के बारे में सवाब मिलेगा अगर मैं उन पर खर्च करूँ?Ghar kharcho ka Bayan.

मैं उन्हें इस गुर्बत व तंगदस्ती में नहीं देख सकती, वे मेरे बेटे ही तो हैं। आपने फरमाया- हाँ, तुम्हें हर उस चीज़ का सवाब मिलेगा जो तुम उन पर खर्च करोगी।

अल्लाह रबबूल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे,हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को रसूल-ए-करीम (स.व) से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे जिन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे,आमीन।

इन हदीसों को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

खुदा हाफिज…

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